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Budget Session: CAA के खिलाफ विपक्षी एकता, राष्ट्रपति के अभिभाषण में काली पट्टी बांधकर बैठे MP

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी के विरोध में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) समेत अन्य विपक्षी दलों के सांसद केंद्रीय कक्ष में काली पट्टी बांधकर पहुंचे. वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने नो एनपीआर (नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर), नो सीएए और नो एआरसी लिखा पोस्टर केंद्रीय कक्ष में लहराया.

टीएमसी सांसदों का प्रदर्शन (फोटो- ट्विटर) टीएमसी सांसदों का प्रदर्शन (फोटो- ट्विटर)
मौसमी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 31 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 3:29 PM IST

  • नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में विपक्षी सांसदों का प्रदर्शन
  • राष्टपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ बजट सत्र की शुरुआत

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ शुक्रवार को संसद के बजट सत्र की शुरुआत हुई. उन्होंने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में सांसदों को संबोधित किया. राष्ट्रपति के संबोधन के दौरान विपक्ष सांसदों की एकता देखने को मिली. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी के विरोध में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) समेत अन्य विपक्षी दलों के सांसद केंद्रीय कक्ष में काली पट्टी बांधकर पहुंचे. वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने नो एनपीआर (नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर), नो सीएए और नो एआरसी लिखा पोस्टर केंद्रीय कक्ष में लहराया.

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इससे पहले विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में भी प्रदर्शन किया. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि संविधान पर हमले के विरोध में हमने हाथों पर काली पट्टी बांधकर राष्ट्रपति का अभिभाषण सुना. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, अधीर रंजन चौधरी, राहुल गांधी समेत कई सांसदों ने प्रदर्शन किया.

राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान नारेबाजी

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में नागरिकता संशोधन कानून को ऐतिहासिक करार दिया. बीजेपी सांसदों ने मेज थपथपाकर इसका स्वागत किया, लेकिन कांग्रेस, द्रमुक आदि विपक्षी दल के सदस्य नारेबाजी करने लगे. इस दौरान सेंट्रल हाल में सीएए के विरोध में नारे भी लगे.

सीएए पर क्या बोले राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सीएए को मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि महात्मा गांधी का सपनों पूरा हुआ. उन्होंने कहा कि माननीय सदस्यगण भारत ने हमेशा सर्वपंथ विचारधारा में यकीन किया है. लेकिन भारत विभाजन के समय भारतवासियों और उनके विश्वास पर प्रहार किया गया. विभाजन के बाद बने माहौल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान के हिंदू और सिख, जो वहां नहीं रहना चाहते, वो भारत आ सकते हैं.

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राष्ट्रपति ने आगे कहा कि इन लोगों को सामान्य जीवन मुहैया कराना भारत सरकार का कर्तव्य है. पूज्य बापू के इस विचार का समर्थन करते हुए समय-समय पर अनेक राष्ट्रीय नेताओं और राजनीतिक दलों ने इसे आगे बढ़ाया. हमारे राष्ट्र निर्माताओं के उस इच्छा का सम्मान करना हमारा दायित्व है. मुझे प्रसन्नता है कि संसद के दोनों सदनों द्वारा नागरिकता कानून बनकर महापुरुषों की इच्छा को सम्मान दिया गया.

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उन्होंने कहा कि विशेषकर जब देश में महात्मा गांधी की जयंती का पर्व मनाया जा रहा हो उसी समय समय में सांसदों द्वारा इसे पास करवाना बेहद खास है. मैं संसद के दोनों सदनों का और सभी सांसदों का अभिनंदन करता हूं. इस दौरान विपक्षी दलों के सांसद लगातार हंगामा करते रहे.

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