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एक बार फिर गलत इतिहास बता गए पीएम नरेंद्र मोदी, इस बार मगहर में हुई चूक

प्रधानमंत्री अपने भाषण की कला के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं लेकिन इतिहास से जुड़े तथ्यों की गलतियां करते आ रहे पीएम मोदी मगहर में भी यही चूक कर बैठे. दरअसल, कबीर के 620वें प्राकट्य दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मगहर पहुंचे थे.

पीएम मोदी ने कर दी गलती पीएम मोदी ने कर दी गलती
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2018,
  • अपडेटेड 8:13 PM IST

प्रधानमंत्री अपने भाषण की कला के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं. लेकिन इतिहास से जुड़े तथ्यों की गलतियां करते आ रहे पीएम मोदी मगहर में भी यही चूक कर बैठे.

दरअसल, कबीर के 620वें प्राकट्य दिवस के मौके पर मोदी मगहर पहुंचे थे. यहां उन्होंने सबसे पहले कबीर को नमन किया और उनकी समाधि पर चादर भी चढ़ाई. यूपी के मुख्यमंत्री योगी व दूसरी बीजेपी नेताओं की मौजूदगी में मोदी ने एक जनसभा को भी संबोधित किया.

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पीएम मोदी ने कहा, "समाज को सदियों से दिशा दे रहे मार्गदर्शक, समभाव और समरसता के प्रतिबिम्ब महात्मा कबीर को उनकी ही निर्वाण भूमि से एक बार फिर मैं उन्हें कोटि-कोटि नमन करता हूं. ऐसा कहते हैं कि यहीं पर संत कबीर, गुरु नानकदेव और बाबा गोरखनाथ ने एक साथ बैठकर आध्यात्मिक चर्चा की थी..."

बता दें कि मोदी ने जिन तीन महापुरुषों के एक साथ बैठकर चर्चा करने की बात कही, वह तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है. क्योंकि बाबा गोरखनाथ का काल दोनों संतों से अलग है.

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नाथ संप्रदाय की स्थापना करने वाले बाबा गोरखनाथ का जीवनकाल, संत कबीर और गुरु नानक से बहुत पहले का है. बाबा गोरखनाथ का जन्म 11वीं शताब्दी में हुआ था. जबकि 120 साल जीवित रहने वाले संत कबीर का जन्म 14वीं शताब्दी (1398 से 1518) के आखिर में हुआ था.

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गुरु नानक का काल 15वीं शताब्दी से 16वीं शताब्दी (1469-1539) के बीच का है. एक ही दौर में होने की वजह से गुरु नानक और संत कबीर की मुलाकात की बात तो समझ में आती है, लेकिन इन दोनों महापुरुषों से कई साल पहले हुए गोरखनाथ की आध्यात्मिक चर्चा समझ से परे है.

नीचे वीडियो में सुनें मोदी की तथ्यात्मक भूल-

पहले भी हुईं हैं ऐसी गलतियां

ऐसा पहली बार नहीं है जब अपने भाषण में इतिहास का तथ्य बताते हुए मोदी गलती कर गए हों. इससे पहले भी वर्ष 2013 में पटना की बहुचर्चित रैली में नरेंद्र मोदी ने "बिहार की शक्ति" का उल्लेख करते हुए सम्राट अशोक, पाटलिपुत्र, नालंदा के साथ तक्षशिला का भी नाम ले लिया था. जबकि तथ्य ये है कि तक्षशिला पंजाब का हिस्सा रहा है और अब पाकिस्तान में है.

अमरीका दौरे में भी इतिहास के तथ्य को भी पीएम मोदी ने गलत पेश कर दिया था. उन्होंने अपने भाषण में कोणार्क के सूर्य मंदिर को 2000 साल पुराना बता दिया था जबकि ये 700 साल पुराना ही है.

मोदी ने एक बार कहा था कि जब हम गुप्त साम्राज्य की बात करते हैं कि हमें चंद्रगुप्त की राजनीति की याद आती है. दरअसल, मोदी जिस चंद्रगुप्त का और उनकी राजनीति का जिक्र कर रहे थे, वो मौर्य वंश के थे. गुप्त साम्राज्य में चंद्रगुप्त द्वितीय हुए थे.

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