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JDU ने बदला सियासी खेमा, कांग्रेस ने कहा- 'सत्ता के भोगी'

राजीव शुक्ला ने कहा, "नीतीश जी मुख्यमंत्री बन गए हैं, बधाई हो. लेकिन, जनता ने बीजेपी के खिलाफ वोट दिया था, तीन चौथाई बहुमत दिया था गठबंधन को, अब इसमें कोई टूट कर चला जाए तो जनता को बुरा लगेगा."

नीतीश के फैसले के समर्थन में लगा पोस्टर नीतीश के फैसले के समर्थन में लगा पोस्टर
मौसमी सिंह/सिद्धार्थ तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 27 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 2:55 PM IST

इस्तीफा देने के चंद घंटों बाद ही नीतीश कुमार ने एक बार फिर बिहार की सत्ता संभाल ली है. गुरुवार सुबह उन्होंने छठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ ली. इस बार जेडीयू को आरजेडी की जगह बीजेपी का समर्थन मिला हुआ है और उप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर एक बार फिर सुशील मोदी विराजमान हुए हैं. इस मौके पर 'आज तक' ने कुछ राजनेताओं से उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की. एक ओर जहां कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने इशारा किया कि नीतीश ने जो किया सही नहीं किया वहीं दूसरी ओर जेडीयू नेता के सी त्यागी ने राहुल गांधी के बयान की निंदा की.

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राजीव शुक्ला ने कहा, "नीतीश जी मुख्यमंत्री बन गए हैं, बधाई हो. लेकिन, जनता ने बीजेपी के खिलाफ वोट दिया था, तीन चौथाई बहुमत दिया था गठबंधन को, अब इसमें कोई टूट कर चला जाए तो जनता को बुरा लगेगा."

उन्होंने आगे कहा, "जब लोग सरकार के साथ जाना पसंद करते हैं तो ऐसा होता है. सिद्धांत अपनी जगह हैं. पहले उनका कहना था कि वे सांप्रदायिकता के साथ नहीं जाएंगे. एक नया रुख लेना चाहिए था. उन्होंने कहा था कि वो तबाह हो जाएं मिट्टी में मिल जाएं लेकिन बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे, अब उन्होंने इस को बदला है, ठीक है अब राजनीति में ऐसा होता है. इसे ऐसे ही लेना चाहिए."

नीतीश के इस्तीफे पर टिप्पणी पर करते हुए राजीव शुक्ला ने कहा, "भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में कोई भी मुख्यमंत्री तमाम दूसरे कदम उठा सकता है, खुद अपना इस्तीफा थोड़े ही देता है."

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कांग्रेस के पक्ष पर बोलते हुए उन्होंने कहा, "कांग्रेस अपने ढंग से विपक्ष में रहकर अपने ढंग से लड़ाई लड़ती रहेगी. अपने सिद्धांतों पर पूरी तरीके से कायम रहेगी. कांग्रेस का अपना एक आधार है. लालू जी के साथ हम बने हुए हैं, वह गठबंधन अभी भी बना हुआ है, अभी नहीं टूटा है."

हां हम अवसरवादी हैं: केसी त्यागी

नीतीश के सियासी कदम पर राहुल गांधी की टिप्पणी के बाद जेडीयू नेता के सी त्यागी ने राहुल गांधी पर पलटवार किया. उन्होंने कहा, "अच्छा है कि राहुल गांधी नीतीश को अवसरवादी बता रहे हैं पर भ्रष्टाचारी तो नहीं बता रहे हैं. तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं. उनके खिलाफ है, वह बड़े नेता हैं, हमें इस बात का अफसोस है कि उन्होंने एक बार भी लालू यादव और उनके बेटे से इन आरोपों के बारे में नहीं पूछा. इस्तीफे के लिए कभी जेडीयू ने कोई दबाव नहीं दिया था."

राहुल की टिप्पणी पर बोलते हुए उन्होंने कहा, "राजनीति में जो बड़े नेता होते हैं उनको परसेप्शन की लड़ाई लड़ना होता है. उन्हें लोकलाज से चलना चाहिए. तेजस्वी यादव को अपने ऊपर लगे आरोपों पर अपनी स्थिति जनता में स्पष्ट करने थी जो उन्होंने कभी नहीं की. हमें भी अंदाजा नहीं था कि जब ईमानदारी और भ्रष्टाचार के बीच में चुनना पड़ेगा तो राहुल गांधी भ्रष्ट तेजस्वी का साथ देंगे ना की ईमानदार नीतीश का. हां हम अवसरवादी हैं कि हमने भ्रष्टाचार से समझौता करने से इनकार कर दिया. हां हम अवसरवादी हैं कि हमने बिहार सरकार को यूपीए की तरह बर्बादी की ओर नहीं जाने दिया. हां हमने बिहार की जनता से स्वच्छ प्रशासन का वादा किया था और हम उस पर टिके हुए हैं. राहुल गांधी ने इस ऐतिहासिक मौके पर अपनी छवि के विरुद्ध जाकर उन्होंने भ्रष्ट तेजस्वी यादव को चुना ना कि ईमानदार नीतीश कुमार को. नीतीश को राहुल गांधी से मुलाकात हुए 1 सप्ताह हो गया है. सोनिया से मुलाकात किए 1 महीने से ज्यादा हो गया. एक बार भी उस पार्टी के किसी नेता ने नहीं कहा हमसे, ना उनसे कोई संपर्क साधा, ना इस मामले को सुलझाने में कोई मदद की."

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उन्होंने कहा, 19 तारीख को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है, क्या उसमें अली अनवर साहब बात कह सकते हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड, आर्टिकल 377 पर स्टैंड जस का तस है. राष्ट्रीय मुद्दों पर हमारी राय वैसी ही है."

सत्ता के भोगी हैं नीतीश और बीजेपी: रणदीप सुरजेवाला

बिहार की राजनीतिक उठापटक पर बोलते हुए कांग्रेसी नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "इस नाटक के दोनों खलनायक नीतीश और बीजेपी हैं. ये सत्ता के भोगी हैं, 17 जुलाई को मोदी ने मुजफ्फरपुर बिहार में नीतीश के डीएनए में गड़बड़ है कहा था. अब ये साबित हो गया है कि दोनों का डीएनए एक है. अवसरवादिता, सत्ता की भूख दोनों पार्टियों का डीएनए है. इस गठबंधन में भी तीनों दलों की सहमति थी, जदयू ने सबसे कम प्रतिशत सीटें जीती थीं इसके बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष की सहमति से नीतीश को महागठबंधन का नेता बनाया गया. सत्ताभोगी जेडीयू और अवसरवादी भाजपा एक साथ हो गई. नीतीश आयाराम गयाराम की सियासत कर रहे हैं. जदयू और बीजेपी की सरकार को एक दिन भी सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं. साम दंड भेद भाजपा की सियासत. गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड, अरुणाचल और अब बिहार में यही आया राम गया राम का षड्यंत्र."

हम महागठबंधन का हिस्सा नहीं थे: बृंदा करात

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हम यह कहेंगे पहली बात और मुख्य बात आज RSS और BJP से लोहा लेने वाली शक्ति देश भर में केवल और केवल वामपंथी हैं. जितने भी लोग हैं नीतीश कुमार जैसे यह तो उनके प्रतीक बन गए हैं, उनके लिए कुछ और नहीं है बल्कि यही है कि कुर्सी कैसे बचा कर रखें. यही उनके लिए है इसलिए यह लोग RSS और BJP से लड़ नहीं सकते हैं. जो लोग सोच रहे थे कि यह सब 1 और 1....2 बनता है बगैर उसूल और बगैर सिद्धांत के. उनके लिए है कि वह झांके अपने अंदर. RSS और BJP के लिए सिर्फ और सिर्फ एक ही लक्ष्य है कि वह कुछ भी करके हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनाएंगे. नीतीश कुमार उनके सामने क्या हैं जो संविधान को नहीं मानते हैं, धज्जियां उड़ाते हैं, उनके खिलाफ लोहा लेने के लिए ऐसे लोग जो पहले से ही उनके गोद में बैठे हुए हैं उनके ऊपर भरोसा करके. कोई सही विरोध विरोध RSS और BJP का नहीं बन सकता है इसलिए हमारी पार्टी 3 साल से जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं हमने यही कहा है वामपंथी जनवादी ताकतें मोर्चा बनाकर मजबूत बनाकर लड़ सकते हैं. आज देखिए केरल और त्रिपुरा को कैसे यह लोग का टारगेट कर रहे हैं क्योंकि इन्हें पता है वहां पर कोई नीतीश कुमार नहीं है.

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उन्होंने आगे कहा, "हम मध्यस्थता करते इनके बीच, कोई भी सवाल ही नहीं पैदा होता है. यह स्पष्ट कर लीजिए हम महागठबंधन का हिस्सा नहीं थे. हमारा गठबंधन राम गठबंधन किसानों मजदूरों का गठबंधन है. यह जो सब बैठे हुए हैं वह क्या करेंगे क्या नहीं करेंगे वह देखेंगे. आज जो RSS और सांप्रदायिकता का जो हमला है वह हर तरह के हथियार इस्तेमाल कर रहे हैं. सीबीआई को इस्तेमाल कर रहे हैं. भ्रष्टाचार के नाम पर जो मर्जी वह कर रहे हैं. सब कुछ वो कर रहे हैं. उसके खिलाफ वही लड़ सकता है जो सिद्धांत के पैरों पर खड़े होकर लड़ सकता है और वह वामपंथी हैं.

 

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