
देश के नाम अपने आखिरी संदेश में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत को एक समावेशी राष्ट्र के रूप में देखने की महात्मा गांधी के सपने को दोहराया और कहा कि हमें गरीब से गरीब व्यक्ति को सशक्त बनाना होगा. उन्होंने अगले राष्ट्रपति को शुभकामनाएं दी और देश के उज्जवल भविष्य की कामना की. पढ़िए राष्ट्रपति के अंतिम संबोधन के महत्वपूर्ण प्वाइंट -
- मेरे पास कोई उपदेश नहीं है.
- समानता से ही विकास संभव, सभी वर्गों और धर्मों का सम्मान जरूरी.
- हिंसामुक्त समाज भारत के हित में
- भारत की बहुलता को बनाए रखें.
- दूसरों के विचार को नकार नहीं सकते.
- उच्च संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाना होगा.
- शिक्षा प्रणाली में रुकावटों को स्वीकार करना होगा.
- विश्वविद्यालयों को रटने वालों की जगह नहीं बनाना.
- मानसिक स्वतंत्रता को बढ़ाने की जरूरत.
- गांधी जी भारत को समावेशी राष्ट्र के रूप में देखते थे.
- गरीब से गरीब व्यक्ति को सशक्त बनाना होगा.
- स्वस्थ और खुशहाल जीवन हर नागरिक का अधिकार.
- खुशहाली का लक्ष्य सतत विकास.
- गरीबी मिटाने से खुशहारी में भरपूर खुशहाली आएगी.