
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 30 मार्च से शुरू होने वाली अपनी तीन देशों की यात्रा के तहत सऊदी अरब जाएंगे. इस दौरान वह परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में शिरकत करने के लिए अमेरिका भी जाएंगे. इस कार्यक्रम में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी हिस्सा लेंगे.
ये रहेगा मोदी का कार्यक्रम
मोदी की यात्रा 30 मार्च को शुरू होगी. वह भारत-ईयू शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बेल्जियम जाएंगे. 31 मार्च को वह वॉशिंगटन में एनएसएस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. इसके बाद वह द्विपक्षीय वार्ता के लिए 2 अप्रैल को दो दिन की यात्रा पर सउदी अरब जाएंगे. वहां, वह सउदी नेताओं से क्षेत्रीय और व्यापार एवं उर्जा सहित द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत करेंगे क्षेत्र के मौजूदा हालात और सउदी अरब एवं ईरान के बीच तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए मोदी की इस यात्रा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है .
भारत का बड़ा साझेदार है सउदी
सउदी अरब, भारत को सबसे ज्यादा कच्चा तेल आपूर्ति करता है. भारत की जरूरत के कच्चे तेल का तकरीबन 20 फीसद सउदी अरब से आता है. वह भारत का चौथा बड़ा व्यापार साझीदार है. सउदी अरब में बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय रहते हैं.
मोदी और शरीफ कर सकते हैं मुलाकात
सउदी अरब जाने से पहले प्रधानमंत्री एनएसएस के लिए वॉशिंगटन जाएंगे जहां पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री सहित तकरीबन 50 देशों के नेता उपस्थित रहेंगे. समारोह से इतर मोदी और शरीफ के बीच संभावित बातचीत पर अधिकारियों ने कुछ भी नहीं कहा. विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों नेताओं ने हाल के दिनों में पेरिस और लाहौर में अचानक बैठक की थी. ऐसे में दोनों के लिए एक-दूसरे की अनदेखी करना मुश्किल होगा. मोदी के बिना किसी घोषणा के 25 दिसंबर को कुछ देर के लिए लाहौर जाने के बाद यह पहला मौका होगा जब दोनों नेता एक जगह होंगे.
पठानकोट हमले के बाद रुकी बातचीत
पिछले साल दिसंबर में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस्लामाबाद दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच समग्र बातचीत बहाली की घोषणा की गई थी. उसके बाद पठानकोट आतंकवादी हमला हुआ था, जिसके कारण भारत-पाक विदेश सचिव स्तरीय निर्धारित बातचीत रोक दी गई थी. यह वार्ता जनवरी की शुरूआत में होने वाली थी।
बेल्जियम में चार साल के अंतराल के बाद प्रधानमंत्री भारत-ईयू शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. पिछला शिखर सम्मेलन 2012 में आयोजित किया गया था.
भारत-ईयू संबंधो में खटास
पिछले साल अप्रैल में फ्रांस, जर्मनी और कनाडा के अपनी यात्रा के दौरान मोदी के ईयू के मुख्यालय ब्रुसेल्स के संक्षिप्त दौरे का भारत के प्रस्ताव पर 28 सदस्यीय संघ ने बेरूखी जताई थी. इसके बाद भारत-ईयू संबंधों में कुछ तनाव आ गया था. इसके चलते भारत ने भी पिछले साल नवंबर में मोदी के ब्रिटेन दौरे के दौरान उनकी यात्रा को अंतिम रूप देने के ईयू के प्रयासों पर ठंडी प्रतिक्रिया दी थी.