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पठानकोट हमला: एनएसजी ने नहीं दी थी गॉर्ड्स को रेस्क्यू में मदद

गौरतलब है कि 1 जनवरी 2016 को हुए हमले में 6 एयरफोर्स ऑफिसर्स और 1 एनएसजी जवान शहीद हो गए थे. 30 दिसंबर 2015 की रात को आतंकी पाकिस्तान से बॉर्डर क्रॉस कर बेस पर पहुंचे थे और एक दिन इंतजार करने के बाद साल के पहले दिन हमला बोल दिया था.

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संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 05 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 2:55 PM IST

पठानकोट एयरबेस पर 1 जनवरी 2016 को हुए आतंकी हमले से जुड़े मामले में एक अंग्रेजी अखबार ने बड़ा खुलासा किया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वायुसेना अधिकारी विंग कमांडर अभिजीत सरीन ने एनआईए को दिए गए अपने बयान में दावा किया है कि एयरबेस पर हुए हमले के दौरान आतंकियों द्वारा की जा रही गोलीबारी का सामना कर रहे डिफेंस गार्ड्स ने रेस्कयु के लिए मदद की गुहार की थी लेकिन एनएसजी (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स) ने मदद नहीं की. सरीन ने यह बयान एनआईए को दिया है. एनआईए इन दिनों आतंकी घटना से जुड़े गवाहों के बयान ले रही है.

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सुना था एक मैसेज
हाल ही में एनआईए ने मोहाली के एक स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है जिसमें ये बातें सामने आ रही हैं कि एनएसजी और एयरफोर्स के बीच कुछ विवाद है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विंग कमांडर अभिजीत सरीन का दावा है कि उन्होंने रेडियो सेट पर आतंकियों से लड़ रहे गार्ड्स का एक मैसेज सुना था. मैसेज में गार्ड्स ने कहा, "एक आदमी मर चुका है और दो घायल हैं, हमें रेसक्यु कराइए नहीं तो हम मारे जाएंगे." इसके बाद सरीन ने एनएसजी की कमांडो टीम को लीड कर रहे ऑफिसर ब्रिगेडियर गांगुली से मदद के लिए टीम भेजने को कहा, लेकिन उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया.

नहीं दी प्रतिक्रिया
खबर में यह भी कहा गया है कि सरीन ने एनआईए को दिए अपने बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया और ब्रिगेडियर गांगुली ने कहा कि वे वरिष्ठ अधिकारियों की मंजूरी के बाद ही कुछ बोलेंगे. दूसरी तरफ एनएसजी सूत्रों ने सरीन के दावे को गलत बताया है.

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ब्रिगेडियर गांगुली का बयान
एनएसजी ब्रिगेडियर गांगुली ने एनआईए को दिए बयान में कहा है, "एयरबेस पर फायरिंग की जगह बदली जा रही थी जिसके बाद आतंकी डीएससी लाइन एरिया में पहुंचे थे. आंतकियों को रोकने के लिए एक आर्मी टीम तैयार की गई जिसे ब्रिगेडियर अनुपिंदर बेवली लीड कर रहे थे. आर्मी टीम ने एनएसजी के साथ मिलकर डीएससी लाइन इलाके को घेर लिया था, जहां पर काफी झाड़ियां भी थीं. हमे पूरी जानकारी नहीं थी कि आतंकी कहां छिपे थे, लेकिन उसी समय तक आंतकियों को डीएससी सिपाही जगदीश राम ने डीएससी लॉन एरिया के पास मार गिराया था."

ब्रिगेडियर बेवली का बयान
रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रिगेडियर बेवली ने एनआईए को दिए अपने बयान में कहा है कि उन्होंने भारतीय वायुसेना अधिकारी के कहने पर डीएससी एरिया में फंसे डीएससी अफसरों को निकालने का काम किया था. इसके लिए उन्होंने माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल और एक कॉलम (90 से 100 सैनिक) की मदद ली थी.

साल के पहले दिन किया था हमला
गौरतलब है कि 1 जनवरी 2016 को हुए हमले में 6 एयरफोर्स ऑफिसर्स और 1 एनएसजी जवान शहीद हो गए थे. 30 दिसंबर 2015 की रात को आतंकी पाकिस्तान से बॉर्डर क्रॉस कर बेस पर पहुंचे थे और एक दिन इंतजार करने के बाद साल के पहले दिन हमला बोल दिया था.

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