
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से जनसंख्या विस्फोट पर चिंता जताई तो अब भविष्य में सरकार की ओर से जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की अटकलें लगने लगीं हैं. इन अटकलों को शुक्रवार को और बल मिला, जब जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुके बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय प्रजेंटेशन देने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचे. उन्होंने पीएमओ में लंबा-चौड़ा प्रजेंटेशन भी दे दिया. अश्विनी उपाध्याय ने प्रजेंटेशन में कहा कि अटल बिहारी सरकार की ओर से 2000 में गठित वेंकटचलैया आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की सिफारिश की थी.
मगर 2004 के चुनाव में हार के चलते एनडीए सरकार के बाहर होने से यह कानून नहीं बन सका. चूंकि आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए दायर जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट गृह मंत्रालय से जवाब मांग चुका और इस पर तीन सितंबर को सुनवाई है. उपाध्याय ने बताया कि जनसंख्या नियंत्रण कानून किसी अंतरराष्ट्रीय संधि या मानवाधिकार का उल्लंघन भी नहीं करता.
वेंकटचलैया आयोग ने सुझाया था फॉर्मूला
बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने शुक्रवार की सुबह पीएमओ में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर प्रजेंटेशन दिया. उन्होंने इस कानून की जरूरत के पीछे कई तर्क दिए. उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 11 सदस्यीय संविधान समीक्षा आयोग (वेंकटचलैया आयोग) ने 2 वर्ष की मेहनत के बाद संविधान में आर्टिकल 47A जोड़ने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था जिसे आजतक लागू नहीं किया गया. अब तक 125 बार संविधान संशोधन हो चुका है, कई बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी बदला जा चुका है. सैकड़ों नए कानून बनाये गए लेकिन देश के लिए सबसे ज्यादा जरूरी जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया, जबकि “हम दो-हमारे दो” कानून से देश की 50% समस्याओं का समाधान हो जाएगा.
संबंधित आयोग में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वेंकटचलैया इसके अध्यक्ष तथा जस्टिस सरकारिया, जस्टिस जीवन रेड्डी और जस्टिस पुन्नैया इसके सदस्य थे. पूर्व अटॉर्नी जनरल केशव परासरन तथा सोली सोराब, लोकसभा के महासचिव सुभाष कश्यप, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष संगमा, सांसद सुमित्रा, वरिष्ठ पत्रकार सीआर ईरानी और अमेरिका में भारत के राजदूत रहे वरिष्ट नौकरशाह आबिद हुसैन भी इस आयोग के सदस्य थे. वेंकटचलैया आयोग ने 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी था. इसी आयोग के सुझाव पर मनरेगा, राईट टू एजुकेशन, राईट टू इनफार्मेशन और राईट टू फूड जैसे महत्वपूर्ण कानून बनाये गए लेकिन जनसंख्या नियंत्रण कानून पर संसद में चर्चा भी नहीं हुयी.
डेढ़ सौ करोड़ हुई जनसंख्या
बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने गुरुवार को दिए अपने चार पेज के प्रजेंटेशन में कहा कि मौजूदा समय 124 करोड़ भारतीयों के पास आधार है. लगभग 20 प्रतिशत नागरिक (विशेष रूप से बच्चे) बिना आधार के हैं तथा 5 करोड़ बंगलादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं. इससे स्पष्ट है कि हमारे देश की जनसंख्या 135 करोड़ नहीं बल्कि 150 करोड़ से ज़्यादा है और हम चीन से आगे निकल चुके हैं. यदि संसाधनों की बात करें तो हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की लगभग 2% और पीने योग्य पानी 4% है लेकिन जनसंख्या 20% है. यदि चीन से तुलना करें तो क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है लेकिन जनसंख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है. चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं.
50 फीसदी समस्याओं के पीछे जनसंख्या विस्फोट
देश में मौजूद जल जंगल जमीन, रोटी कपड़ा मकान और गरीबी बेरोजगारी भुखमरी आदि समस्याओं के पीछे जनसंख्या विस्फोट को कारण बताया गया है. टेम्पो बस और रेल में भीड़, थाना तहसील और जेल में भीड़ तथा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भीड़ का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है. चोरी डकैती झपटमारी घरेलू हिंसा तथा महिलाओं पर शारीरिक मानसिक अत्याचार ही नहीं बल्कि अलगाववाद कट्टरवाद और पत्थरबाजी का मूल कारण भी जनसंख्या विस्फोट है. चोर डकैत झपटमार बलात्कारियों और भाड़े के हत्यारों पर सर्वे करने से पता चलता है कि 80% से अधिक अपराधी ऐसे हैं जिनके मां-बाप ने “हम दो-हमारे दो” नियम का पालन नहीं किया. इससे स्पष्ट है कि भारत की 50% से अधिक समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है.
वर्ल्ड रैंकिंग में पिछड़े होने के पीछे जनसंख्या विस्फोट
उपाध्याय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की दयनीय स्थिति का मुख्य कारण भी जनसंख्या विस्फोट है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम 103वें स्थान पर, साक्षरता दर में 168वें स्थान पर, वर्ल्ड हैपिनेस इंडेक्स में 140वें स्थान पर, ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में 130वें स्थान पर, सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स में 53वें स्थान पर, यूथ डेवलपमेंट इंडेक्स में 134वें स्थान पर, होमलेस इंडेक्स में 8वें स्थान पर, लिंग असमानता में 76वें स्थान पर, न्यूनतम वेतन में 64वें स्थान पर, रोजगार दर में 42वें स्थान पर, क्वालिटी ऑफ़ लाइफ इंडेक्स में 43वें स्थान पर, फाइनेंसियल डेवलपमेंट इंडेक्स में 51वें स्थान पर, करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में 78वें स्थान पर, रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स में 66वें स्थान पर, एनवायरनमेंट परफॉरमेंस इंडेक्स में 177वें स्थान पर तथा पर कैपिटा जीडीपी में 139वें स्थान पर हैं लेकिन जमीन से पानी निकालने के मामले में हम दुनिया में पहले स्थान पर हैं, जबकि हमारे पास पीने योग्य पानी मात्र 4% है.
प्रदूषण के पीछे भी जनसंख्या
प्रत्येक वर्ष हम लोग 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाते हैं और प्रदूषण नियंत्रण को लेकर पिछले 5 साल में बहुत से प्रयास भी किये गये हैं लेकिन जनसख्या विस्फोट के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और इसका मूल कारण भी जनसंख्या विस्फोट है इसलिए चीन की तर्ज पर एक कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून के बिना स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत अभियान का शत-प्रतिशत सफल होना मुश्किल ही नहीं नामुनकिन है.
भगवान राम ने दिया था- हम दो हमारे दो का संदेश
बीजेपी नेता अश्निनी उपाध्याय ने पीएमओ को दिए प्रजेंटेशन में कहा है कि टैक्स देने वाले "हम दो-हमारे दो" नियम का पालन करते हैं लेकिन मुफ्त में रोटी कपड़ा मकान और अन्य सरकारी लाभ लेने वाले जनसंख्या विस्फोट कर रहे हैं. हजारों साल पहले भगवान राम ने "हम दो-हमारे दो" नियम की शुरुआत किया था और आम जनता को संदेश देने के लिए लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न सहित स्वयं “हम दो-हमारे दो” नियम का पालन किया था, जबकि उस समय जनसंख्या विस्फोट की समस्या इतनी खतरनाक नहीं थी. सभी राजनीतिक दल स्वीकार करते हैं कि जनसंख्या विस्फोट वर्तमान समय में बम विस्फोट से अधिक खतरनाक है.
दो करोड़ को जब तक घर देंगे, तब तक 10 करोड़ बेघर पैदा होंगे
पीएमओ को दिए प्रजेंटेशन में अश्निनी उपाध्याय ने तर्क दिया कि जब तक 2 करोड़ बेघरों को घर दिया जायेगा तब तक 10 करोड़ बेघर और पैदा हो जाएंगे. इसलिए एक नया कानून ड्राफ्ट करने में समय खराब करने की बजाय चीन के जनसंख्या नियंत्रण कानून की तर्ज पर संसद में कानून पेश करना चाहिए. जो व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करे उसका राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता, बिजली कनेक्शन और मोबाइल कनेक्शन बंद होना चाहिए. इसके साथ ही जनसंख्या नियंत्रण कानून तोड़ने वालों पर सरकारी नौकरी और चुनाव लड़ने तथा राजनीतिक दल का पदाधिकारी बनने पर भी आजीवन प्रतिबंध होना चाहिए. ऐसे लोगों को सरकारी स्कूल, हॉस्पिटल सहित अन्य सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित करना चाहिये और 10 साल के लिए जेल भेजना चाहिए.