
संसद का बजट सत्र शुरू होने से ठीक पहले ही कांग्रेस ने बजट को लेकर अपनी रणनीति साफ कर दी थी. पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने बाकायदा एलान किया कि बजट का मतलब जुमलों की बारिश होगा. कांग्रेस ने अपने तेवर बुधवार को उस वक्त भी दिखा दिए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद चर्चा में बोलने के लिए खड़े हुए.
सदन में प्रधानमंत्री के बोलने से पहले ही आंध्र प्रदेश के टीडीपी सांसद राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग को लेकर वेल में आकर नारे लगा रहे थे. जैसे ही पीएम बोलने के लिए खड़े हुए, उन्होंने साथ ही बैठे गृह मंत्री राजनाथ सिंह की तरफ देखा. राजनाथ सिंह ने पीएम को आश्वस्त करने के अंदाज में संकेत दिया कि नारे लगाने वाले अब अपनी सीटों पर चले जाएंगे.
इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री अनंत हेगड़े और अर्जुन मेघवाल ने नारे लगाने वाले टीडीपी सांसदों से अपनी सीटों पर जाने की गुजारिश भी की. इसका असर हुआ और टीडीपी सांसद अपनी सीटों की ओर जाने भी लगे.
टीडीपी सांसदों को सीटों की ओर लौटते देख कुछ कांग्रेस सांसदों ने तंज कसा कि अब आंध्र को विशेष दर्जा नहीं चाहिए, फिक्सिंग हो गई. इस पर कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और वेणुगोपाल की टीडीपी सांसदों से कुछ तकरार भी हुई. जैसे ही आंध्र के सांसद अपनी सीटों पर पहुंचे, कांग्रेस आलाकमान का इशारा मिलते ही पार्टी सांसद वेल में आ गए.
इसके बाद प्रधानमंत्री डेढ़ घंटे तक भाषण देते रहे और जब तक वे बोले कांग्रेस सांसद वेल में जोर जोर से नारे लगाते रहे. वो नारे लगा रहे थे- राफेल डील में क्या हुआ? रोजगार का क्या हुआ, किसानों का क्या हुआ, 15 लाख का क्या हुआ, जुमलेबाजी बन्द करो, झूठ बोलना बन्द करो आदि. नारे लगाने के साथ वो राफेल को लेकर प्लेकार्ड भी दिखाते रहे. पीएम मोदी ने इस शोर शराबे के बीच ही अपना भाषण पूरा किया. पीएम का भाषण खत्म होते ही सोनिया गांधी ने मीडिया से बिना कैमरे और राहुल ने कैमरे पर बात करके मोदी पर पलटवार किया.
लोकसभा में कांग्रेस का आक्रामक रवैया देखकर यही लगा कि राज्यसभा में तो बीजेपी के पास बहुमत नहीं है, ऐसे में यहां तो जब मोदी बोलेंगे तो कांग्रेस सांसद मुश्किलें और बढ़ाएंगे. लेकिन हुआ ठीक उलट.
लोकसभा की तर्ज पर मोदी ने राज्यसभा में अपने भाषण में नेहरु- गांधी परिवार और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. भ्रष्टाचार और बोफोर्स का नाम लेकर ग्रैंड ओल्ड पार्टी की खूब लानत-मलानत की. लेकिन लोकसभा के उलट कांग्रेसी सांसद में वेल में नहीं आये. वो बीच बीच में टीका- टिप्पणी करके विपक्ष होने की रस्म अदायगी जरूर करते रहे. ऐसे में लोकसभा के नजारे के बाद जो कयास लगाए जा रहे थे कि राज्यसभा में पीएम मोदी के भाषण के दौरान बड़ा हंगामा होगा, ऐसा कुछ नहीं हुआ.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक राज्यसभा में पीएम के भाषण के दौरान वेल में आकर हंगामा नहीं कर पाने की अपनी टीस है. दरअसल, राज्यसभा में कांग्रेस की दिक्कत ये है कि, ऊपरी सदन में कांग्रेस के ज़्यादातर नेता या तो बुजुर्ग हैं या फिर बहुत सीनियर हैं. ऐसे में इतनी देर तक वेल में लगातार हंगामा या नारेबाजी कर पाना मुमकिन नहीं है.
एक वरिष्ठ नेता ने 'आज तक' को बताया कि लोकसभा में कांग्रेस के पास सुष्मिता देव, रंजीत रंजन, गौरव गोगोई, दीपेंद्र हुड्डा , निनोंग इरिंग, केसी वेणुगोपाल, के सुरेश, राजीव सातव और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे कई युवा हैं. वहीं राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, अम्बिका सोनी, आनंद शर्मा, जयराम रमेश, पी. चिदंबरम, मनमोहन सिंह, एके एंटनी, मोहसिना किदवई, दिग्विजय सिंह सरीखे बुजुर्ग और वरिष्ठ नेता हैं. राज्यसभा में कांग्रेस के बाकी सदस्यों में भी खासे उम्रदराज हैं.
ऊपरी सदन में 60 साल की उम्र के आसपास के नेताओं में रेणुका चौधरी, राजीव गौड़ा, कुमारी शैलजा, राजीव शुक्ल ही हैं. कुल मिलाकर राज्यसभा में कांग्रेस के पास युवाओं का टोटा है. ऐसी स्थिति में कांग्रेस को राज्यसभा में सरकार को घेरने के लिए रणनीति बनाते वक्त आगे भी आज जैसी दिक्कत से दो-चार होना पड़ सकता है.