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ममता की मदद करेंगे प्रशांत किशोर, क्या BJP के खिलाफ दोहरा पाएंगे इतिहास?

बंगाल में बीजेपी 2021 विधानसभा चुनावों के लिए काफी पहले से तैयारी कर रही है. इस बार लोकसभा चुनाव में 18 सीटें मिलने के बाद उसकी उम्मीदें और परवान चढ़ी हैं. इस बीच प्रशांत किशोर का टीएमसी के लिए काम करना, बीजेपी के लिए महंगा पड़ सकता है क्योंकि प्रशांत किशोर का रणनीति बनाने में ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहा है.

टीएमसी के लिए फायदेमंद होगा PK का साथ? (फाइल फोटो) टीएमसी के लिए फायदेमंद होगा PK का साथ? (फाइल फोटो)
रविकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2019,
  • अपडेटेड 8:43 AM IST

तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने गुरुवार को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से कोलकाता में मुलाकात की. ममता बनर्जी से मुलाकात करने के लिए किशोर पार्टी के सांसद अभिषेक बनर्जी के साथ राज्य सचिवालय गए. उनकी मुख्यमंत्री के साथ बैठक करीब 90 मिनट तक चली. 42 लोकसभा सीटों में से, तृणमूल कांग्रेस ने 22 और बीजेपी ने 18 सीटें जीती हैं. तृणमूल को 2014 के मुकाबले जहां 12 सीटें कम मिलीं, वहीं बीजेपी ने 16 सीटों का इजाफा किया.

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अटकलें लगाई जा रही हैं कि 2021 में बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए प्रशांत किशोर और ममता की पार्टी टीएमसी के बीच सहमति बनी है. सूत्रों के हवाले से यह खबर भी आ रही है कि प्रशांत किशोर टीएमसी के लिए रणनीति बनाएंगे. हालांकि प्रशांत किशोर की पार्टी जेडीयू के प्रवक्ता ने इस बारे में खास जानकारी देने से मना कर दिया, लेकिन इतना जरूर कहा कि किशोर निजी स्तर पर क्या करते हैं, इससे पार्टी का कोई लेना देना नहीं है.

प्रशांत किशोर अगर सचमुच ममता बनर्जी के लिए काम करेंगे तो ये चौंकाने वाली खबर होगी क्योंकि वे जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और उनके ऊपर सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं. जेडीयू चूंकि बिहार और केंद्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी है, इसलिए इस पर ताज्जुब होना स्वाभाविक है कि प्रशांत किशोर वैसी किसी पार्टी से हाथ कैसे मिला सकते हैं जो बीजेपी की धुर विरोधी हो.

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ये भी पढ़ें: जगन मोहन रेड्डी के बाद अब ममता बनर्जी के लिए काम करेंगे प्रशांत किशोर!

बंगाल में बीजेपी 2021 विधानसभा चुनावों के लिए काफी पहले से तैयारी कर रही है. इस बार लोकसभा चुनाव में 18 सीटें मिलने के बाद उसकी उम्मीदें और परवान चढ़ी हैं. इस बीच प्रशांत किशोर का टीएमसी के लिए काम करना, बीजेपी के लिए महंगा पड़ सकता है क्योंकि प्रशांत किशोर का रणनीति बनाने में ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहा है. केंद्र की पहली मोदी सरकार को प्रचंड स्तर पर जीत दिलाने में प्रशांत किशोर की अहम भूमिका रही. उस वक्त किशोर ही बीजेपी के असल रणनीतिकार थे. प्रशांत किशोर ने ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन स्तर तक पर प्रचार की तगड़ी और प्रभावी मुहिम चलाई जिसका असर बीजेपी को छप्परफाड़ वोट मिलने के रूप में देखा गया.

जगनमोहन को दिलाई जीत

अभी हाल में आंध्र प्रदेश में लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव भी हुए. इन दोनों चुनावों में जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी का सूपड़ा साफ कर दिया. टीडीपी की करारी हार के बाद जगन मोहन मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए. जगन मोहन के प्रचार का अभियान और पार्टी की रणनीति प्रशांत किशोर ने ही बनाई थी.

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वाईएसआर कांग्रेस ने सभी निर्वाचन क्षेत्रों में उलटी गिनती करने वाली घड़ियों को लगवाया था, जिससे इसके प्रचार अभियान को धार मिले. डिजिटल उलटी गिनती करने वाली घड़ियों का विचार और नारा इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आईपीएसी) की ओर से दिया गया. आईपीएसी का गठन चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने किया था. इससे पहले आईपीएसी ने प्रचार नारा 'रावली जगन, कावली जगन (हम जगन को चाहते हैं, जगन आना चाहिए)' दिया था. राज्य में 175 सदस्यीय विधानसभा और 25 लोकसभा सीटों के लिए 11 अप्रैल को चुनाव हुए जिसमें वाईएसआर कांग्रेस ने प्रचंड जीत दर्ज की.

प्रशांत किशोर ने जगन रेड्डी के लिए डेढ़ साल पहले काम करना शुरू कर दिया था. इसके लिए उन्होंने वाईएसआर कांग्रेस से 20 हजार युवकों को जोड़ा था. किशोर ने 175 विधानसभा क्षेत्रों में खुद पार्टी के प्रचार का 70 फीसदी काम संभाला था. राज्य के 46 हजार बूथों और 11-11 सदस्यीय बूथ कमेटियां बनवाई थीं. उनके निर्देश पर ही पार्टी के लिए 5 लाख बूथ कार्यकर्ताओं ने काम किया. प्रशांत किशोर की ही रणनीति थी कि जगन रेड्डी पदयात्रा पर निकले जिसका उन्हें काफी फायदा मिला.

2014 में बीजेपी की बनाई रणनीति

प्रशांत किशोर ने इसके पहले 2014 में बीजेपी के लिए रणनीति बनाई थी. उन्होंने बीजेपी और नरेंद्र मोदी के प्रचार का जिम्मा खुद संभाला और कब, कहां और कैसे चुनाव प्रचार करना है, इसे अमली जामा पहनाया. प्रशांत किशोर की रणनीति का नतीजा रहा कि 2014 में बीजेपी प्रचंड वोट पाकर केंद्र सरकार में पहुंची और नरेंद्र मोदी बीजेपी के इतिहास में पहली बार बहुमत वाले प्रधानमंत्री बने.

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नीतीश कुमार को दिलाई जीत

साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में किशोर ने नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू के लिए काम किया. उस चुनाव में बीजेपी का जेडीयू के साथ गठबंधन नहीं था. इस चुनाव में जेडीयू को 71 सीटें और आरजेडी को 80 सीटें मिलीं जबकि बीजेपी 53 सीटों पर रह गई. बाद में आरजेडी और जेडीयू ने मिलकर सरकार बनाया. हालांकि सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई. बाद में जेडीयू ने आरजेडी से नाता तोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाई.

यूपी में फेल, पंजाब में पास हुए पीके

यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के लिए काम किया. ऐसा कहा जाता है कि प्रियंका गांधी के कहने पर प्रशांत किशोर पंजाब गए और कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए काम किया. संयोग ऐसा रहा कि पंजाब में कांग्रेस की सरकार बन गई जबकि यूपी में कांग्रेस हाशिए पर चली गई. इन दोनों प्रदेशों में प्रशांत किशोर की अच्छी भूमिका रही.

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