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मोसुल पर संसद में बोलीं सुषमा- लापता 39 भारतीयों के मारे जाने का कोई सबूत नहीं

सुषमा स्वराज ने कहा कि मैं शुरू से ही लोकसभा में बयान देना चाहती थी. ये घटना हमारी सरकार आने के 20 दिन बाद की है. उस समय हरजीत ने ये बयान दिया था कि मैं मेरे सामने 39 लोगों को मार दिया गया था, और मैं भाग कर आ गया था. लेकिन हमें ना ही कहीं लाशें मिली, ना ही कोई सूची मिली, और इसलिए हम कैसे कह सकते हैं.

सुषमा स्वराज सुषमा स्वराज
अशोक सिंघल/बालकृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 2:01 PM IST

आजतक के इराक में लापता 39 भारतीयों के खुलासे पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लोकसभा में बयान दिया. लोकसभा में बोलते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि ये मामला बहुत गंभीर है. उन्होंने कहा कि मैं इस बात को हंगामे के दौरान नहीं बोलूंगी, पूरा देश इस मामले को सुनना चाहता है. सुषमा बोलीं कि मैंने इस मामले पर राज्यसभा में कोई बयान नहीं दिया है.

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सुषमा स्वराज ने कहा कि मैं शुरू से ही लोकसभा में बयान देना चाहती थी. ये घटना हमारी सरकार आने के 20 दिन बाद की है. उस समय हरजीत ने ये बयान दिया था कि मैं मेरे सामने 39 लोगों को मार दिया गया था, और मैं भाग कर आ गया था. लेकिन हमें ना ही कहीं लाशें मिली, ना ही कोई सूची मिली, और इसलिए हम कैसे कह सकते हैं. हरजीत के बयान में काफी विरोधाभास है, जिस मुद्दे को उठाया गया था. हमने मोसुल के आस-पास तलाशी ली है, मैंने जो कुछ भी किया है वह सदन को विश्वास में लेकर किया

24 नवंबर 2014 को मैंने कहा था कि एक व्यक्ति कह रहा है कि वो मार दिए गए हैं, और 6 सूत्र कह रहे हैं कि वो जिंदा हैं तो मुझे क्या उन्हें ढूंढना नहीं चाहिए. मैंने बार-बार सदन से कहा था कि मेरे पास उनके जीवित होने का कोई सबूत नहीं है, ना ही मेरे पास उनके मारे जाने का कोई ठोस सबूत नहीं है. मैं सदन की अनुमति चाहूंगी कि अगर मेरा रास्ता सही है तो हम इसमें आगे बढ़ सके. इसके लिए मुझे बयान भी दिया गया था.

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तीन साल से मिसलीड करने का आरोप लगाया गया. बिना ठोस सबूत के उन्हें मरा हुआ घोषित नहीं कर सकती है, ऐसा करना पाप है मैं ये पाप कभी नहीं करुंगी. मुझे पता लगा कि इसमें टर्की से मदद मिल सकती है, मैं खुद टर्की गई थी बात करने की. पीएम ने भी इस मुद्दे पर बात की.

हमारे सूत्र ऐसे वैसे नहीं हैं हमें एक देश के राष्ट्रपति, एक देश के विदेश मंत्री ने ये बताया है. मैं 12 बार पीड़ितों के परिवार से मिली हूं, मैंने हर बार कहा कि मेरे पास उनके जीवित रहने की कोई जानकारी नहीं है, मैं सूत्रों के हवाले से ये कह रही हूं. उनकी फाइल तब तक बंद नहीं कर सकते हैं जब तक कोई सबूत ना हो.

सुषमा ने कहा कि अगर मैं आज कह दूं कि वो मर गए हैं पर कल को कोई जीवित हुआ तो किसे दोष देंगे. अगर किसी परिवार वाले का मुझ पर से भरोसा उठ गया है तो वे आजाद हैं. मैंने कभी नहीं कहा कि वो लोग जेल में बंद हैं.

9 तारीख को मोसुल आजाद होने की घोषणा की गई, 10 तारीख को हमारे विदेश मंत्री मोसुल पहुंच गए थे. वो 4 दिन वहां पर रहे. वीके सिंह के आने के बाद ही मैंने पीड़ितों के परिवार को बुलाया. वीके सिंह ने कहा था कि हमारे सूत्रों के हवाले से वो लोग वहां पकड़े गए, फिर उन्हें हॉस्पिटल में रखा गया फिर खेती करवाई गई. लेकिन 2016 के बाद से हमारा उनसे कोई संपर्क नहीं है. हमें जो पता लगा हमनें वही परिवार को बताया.

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सुषमा बोलीं कि तस्वीर बस इतना बताती है कि जेल ढह गई है, लेकिन तस्वीर से ये नहीं पता लगता है कि सभी लोग मार दिए हैं. इराक के विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे पास ना ही जिंदा होने या मारे जाने का ठोस सबूत है, 2016 के बाद कोई सूचना नहीं है. लेकिन फिर भी तलाश जारी है. मैंने उनसे अपील की है कि अब जो भी जानकारी दें तो सबूत के साथ दें, बिना सबूत अब मैं परिवार से बात नहीं कर सकती हूं. मैंने उनसे जेल के वॉर्डन से बात करने को कहा है जिससे भारतीयों के बारे में कुछ पता चल सके.

ये भारतीय लोग वहां पर कंस्ट्रकशन वर्कस थे लेकिन वहां पर फंस गए. सुषमा ने कहा कि सबूत के तौर पर अगर वो हिंदी में अपना नाम और घर का पता लिख कर दें तो हमें मदद मिलेगी. हमें उनकी ओर से पूरा भरोसा दिया गया है. मैंने कभी संसद को गुमराह नहीं किया, मुझे गुमराह करने का क्या फायदा मिलता. गुमराह करने से ना मुझे कुछ मिलेगा ना सरकार को.

अगर मैं आज उन्हें मरा हुआ घोषित कर दूं तो मेरे लिए आसान है, कोई मुझसे सवाल नहीं पूछेगा. मैं अपना फर्ज निभा रही हूं. सुषमा ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि पंजाब के 6 परिवार उनसे मिलने आए, और कहा कि 1971 की लड़ाई में उन्हें शहीद घोषित कर दिया गया था लेकिन 45 साल बाद गांव के पास का व्यक्ति लौट कर आया और कहा कि वो लोग जिंदा हैं. तब से वो परिवार कह रहा है कि हमारे परिवार वालों को वापस लाना चाहिए. सुषमा बोलीं कि एक बच्चा 7 साल का बच्चा 21 साल पहले खेत में अपने पिता के साथ खेलते-खेलते सरहद पार कर गया, उसका नाम नानक सिंह है.

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लेकिन उसके परिवार वाले कहते हैं कि वो पाकिस्तान में है उसे वापस लाओ. मेजर धनसिंह थापा को पहले शहीद घोषित किया, उन्हें पुरस्कार दिया लेकिन बाद में वो जिंदा निकले. सुषमा ने कहा कि मैं जो भी बात बोलूंगी वो सबूत के साथ बोलूंगी, मैंने कभी नहीं कहा कि वो जिंदा हैं या मारे गए हैं. जब तक कोई ठोस सबूत नहीं मिलता है मैं कोई नतीजे पर नहीं पहुंच सकते हैं. सिर्फ एक व्यक्ति कह रहा है वो मारे गए और हमारे कई सूत्र कह रहे हैं कि वो जिंदा हैं. कोई सबूत ऐसा मिलेगा जो इसका खुलासा करेगा, मैं उस दिन का इंतजार करुंगी. 

वहीं राज्यसभा में गुरुवार को 11 बजे वे बयान देंगी. आजतक की टीम ने इराक में मोसुल और बदुश इलाकों का दौरा कर वहां की जेलों का पता लगाने की कोशिश की थी जहां इन लापता भारतीयों के होने का दावा किया जा रही था. आजतक की पड़ताल में पता चला कि मोसुल से भागते वक्त आईएस के आतंकियों ने बदुश जेल को ही उड़ा दिया था. इसके बाद सरकार ने कहा था कि भारतीयों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है.

कांग्रेस और शिरोमणी अकाली दल ने सरकार से मांगा जवाब

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आजतक के खुलासे के बाद कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की थी. एनडीए की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने भी इन लोगों के जिंदा होने या नहीं होने के मामले में सरकार से जवाब की मांग की. साथ ही इन लोगों ने सरकार से यह भी जानना चाहा कि क्या भारतीय खुफिया तंत्र इस मामले में विफल साबित हुआ है.

पुख्ता सबूत नहीं: इराकी विदेश मंत्री

इससे पहले, भारत दौरे पर आए इराक के विदेश मंत्री इब्राहिम अल-जाफरी ने कहा था मोसुल में अगवा भारतीयों के जीवित या मृत होने के पुख्ता सबूत नहीं है. इराकी विदेश मंत्री ने कहा कि उसके पास इस बात के कोई ‘‘पुख्ता सबूत’’ नहीं हैं कि तीन साल पहले मोसुल में अगवा किए गए 39 भारतीय जीवित हैं या उनकी मृत्यु हो चुकी है. बहरहाल, इराक ने इस बात की पुष्टि की है कि आतंकवादी संगठन आईएसआईएस ने उस बदुश जेल को नेस्तनाबूद कर दिया, जहां आखिरी बार इन 39 भारतीयों के होने की सूचना मिली थी.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह की इराक यात्रा के दौरान जुटाई गई सूचनाओं के आधार पर 16 जुलाई को बयान दिया था कि अगवा किए गए भारतीय उत्तर-पश्चिम मोसुल में स्थित बदुश जेल में बंद हो सकते हैं. गौरतलब है कि इराकी सुरक्षा बलों ने करीब दो हफ्ते पहले मोसुल को आईएसआईएस के कब्जे से मुक्त कराया था.

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आज तक का खुलासा

इराक से लापता 39 भारतीयों का कोई सुराग नहीं मिल रहा है. आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने मोसुल को पूरी तरह से तबाह कर दिया है. इंडिया टुडे/आज तक ने इन भारतीयों की तलाश में इराक के मोसुल पहुंचा, जहां इनका कोई अतापता नहीं चला. अब यह सवाल उठ रहा है कि आखिर ये भारतीय कहां गए? इससे पहले भारत सरकार ने इन भारतीयों के जीवित होने का दावा किया था.

 

 

 

 

 

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