
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 31 से बढ़ा कर 34 करने के विधेयक पर दस्तखत कर दिए हैं. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद इस संबंध में राजपत्र जारी कर दिया गया है. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश समेत कुल जजों की संख्या 34 होगी.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या दस फीसद बढ़ाए जाने का विधेयक लोकसभा और राज्यसभा ने पिछले दिनों पारित कर दिया था. इस विधेयक में चूंकि जजों की बढ़ी संख्या के मुताबिक सरकारी खजाने से धन आवंटित कराना भी था, लिहाजा इसे वित्त विधेयक के रूप में दोनों सदनों से पारित कराना पड़ा. दोनों सदनों से विधेयक पारित होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा गया था.
इस बिल के मुताबिक तीन अतिरिक्त जजों की बहाली के बाद राजकोष पर सालाना छह करोड़ 81 लाख 54 हज़ार 528 रुपए का बोझ बढ़ेगा. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सरकार को भेजे पत्र में सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट्स सहित सभी अदालतों में मुकदमो के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए जजों की संख्या बढ़ाने का आग्रह किया था. सरकार ने जजों की कुल संख्या में 10 फीसदी वृद्धि को मंजूरी दी थी.
जून माह में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस एएस बोपन्ना की नियुक्ति के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जजों की निर्धारित संख्या पूरी हो गई थी. हालांकि नवसृजित पदों पर नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है.
नवंबर में अवकाश ग्रहण करेंगे रंजन गोगोई
देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई नवंबर माह में अवकाश ग्रहण करने वाले हैं. इससे पूर्व 27 अगस्त को जस्टिस एएम सप्रे भी अवकाश ग्रहण कर रहे हैं. यानी सरकार को पहले तीन नए और फिर जल्दी ही दो और रिक्त पदों को भरना होगा. इसके लिए भी सरकार को तत्परता दिखानी होगी.