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लिंचिंग पर PM मोदी ने तोड़ी चुप्पी, विपक्ष को राजनीति न करने की नसीहत

मॉब लिंचिंग और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस तरह की घटनाओं पर राजनीति करने के बजाय समाज में एकता और अखंडता सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना चाहिए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फाइल फोटो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फाइल फोटो
विवेक पाठक
  • नई दिल्ली,
  • 12 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 9:57 AM IST

देश में बढ़ रही मॉब लिंचिग की घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इस तरह की एक भी घटना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है, हर किसी को राजनीति से ऊपर उठकर समाज में शांति और एकता सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना चाहिए.

समाचार एजेंसी एएनआई को दिये एक साक्षात्कार में पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने और उनकी पार्टी (बीजेपी) ने कई मौकों पर स्पष्ट शब्दों में ऐसी घटनाओं और ऐसी मानसिकता वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है. इस तरह की एक भी घटना दुर्भाग्पूर्ण है. हर किसी को समाज में शांति और एकता सुनिश्चित करने के लिए राजनीति से ऊपर उठना चाहिए.

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प्रधानमंत्री मोदी ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं को अपराध करार देते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं (मॉब लिंचिंग) को महज आंकड़ों तक सीमित रख कर राजनीति करना एक मजाक होगा. एक होकर इस तरह की घटनाओं का विरोध करने के बजाय अपराध और हिंसा जैसी घटनाओं का राजनीतिक फायदा उठाना एक विकृत मानसिकता का परिचायक है.

महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध पर मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री का कार्यभार ग्रहण करते ही उन्होंने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि महिलाओं की मर्यादा की रक्षा करना सरकार, समाज, परिवार सभी की जिम्मेदारी है. सरकार के स्तर पर हमने महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं जिसमें कुछ अपराधों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया है.

बता दें कि गृह मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार साल 2014 से 3 मार्च 2018 तक देश के नौ राज्यों में मॉब लिंचिंग की 40 घटनाओं में 45 लोगों की हत्या हुई है.

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वहीं, गोरक्षा के नाम पर लिंचिंग को लेकर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा कि देश में भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को लिंचिंग रोकने से संबंधित दिशा निर्देश को लागू करने का भी आदेश देते हुए इस तरह के अपराध रोकने के लिए विधायिका को कानून बनाने के निर्देश दिए थे.

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