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राष्ट्रपति कोविंद ने बढ़ते ग्लोबल वॉर्मिंग पर जताई चिंता

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ब्रहस्पतिवार को 2016 बैच के नए नियुक्त भारतीय वन अधिकारियों से हुई मुलाकात में ग्लोबल वॉंर्मिांग को ले कर कहा कि समस्याएं बढ़ाने के बजाय उनके समाधान ढूडने की कोशिश और देश के विकास के लिए कार्य करें.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आईएफएस 2016 बेच को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आईएफएस 2016 बेच को संबोधित करते हुए
केशवानंद धर दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 7:34 AM IST

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ब्रहस्पतिवार को 2016 बेच के नए नियुक्त भारतीय वन अधिकारियों से हुई मुलाकात में ग्लोबल वॉंर्मिांग को ले कर कहा कि समस्याएं बढ़ाने के बजाय उनके समाधान ढूडने की कोशिश और देश के विकास के लिए कार्य करें.

 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जंगलों और आसपास रहने वाले आदिवासियों सहित लाखों गरीब लोगों की मूल भोजन और ईंधन की आवश्यकताओ के बारे में भी पुछा.

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि ऐसे लोग साधारण और महनती होते हैं आप सभी को ऐसे लोगों अपने प्रबंधन में जो़ड़कर काम करना चाहिए. और राष्ट्रपति ने भारतीय वन सेवा बैच 2016-18 को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है इसके साथ आप सभी को वन संरक्षण और विकास की जरुरतों के बीच में सामांतर रखना चाहिए. और आप का काम समस्या बढ़ाने के बजाय उनका समाधान करना है.

 

राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व कई दशक पहले ही ऐसे ग्लोबल वॉर्मिंग, वनों की कमी, पर्यावरण का स्वच्छ ना होना जैसी समस्याओं से पहले ही जाग चुका है इसलिए भारत के लिए 21वीं सदी में पर्यावरण को स्वच्छ और वनों को संरक्षण एक अहम मुद्दा है.

 

हमारी राष्ट्रीय वन नीति के तहत 33 प्रतिशत भूमी पेड़ और पौधों से भरी हुई होनी चाहिए. इसके लिए आप सभी को कार्य करना चाहिए और वनरहित क्षेत्रों में पेड़, पौधों को कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए रास्तें निकालने चाहिए. उन्होंने कहा कि वन जो है वह एक पोटेंशल कॉर्बन सिंक का काम करता है जिससे कि कारखानों से निकलने वाले धुएं को पर्यावरण में घुलने से रोकता है इसके साथ ग्लोबल वॉर्मिंग से भी बचाता है.

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रामनाथ कोविंद जी ने कहा कि यह मुद्दा पहले सिर्फ पुरुष अधिकारीयों के लिए बना हुआ था परंतु अब थोड़ा इसमें बदलाव हुआ है और मैं बहुत खुश हूं कि अब इस भारतीय वन सेवा में महीला अधिकारी भी जुड़ गई हैं.

 

रामनाथ कोविंद जी ने कहा कि वह उम्मींद करते है कि वन सेवा के कार्य में महीलाएं अपनी पुरी महनत के साथ काम करेंगी और देश को विकास के रास्ते पर ले जाएंगीं.

 

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