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कभी कोविंद को मायावती के खिलाफ खड़ा करना चाहती थी BJP

रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पूरी यूपी में बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच खुशी की लहर है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर राज्यपाल तक कई लोगों ने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया है.

कोविंद को मायावती के खिलाफ खड़ा करना चाहती थी भाजपा कोविंद को मायावती के खिलाफ खड़ा करना चाहती थी भाजपा
केशवानंद धर दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2017,
  • अपडेटेड 3:23 PM IST

बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पूरी यूपी में बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच खुशी की लहर है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर राज्यपाल तक कई लोगों ने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया है. कोविंद की उम्मीदवारी को यूपी की 22 करोड़ जनता और विशेष तौर से दलित समुदाय के लिए गौरव की बात माना जा रहा है. 

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बीेजेपी नेताओं के मुताबिक, एक समय हालांकि ऐसा था, जब पार्टी कोविंद को बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ एक दलित चेहरे के तौर पर पेश करना चाहती थी. बीेजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, 'उन्हें प्रदेश इकाई में पार्टी का बड़ा चेहरा माना जाता है. कोविंद ने पार्टी में अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रवक्ता का पद भी संभाला. दलित छवि के चलते एक समय बीजेपी उन्हें यूपी में मायावती के खिलाफ भी प्रोजेक्ट करने की सोच रही थी, लेकिन बाद में ऐसा नहीं हुआ.'

उन्होंने बताया कि घाटमपुर से चुनाव लड़ने के बाद कोविंद लगातार क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं से संपर्क में रहे. क्षेत्र के विकास के लिए हर समय सक्रिय रहने का ही परिणाम है, कि उन्हें राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने पर क्षेत्र में खुशी का माहौल है.

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दलगत भावना से ऊपर उठकर उम्मीदवारी का करें समर्थन
रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, कि 'उप्र के 22 करोड़ लोगों का सौभाग्य है. उप्र के एक गरीब और दलित परिवार से जुड़े व्यक्ति को देश के सर्वोच्च पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया गया है. सभी राजनीतिक दलों से अपील है, कि वे दलगत भावना से ऊपर उठकर उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करें.'

रामनाथ कोविंद ने की वकालत
बता दें कि कानपुर देहात के एक छोटे से गांव परौख के रहने वाले रामनाथ कोविंद की प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लॉक के गांव खानपुर से हुई. कानपुर के बीएनएसडी इंटर कॉलेज से उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की. कानपुर यूनिवर्सिटी से बीकॉम और इसके बाद डीएवी लॉ कॉलेज से वकालत की पढ़ाई की. कोविंद ने दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत की शुरुआत की. फिर दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 16 साल तक प्रैक्टिस की.

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कोविंद को 8 अगस्त, 2015 को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. उस समय नीतीश कुमार ने इसका विरोध किया था. उनका कहना था कि, यह नियुक्ति उनसे सलाह लिए बगैर की गई.

कोविंद की पहचान एक दलित चेहरे के रूप में
कोविंद उत्तर प्रदेश से पहली बार 1994 में राज्यसभा के लिए सांसद चुने गए. वह 12 साल तक राज्यसभा सांसद रहे. इस दौरान उन्होंने शिक्षा से जुड़े कई मुद्दों को उठाया. वह कई संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे हैं. कोविंद की पहचान एक दलित चेहरे के रूप में रही है. छात्र जीवन में कोविंद ने अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए काम किया. कोविंद आदिवासी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, सामाजिक न्याय, कानून न्याय व्यवस्था और राज्यसभा हाउस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे. संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व किया. साथ ही अक्टूबर 2002 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया.

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