
72वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. इस दौरान उन्होंने तमिलनाडु के कवि सुब्रमण्यम भारती की एक तमिल कविता पढ़ी. जिसका मतलब है, 'भारत दुनिया के हर बंधन से मुक्ति पाने का रास्ता दिखाएगा.' साथ ही उन्होंने कवि श्री अरविंद का भी जिक्र किया और उनकी रचना 'राष्ट्र एक विशाल शक्ति है' के बारे में बताया.
उन्होंने अपने भाषण के आखिरी में एक कविता पढ़ी और और इस कविता के माध्यम से कभी ना झुकने का संदेश दिया.
नरेंद्र मोदी ने भाषण के आखिर में पढ़ी ये कविता-
अपने मन में एक लक्ष्य लिए
मंजिल अपनी प्रत्यक्ष लिएहम तोड़ रहे हैं जंजीरे
हम बदल रहे हैं तस्वीरें
ये नव युग है, ये नव भारत है
ये नव युग है, ये नव भारत है
हम खुद लिखेंगे अपनी तकदीर
हम बदल रहे हैं तस्वीर, खुद लिखेंगे अपनी तकदीर
हम निकल पड़े हैं प्रण करके
अपना तन-मन अप्रण करके
जिद है, एक सूर्य अगाना है
अंबर से ऊंचा जाना है
एक भारत नया बनाना है
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