
पेट्रोल और डीजल के लगातार बढ़ रहे दामों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई है. याचिका में कहा गया है कि एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट 1955 के तहत केंद्र सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वो आवश्यक वस्तुओं को सही दामों पर आम लोगों तक पहुंचाएं.
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी पर लगाम लगाने के लिए इस जनहित याचिका में कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि कोर्ट केंद्र को तुरंत निर्देश दे, जिससे लोगों को पेट्रोल और डीजल के बढ़े दामों से कुछ राहत मिले.
यह जनहित याचिका पूजा मल्होत्रा नाम की महिला ने लगाई है. याचिका में कहा गया है कि तेल कंपनियां फिलहाल जिस रेट पर पेट्रोल और डीजल बेच रही हैं वो सीधे तौर पर एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट 1955 के सेक्शन 3(1)का खुला उल्लंघन है. जिसके लिए उन पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए. दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले में बुधवार को सुनवाई करेगा.
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार के पास यह अधिकार है कि वह वस्तुओं के प्रोडक्शन, डिस्ट्रीब्यूशन और सप्लाई पर पूरा नियंत्रण रखे और फिलहाल जिस तरह से पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी हुई है. इस पर सरकार के तत्काल नियंत्रण करने की जरूरत है.
याचिका में खास तौर से इस बात का जिक्र किया गया है कि केंद्र सरकार अगर चाहे तो पेट्रोल और डीजल के दाम नियंत्रित किए जा सकते हैं. याचिका में कहा गया है कि 2017 में हुए गुजरात चुनाव के दौरान पेट्रोल और डीजल के दामों को बढ़ने नहीं दिया गया. इसके अलावा अभी मई में कर्नाटक में हुए चुनाव के दौरान भी पेट्रोल और डीजल के दामों को नियंत्रण में रखा गया. याचिकाकर्ता का तर्क है कि जब चुनाव के बाद ठीक किया जा सकता है तो अब क्यों नहीं?