
देश के सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन विधेयक को मंगलवार को लोकसभा की मंजूरी मिलने के बाद बुधवार को राज्यसभा में पेश किया है. उच्चसदन में चर्चा के दौरान सपा के राज्यसभा सदस्य प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार यह बिल कभी भी ला सकती थी, लेकिन सरकार का लक्ष्य आर्थिक रूप से गरीब सवर्ण नहीं बल्कि 2019 का चुनाव है.
हालांकि रामगोपाल यादव ने सामान्य वर्ग के आरक्षण पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस विधेयक में तो कोई पैसा लग नहीं रहा था. इस विधेयक को तो कभी लाया जा सकता है, लेकिन आपका मकसद सामान्य वर्ग को आरक्षण देने का नहीं है बल्कि आपका निशाना 2019 का लोकसभा चुनाव है.
उन्होंने कहा कि सरकार के दिल में ईमानदारी होती तो 3-4 साल पहले यह बिल लाया जा सकता है. अगर ये बिल अगर पहले आ जाता तो सामान्य वर्ग के कुछ लोगों को रोजी-रोटी मिल जाती है. यादव ने कहा कि यह बिल सुप्रीम कोर्ट की बड़ी पीठ के खिलाफ है और कोर्ट इसे अपहोल्ड भी कर सकता है.
उन्होंने कहा कि नौकरियां हैं नहीं ऐसे में कुछ बाद आरक्षण की बात भी बेमानी हो जाएगी. यादव ने कहा कि सरकार को निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए, क्योंकि सरकार क्षेत्र में ठेके पर काम हो रहा है, नौकरियां लगातार घट रही हैं.
रामगोपाल यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले से 50 फीसदी आरक्षण सवर्ण समुदाय के लिए रिजर्व रख रही है. ऐसे में सरकार ने उन्हें 10 फीसदी आरक्षण लाकर उन्हें राहत नहीं बल्कि नुकसान करने जा रही है. उन्होंने कहा कि 10 फीसदी आरक्षण के दायरे में सामान्य वर्ग के 98 फीसदी लोग आ जाएंगे. जबकि 2 फीसदी आमीर सवर्ण समुदाय के लिए 40 फीसदी आरक्षण होगा, ऐसे में कहां गया आपका समता का अधिकार. इस विधेयक को लागू होने दीजिए एक साल के बाद पता चल जाएगा, जब यूपीएसएस के नतीजे आएंगे और मैरिट वाले लोग रह जाएंगे.