
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और कई मौकों पर मोदी सरकार के लिए चिंता का सबब बनने वाले प्रशांत भूषण ने अपने संगठन स्वराज अभियान से इस्तीफा दे दिया है. प्रशांत भूषण अभी तक इस संगठन के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं, लेकिन बार काउंसिल में उनके खिलाफ हुई शिकायत के कारण उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा.
स्वराज अभियान के अलावा प्रशांत भूषण ने सेंटर फॉर पीआईएल (CPIL), कॉमन कॉज की सदस्यता को भी छोड़ दिया है. स्वराज अभियान की शुरुआत प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने आम आदमी पार्टी से नाता तोड़ने के बाद की थी.
प्रशांत भूषण के खिलाफ बार काउंसिल ऑफ इंडिया में शिकायत दर्ज की गई थी. शिकायत में कहा गया था कि प्रशांत भूषण संस्था के सदस्य हैं तो उनकी तरफ से कोर्ट में पेश नहीं हो सकते. जिसके बाद प्रशांत भूषण को इस्तीफा देना पड़ा. दरअसल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया का नियम कहता है कि कोई भी सदस्य अगर किसी ऐसी संस्था का सदस्य है जो सामाजिक, राजनीतिक मुद्दों पर कोर्ट में याचिका दायर करती है तो वह उसका पक्ष नहीं रख सकता है और प्रशांत भूषण तीनों संगठन के बड़े पदों पर थे.
गौरतलब है कि प्रशांत भूषण इस समय देश के सबसे चर्चित वकीलों में से एक हैं. वह कई मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते आए हैं, राजनीतिक मुद्दों पर ज्यादातर. लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरे राफेल विमान सौदे में कथित घोटाले के मसले पर प्रशांत भूषण ने ही पुनर्विचार याचिका दायर की थी. उनके अलावा याचिका दायर करने वालों में बीजेपी के बागी नेता यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी शामिल हैं. राफेल विवाद ही मोदी सरकार के लिए इन चुनाव में सबसे बड़ी मुसीबत बनकर उभरा है.
राफेल के अलावा ताजा मामलों में सीबीआई विवाद भी एक ऐसा केस था, जिसपर प्रशांत भूषण सबसे आगे दिखे थे. उन्होंने ही सीबीआई विवाद को सुप्रीम कोर्ट के सामने उठाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया था. बाद में कोर्ट ने आदेश देते हुए सरकार के द्वारा आलोक वर्मा को हटाने के फैसले को गलत बताया था.