
मद्रास हाईकोर्ट में 2000 रुपए के नए करंसी नोट को 'अवैध' करार देने की मांग को लेकर जनहित याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका में कहा गया है कि नए नोट में 'अंकों को दर्शाने के लिए देवनागरी प्रारूप' का इस्तेमाल किया गया है जो कि संविधान की ओर से अधिकृत नहीं हैं.
डीएमके पार्टी से जुड़े याचिकाकर्ता केपीटी गणेशन ने कहा कि नोट पर अंक देवनागरी में छपे है, जो कि आधिकारिक भाषा अधिनियम, 1963 के खिलाफ है. इस अधिनियम में देवनागरी अंकों के इस्तेमाल का कोई प्रावधान नहीं है. गणेशन ने तर्क दिया कि संघ के किसी भी आधिकारिक उद्देश्य के लिए संविधान सिर्फ भारतीय अंकों के अंतरराष्ट्रीय प्रारूप के इस्तेमाल की अनुमति देता है.
गणेशन ने कहा कि यद्यपि ये प्रावधान था कि संविधान लागू होने के 15 साल बाद संसद करंसी नोट पर देवनागरी अंकों का इस्तेमाल करने के लिए कानून पास कर सकती है. लेकिन इस तरह का कोई कानून पास नहीं किया गया.
गणेशन ने दावा किया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट, 1934 के तहत ऐसा कोई प्रावधान भी नहीं है जो सेंट्रल बोर्ड की सिफारिश के बिना 2000 रुपए के बैंक नोट छापने की अनुमति देता हो. गणेशन ने कहा कि इसलिए ये आवश्यक और न्यायोचित होगा कि 2000 के नोटों को 'वैध नही' घोषित किया जाए. बेंच ने इस मामले पर मंगलवार को सुनवाई निर्धारित की है.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काले धन पर बड़ा प्रहार करते हुए 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को अवैध घोषित करने का ऐलान किया था. सरकार ने साथ ही 2000 और 500 के नए करंसी नोट लाने की भी घोषणा की थी.