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दार्जिलिंग: बिमल गुरुंग के घर छापे से भड़के समर्थक, फूंका थाना, पटलाभास में GJM का ऑफिस सील

हालांकि गुरूंग उस समय अपने घर पर मौजूद नहीं थे, लेकिन पार्टी की कई महिला कार्यकर्ता वहां मौजूद थी. छापेमारी के दौरान पुलिस करीब आधे घंटे तक वहां मौजूद रही और छानबीन करती रही. पुलिस ने वहां से तीर-कमान, खुर्खी, चाकू समेत कई हथियार बरामद किए गए.

GJM प्रमुख के घर पुलिस छापे से भड़के समर्थक GJM प्रमुख के घर पुलिस छापे से भड़के समर्थक
इंद्रजीत कुंडू
  • दार्जिलिंग,
  • 15 जून 2017,
  • अपडेटेड 1:45 PM IST

पश्चिम बंगाल पुलिस ने गुरुवार सुबह गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख बिमल गुरुंग के दार्जिलिंग स्थित आवास पर छापा मारा है. पुलिस भारी बल के साथ उनके घर पहुंची थी. बंगाल पुलिस के साथ-साथ CIF भी वहां पहुंची. यह छापा दार्जिलिंग के SP अखिलेश चतुर्वेदी की अगुवाई में लगा.

बिमल गुरुंग के घर पुलिस छापे के बाद उनके समर्थक भड़क गए हैं, कई समर्थकों ने कलिमपोंग जिले के पेडोंग थाने में आग लगा दी है. पटलाभास में जीजेएम का ऑफिस पुलिस ने सील कर दिया. हंगामे के दौरान जीजेएम समर्थकों ने पुलिस वालों पर पत्थरबाजी भी की, वहीं कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया.

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हालांकि गुरुंग उस समय अपने घर पर मौजूद नहीं थे, लेकिन पार्टी की कई महिला कार्यकर्ता वहां मौजूद थी. छापेमारी के दौरान पुलिस करीब आधे घंटे तक वहां मौजूद रही और छानबीन करती रही. पुलिस ने वहां से तीर-कमान, खुर्खी, चाकू समेत कई हथियार बरामद किए गए.

इस प्रकार के सामान मिलने पर GJM नेता बिनय तमंग ने कहा कि इस प्रकार के तीर-कमान और चाकू हमारे परंपरा का हिस्सा है. हम लोग आदिवासी हैं इसलिए इस प्रकार के हथियार हमारे पास हैं.

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आपको बता दें कि इससे पहले दार्जिलिंग में चल रहे राजनीतिक संकट ने नया मोड़ ले लिया है जहां जीएनएलएफ ने आंदोलन में जीजेएम से हाथ मिलाने के बाद टीएमसी से गठबंधन तोड़ लिया है. पार्टी ने कहा कि वह गठन के बाद से ही गोरखालैंड के लिए लड़ रही है. गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट के साथ गठबंधन से उत्साहित गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख बिमल गुरुंग ने अलग गोरखालैंड के लिए आंदोलन को तेज करने की धमकी दी. वहीं सरकारी कार्यालयों और गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन के कार्यालयों में आज तीसरे दिन भी बंद रहा.

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तेज तर्रार नेता सुभाष घिसिंग के नेतृत्व में बने जीएनएलएफ ने अस्सी के दशक में गोरखालैंड के लिए हिंसक आंदोलन की शुरुआत की थी जिसके बाद दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल का गठन किया गया था. गुरुंग जीएनएलएफ से अगल हो गए थे और 2007 में जीजेएम की स्थापना की थी और इसके बाद वह पहाड़ों में बड़ी ताकत के रूप में उभरे थे.

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