
केंद्र सरकार अब अगस्ता वेस्टलैंड मामले में यूपीए सरकार के समय रक्षामंत्री रहे एके एंटनी को घेरने की तैयारी में है. इसके लिए रक्षा मंत्रालय के उच्च अधिकारियों की एक टीम अभी तक 40 से ज्यादा फाइलों को खंगाल चुकी है.
रक्षा मंत्रालय के उच्च अधिकारी उन फाइलों को खंगाल रहे हैं जिसमें 3500 करोड़ रुपये के इस सौदे में अनियमितता का जिक्र है. स्कैनिंग कर रही इस टीम में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय भी शामिल है.
सूत्रों के मुताबिक, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को इस टीम के साथ दो घंटे लंबी बैठक की. ताकि वह संसद में अपने बयान की तैयारी कर सके. इतना ही नहीं वह खुद इन सभी दस्तावेजों पर नजर बनाए हैं और इतालवी कोर्ट के आदेश को भी जांच रहे हैं. बताया जाता है कि रक्षा मंत्री का जोर उन सवालों उन सवालों की पड़ताल पर है कि आखिर सौदे के लिए मानदंडों में बदलाव क्यों किए गए?
अनियमितता पर करेंगे सवाल
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पर्रिकर ने टीम से सबसे पहला सवाल यह पूछा कि जब साल 2012 में ही अनियमितताओं का पता लग गया था तो कॉन्ट्रेक्ट रद्द करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने जनवरी 2014 तक का इंतजार क्यों किया? तत्काल इस मामले की जांच सीबीआई को क्यों नहीं सौंपी गई? जबकि यूपीए की बजाय मौजूदा सरकार ने यह मामला ED को सौंपा. ऐसा तब हुआ जब यह साफ था कि सौदे के बदले घूस ली गई है. अगस्ता मामले को लेकर बनाई गई रक्षा मंत्रालय की यह टीम ED और CBI की भी जांच करने में मदद करेगी.
कोर टीम के निशाने पर एंटनी
पर्रिकर और उनकी कोर टीम विशेष तौर पर तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी की कार्रवाई पर जोर देने वाली है. सूत्र बताते हैं कि कंपनी को दिए गए ऑर्डर को 2014 में रद्द किया गया, वो भी तब जब मंत्रालय ऐसा करने पर बाध्य हुआ. जबकि अनियमितता की जानकारी पहले ही सामने आई है. घूस लेने का मामला भी प्रकाश में आ चुका था और इन सब के बावजूद नवंबर 2012 में तीन हेलीकॉप्टरों की खेप को स्वीकार किया गया.
कांग्रेस ने जांच में देरी से किया इनकार
दूसरी तरफ कांग्रेस ने मामले की जांच में एके एंटनी की तरफ से किसी भी तरह की देरी की बात से इनकार किया. कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि एंटनी ने मामला तुरंत ही सीबीआई को सौंपा था. एनडीए सरकार दो साल से सत्ता में है, लेकिन मामले की जांच को आगे बढ़ाने के लिए अभी तक कुछ नहीं किया है.