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राष्ट्र के नाम आखिरी संबोधन में बोले राष्ट्रपति- अनेकता में एकता हमारी पहचान, अलग विचारधारा को नक

देश के नाम अपने आखिरी संदेश में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हिंसामुक्त समाज ही भारत के हित में है.

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 24 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 8:10 PM IST

देश के नाम अपने आखिरी संदेश में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत को एक समावेशी राष्ट्र के रूप में देखने की महात्मा गांधी के सपने को दोहराया और कहा कि हमें गरीब से गरीब व्यक्ति को सशक्त बनाना होगा. उन्होंने अगले राष्ट्रपति को शुभकामनाएं दी और देश के उज्जवल भविष्य की कामना की. पढ़िए राष्ट्रपति के अंतिम संबोधन के महत्वपूर्ण प्वाइंट -

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- मेरे पास कोई उपदेश नहीं है.

- समानता से ही विकास संभव, सभी वर्गों और धर्मों का सम्मान जरूरी.

- हिंसामुक्त समाज भारत के हित में

- भारत की बहुलता को बनाए रखें.

- दूसरों के विचार को नकार नहीं सकते.

- उच्च संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाना होगा.

- शिक्षा प्रणाली में रुकावटों को स्वीकार करना होगा.

- विश्वविद्यालयों को रटने वालों की जगह नहीं बनाना.

- मानसिक स्वतंत्रता को बढ़ाने की जरूरत.

- गांधी जी भारत को समावेशी राष्ट्र के रूप में देखते थे.

- गरीब से गरीब व्यक्ति को सशक्त बनाना होगा.

- स्वस्थ और खुशहाल जीवन हर नागरिक का अधिकार.

- खुशहाली का लक्ष्य सतत विकास.

- गरीबी मिटाने से खुशहारी में भरपूर खुशहाली आएगी.

 

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