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राष्ट्रपति कोविंद का पहला भाषण- हम अलग हैं मगर एक हैं और एकजुट रहेंगे

रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनने के बाद संबोधन रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनने के बाद संबोधन
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 1:41 PM IST

शपथ लेने के बाद रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि मुझे भारत के राष्ट्रपति का दायित्व सौंपने के लिए सभी का आभार व्यक्त करता हूं. मैं पूरी विनम्रता के साथ इस पद को ग्रहण करता हूं. सेंट्रल हॉल में आकर पुरानी यादें ताजा हुई, सांसद के तौर पर यहां पर कई मुद्दों पर चर्चा की है. मैं मिट्टी के घर में पला बढ़ा हूं, मेरी ये यात्रा काफी लंबी रही है. राष्ट्रपति कोविंद ने अपने इस भाषण में ये 21 सूत्र दिए...

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1. पूरी विनम्रता के साथ इस पद को ग्रहण कर रहा हूं 

2. मैं संसद का सदस्य रहा हूं और इसी सेंट्रल हॉल में आपसब से कई बार विमर्श किया है

3. एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करना सीखा यही लोकतंत्र का खूबसूरती है 

4. हर चुनौती के बावजूद के बावजूद देश में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के मूल मंत्र का पालन किया जाता है

5. मैं मिट्टी के घर में पला हूं 

6. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. कलाम, प्रणब मुखर्जी जैसी विभूतियों के पथ पर चलने जा रहा हूं

7. संविधान के प्रमुख शिल्पी बाबा साहेब ने हम सभी में संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को सींचा है 

8. राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ वैयक्तिक समानता पर भी उन्होंने बल दिया

9. हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जो आर्थिक विकास के साथ समानता के मूल्यों को आगे बढ़ाए 

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10. विविधता ही हमें अद्वितीय बनाती है

11. भाषा, जीवनशैली, धर्म सब में अलग हैं तो भी हम एक हैं यही हमारी ताकत हैं 

12. हम सब अलग हैं मगर फिर भी एक हैं और एकजुट रहेंगे

13. डिजिटल राष्ट्र हमें प्रगति की ऊचाईंयों पर पहुंचने में मदद करेगा 

14. सरकार विकास करने में सहायक की भूमिका निभाती है

15. राष्ट्र निर्माण का आधार है राष्ट्रीय गौरव 

16. हमें गर्व है भारत की विविधता, समावेशी स्वभाव पर, अपने कर्त्यव्यों के निर्वहन पर

17. देश का हर नागरिक राष्ट्रनिर्माता है 

18. देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले सशस्त्र बल राष्ट्र निर्माता है

19. नए खोज करने वाला वैज्ञानिक राष्ट्र निर्माता है 

20. तपती धूप में देश के लिए अन्न उगाता है वह किसान, महिलाएं राष्ट्र निर्माता हैं

21. ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक के प्रतिनिधि नागरिकों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए काम करते हैं 

यहां पढ़ें पूरा भाषण...

शपथ लेने के बाद रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि मुझे भारत के राष्ट्रपति का दायित्व सौंपने के लिए सभी का आभार व्यक्त करता हूं. मैं पूरी विनम्रता के साथ इस पद को ग्रहण करता हूं. सेंट्रल हॉल में आकर पुरानी यादें ताजा हुई, सांसद के तौर पर यहां पर कई मुद्दों पर चर्चा की है. मैं मिट्टी के घर में पला बढ़ा हूं, मेरी ये यात्रा काफी लंबी रही है.

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उन्होंने कहा कि मैं सभी नागरिकों को नमन करता हूं और विश्वास जताता हूं कि उनके भरोसे पर खरा उतरुंगा. उन्होंने कहा कि मैं अब राजेंद्र प्रसाद, राधाकृष्णन, एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब दा की विरासत को आगे बढ़ा रहा हूं. अब हमें आजादी में मिले 70 साल पूरे हो रहे हैं, ये सदी भारत की ही सदी होगी. हमें ऐसे भारत का निर्माण करना है जो नैतिक और आर्थिक बदलाव लाए. देश की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है, हमें पंथो, राज्यों, क्षेत्रों का मिश्रण देखने को मिलता हैं हम कई रूपों में अलग हैं लेकिन एक हैं. 

उन्होंने कहा कि हमें सभी समस्या का हल बातचीत से करना होगा, डिजिटल राष्ट्र हमें आगे बढ़ाएगा. सरकार अकेले ही विकास नहीं कर सकती है, इसके लिए सभी को साथ आना होगा. हमें भारत की विविधता पर गर्व है, हमें देश के कर्तव्यों पर गर्व है, हमें देश के नागरिक पर गर्व है. देश का हर नागरिक राष्ट्रनिर्माता है. भारत के सशक्त बल इस देश के राष्ट्रनिर्माता है, इस देश का किसान राष्ट्रनिर्माता हैं. हमारे देश में महिलाएं भी खेतों में काम करती हैं, वो सभी राष्ट्रनिर्माता हैं. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति किसी खेत में आम से अचार बनाने का स्टार्ट अप कर रहा है वे सभी राष्ट्रनिर्माता हैं.

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रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि देश के नागरिक ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक अपने प्रतिनिधि चुनते हैं. हमें उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना है. पूरा विश्व भारत की ओर आकर्षित है, अब हमारे देश की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूसरे देशों की मदद करना भी हमारा दायित्व है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में देश अपनी आजादी के 75 साल पूरा कर रहा है, हमें इसकी तैयारी करनी चाहिए. हमें तेजी से विकसित होने वाली मजबूत अर्थव्यवस्था, शिक्षित समाज का निर्माण करना होगा. इसकी कल्पना महात्मा गांधी और दीनदयाल उपाध्याय ने की थी.

 

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