
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 70वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया. इस मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हाल के समय में हमारी विदेश नीति में काफी सक्रियता दिखाई दी है.
देश के नाम संबोधन में राष्ट्रपति ने कमजोर तबके पर अत्याचार के खिलाफ सख्ती से निपटने की जरूरत बताई और कहा कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के बगैर सभ्य नहीं है.
राष्ट्रपति ने कहा कि सभी देशों विशेषकर अपने निकटतम पड़ोसियों के साथ साझे मूल्यों और परस्पर लाभ पर आधारित नए रिश्ते स्थापित करने की प्रक्रिया जारी है. उन्होंने कहा कि 'पड़ोसी प्रथम नीति' से हम पीछे नहीं हटेंगे.' उन्होंने कहा कि अफ्रीका और एशिया प्रशांत के पारंपरिक साझेदारों के साथ ऐतिहासिक संबंध फिर से सशक्त किए गए हैं.
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि 'इतिहास, संस्कृति, सभ्यता और भूगोल के घनिष्ठ संबंध दक्षिण एशिया के लोगों को एक साझे भविष्य का निर्माण करने और समृद्धि की ओर मिलकर अग्रसर होने का विशेष अवसर प्रदान करते हैं. इस अवसर को बिना देरी किए हासिल करना होगा. विदेश नीति पर भारत का ध्यान शांत सहअस्तित्व और इसके आर्थिक विकास के लिए प्रौद्योगिकी और संसाधनों के उपयोग पर केंद्रित होगा.'
आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर मुकाबला करना होगा
प्रणब मुखर्जी ने कहा, 'विश्व में उन आतंकवादी गतिविधियों में तेजी आई है, जिनकी जड़ें धर्म के आधार पर लोगों को कट्टर बनाने में छिपी हुई हैं. ये ताकतें धर्म के नाम पर निर्दोष लोगों की हत्या के अलावा
भौगोलिक सीमाओं को बदलने की धमकी भी दे रही हैं, जो विश्व शांति के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है. ऐसे समूहों की अमानवीय, मूर्खतापूर्ण और बर्बरतापूर्ण कार्यप्रणाली हाल ही में फ्रांस, बेल्जियम, अमेरिका,
नाइजीरिया, केन्या और हमारे निकट अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश में दिखाई दी है. ये ताकतें अब सम्पूर्ण राष्ट्र के प्रति एक खतरा पैदा कर रही हैं. विश्व को बिना शर्त और एक स्वर में इनका मुकाबला करना
होगा.'
स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को दी बधाई
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस अवसर पर सैन्य बलों, अर्धसैन्य और आंतरिक सुरक्षा बलों के उन सदस्यों को बधाई दी, जो मातृभूमि की एकता, अखंडता और सुरक्षा की चौकसी तथा रक्षा कायम रखने के लिए अग्रिम सीमाओं पर डटे हुए हैं.
प्रणब मुखर्जी ने अंत में उपनिषद का उल्लेख करते हुए कहा, 'ईश्वर हमारी रक्षा करे. ईश्वर हमारा पोषण करे. हम मिलकर उत्साह और ऊर्जा के साथ कार्य करें. हमारा अध्ययन श्रेष्ठ हो. चारों ओर शांति ही शांति हो.'