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तनख्वाह को कैशलेस करने के अध्यादेश की खबरों पर विपक्ष ने उठाए सवाल

सरकार नये नियम को तत्काल लागू करने के लिए कानून में संशोधन को लेकर अध्यादेश ला सकती है. अध्यादेश छह महीने के लिये ही वैध होता है. सरकार को इस अवधि में इसे संसद में पारित कराना होता है.

वृंदा ने उठाए सरकार पर सवाल वृंदा ने उठाए सरकार पर सवाल
हिमांशु मिश्रा/मौसमी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 5:46 PM IST

नोटबंदी के बाद कैशलेस पेमेंट को बढ़ावा देने में जुटी मोदी सरकार जल्द ही एक अहम फ़ैसला ले सकती है. सूत्रों के मुताबिक़ कैबिनेट की बैठक में सरकार एक ऐसे अध्यादेश पर मुहर लगा सकती है जिसके तहत कर्मचारियों को कैश में तनख़्वाह देने पर पाबंदी लग सकती है. अध्यादेश को मंज़ूरी मिलने के बाद तनख़्वाह या तो चेक से दिया जा सकेगा या फिर सीधे कर्मचारियों के बैंक खातों में देना होगा.

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अध्यादेश आने से पहले ही राजनीतिक दलों के बयान आने शुरू हो गए हैं, लेफ्ट की नेता वृंदा करात ने कहा कि सरकार इस पर अध्यादेश क्यों ला रही है, जबकि संसद का सत्र हाल ही में खत्म हुआ है सरकार को इसे संसद में पेश करना चाहिए था. वृंदा करात बोलीं कि अभी देश में कई मजदूरों के बैंक खाते नहीं है, यह कदम मजदूरों और गरीबों के खिलाफ है.

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा पहले से ही आरबीआई लगातार नियमों में बदलाव कर रहा है, अब सरकार इस अध्यादेश की बात कर रही है. सवाल यह उठता है कि क्या पीएम मोदी और अरूण जेटली ने सच्चाई से संपर्क बिल्कुल तोड़ दिया है. आखिर देश में कितने मजदूर ऐसे हैं जो चैक से सैलरी लेना चाहेंगे जबकि यह ऑप्शनल है.

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गौरतलब है कि सरकार नये नियम को तत्काल लागू करने के लिए कानून में संशोधन को लेकर अध्यादेश ला सकती है. अध्यादेश छह महीने के लिये ही वैध होता है. सरकार को इस अवधि में इसे संसद में पारित कराना होता है. वेतन भुगतान (संशोधन) विधेयक 2016 में मूल कानून की धारा छह में संशोधन का प्रस्ताव करता है ताकि नियोक्ता अपने कर्मचारियों को वोतन चैक या इलेक्ट्रानिक रूप से सीधे उनके बैंक खातों में भेज सके.

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