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लखनऊ की सड़कों पर प्रियंका Vs पुलिस, जानें बीते दिन का पूरा घटनाक्रम

प्रियंका गांधी दो दिवसीय दौरे पर लखनऊ पहुंची हैं. वे गिरफ्तार किए गए पूर्व आईपीएस एस.आर. दारापुरी के परिजनों से मिलने इंदिरानगर स्थित उनके घर रवाना हुई थीं. उनके काफिले को पोलीटेक्निक चौराहे पर पहुंचते ही पुलिस ने रोक लिया. वे गाड़ी से उतरकर पैदल मार्च करते हुए आगे बढ़ीं.

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (PTI) कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 10:03 AM IST

  • स्कूटी से दारापुरी के परिजनों ने मिलने पहुंचीं प्रियंका
  • प्रियंका गांधी ने कहा- सबकी राजनीति को खतरा है

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी पुलिस पर बड़ा आरोप लगाया है. प्रियंका गांधी ने कहा है कि कांग्रेस का स्थापना दिवस मनाकर लखनऊ में रिटायर्ड आईपीएस एसआर दारापुरी के परिजनों से मिलने जा रही थीं. इसी दौरान पुलिस ने उनकी गाड़ी को जबरन लोहिया पार्क के सामने घेर लिया. प्रियंका के मुताबिक, पुलिस से उनसे कहा कि वो आगे नहीं जा सकतीं. जब वो गाड़ी से उतर कर पैदल जाने लगीं तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें घेर लिया. इस दौरान उनका गला दबाने की भी कोशिश की गई.

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पुलिस से कहासुनी के बीच सड़क पर प्रियंका गांधी का काफिला रुक गया. यूपी कांग्रेस के बड़े बड़े नेता यूपी पुलिस के बड़े अधिकारियों से बहस करते दिखे. प्रियंका गांधी आखिरकार अपनी गाड़ी से उतरीं और पैदल ही चल पड़ीं, लेकिन पुलिस प्रियंका गांधी को किसी भी सूरत में रोकने पर अड़ी रही. आखिरकार प्रियंका गांधी स्कूटी पर सवार होकर निकलीं. इसके बाद वो एक कार्यकर्ता के टू व्हीलर से दारापुरी के घर गईं. हालांकि इस बीच एक विवाद यह खड़ा हो गया कि टू व्हीलर चलाने वाले ने भी हेलमेट नहीं पहना था और प्रियंका गांधी भी हेलमेट में नजर नहीं आईं.

टू व्हीलर से गईं प्रियंका

प्रियंका गांधी ने संवाददाताओं से कहा, "मैं नए नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन के मामले में गिरफ्तार किए गए रिटायर्ड आईपीएस अफसर एस आर दारापुरी के परिजन से मुलाकात करने पार्टी के राज्य मुख्यालय से निकली थी. रास्ते में पुलिस ने मुझे रोक लिया." उन्होंने आगे कहा, "मैं गाड़ी से उतरकर पैदल चलने लगी, तब मुझे घेरा गया और एक महिला पुलिसकर्मी ने मेरा गला दबाया. मुझे धक्का दिया गया और मैं गिर गई. आगे चलकर फिर मुझे पकड़ा तो मैं एक कार्यकर्ता के टू व्हीलर से निकली. उसे भी गिरा दिया गया."

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प्रियंका गांधी ने कहा कि दारापुरी 77 साल के पूर्व पुलिस अधिकारी हैं. उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन के लिए फेसबुक पर पोस्ट डाली थी. इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उन्होंने कहा, "मैं उत्तर प्रदेश में पुलिस दमन का शिकार हुए हरेक नागरिक के साथ खड़ी हूं. यह मेरा सत्याग्रह है. बीजेपी सरकार कायरों वाली हरकत कर रही है. मैं उत्तर प्रदेश की प्रभारी हूं और मैं उत्तर प्रदेश में कहां जाऊंगी और कहां नहीं जाऊंगी, ये बीजेपी सरकार तय नहीं करेगी."

'सबकी राजनीति को खतरा है'

दारापुरी के परिजन से मुलाकात के बाद उनके घर से निकलीं प्रियंका गांधी ने संवाददाताओं से कहा, "मैं गाड़ी में शांतिपूर्वक जा रही थी, तब कानून-व्यवस्था कैसे बिगड़ने वाली थी? मैंने किसी को बताया तक नहीं था, ताकि मेरे साथ तीन से ज्यादा लोग नहीं आएं. फिर भी मेरी गाड़ी रोकी गई. तब मैं पैदल चलने लगी. इनके पास मुझे रोकने का कोई हक नहीं है. अगर गिरफ्तार करना चाहते हैं तो करें." यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को लगता है कि आपकी वजह से उसकी राजनीति को खतरा है? प्रियंका ने कहा "सबकी राजनीति को खतरा है."

प्रियंका गांधी दो दिवसीय दौरे पर लखनऊ पहुंची हैं. वे गिरफ्तार किए गए पूर्व आईपीएस एस.आर. दारापुरी के परिजनों से मिलने इंदिरानगर स्थित उनके घर रवाना हुई थीं. उनके काफिले को पोलीटेक्निक चौराहे पर पहुंचते ही पुलिस ने रोक लिया. वे गाड़ी से उतरकर पैदल मार्च करते हुए आगे बढ़ीं. उस दौरान भी उन्हें रोकने की कोशिश की गई, तब वे एक कार्यकर्ता की स्कूटी पर सवार होकर दारापुरी के घर पहुंच गईं.

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सीआरपीएफ से की शिकायत

प्रियंका गांधी के कार्यालय ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को लिखित शिकायत दी है, जिसमें शनिवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से प्रोटोकॉल तोड़े जाने का जिक्र किया गया है. प्रियंका गांधी के कार्यालय सहयोगी संदीप सिंह ने सीआरपीएफ के महानिरीक्षक प्रदीप कुमार सिंह के नाम पत्र लिखा है. प्रियंका की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ के पास है.

सिंह ने दर्ज कराई शिकायत में लिखा है, "हजरतगंज के सर्किल ऑफिसर अभय मिश्रा पहले से इजाजत लिए बिना सुबह 8.45 बजे उस अहाते में घुस गए, जहां प्रियंका गांधी वाड्रा ठहरी हुई थीं. उन्होंने प्रियंका के कमरे से महज पांच मीटर की दूरी पर सुरक्षा प्रभारी सीआरपीएफ के जवान के साथ बक-झक की."

प्रियंका के सहयोगी ने लिखा, "वह सीआरपीएफ के जवान पर बरस पड़े और प्रियंका के कार्यक्रमों की सूची मांगी, जबकि सूची शुक्रवार को ही प्रशासन को दे दी गई थी. उन्होंने जानकारी छुपाने का आरोप लगाया और धमकी दी कि वह किसी तरह की सुरक्षा मुहैया नहीं कराएंगे. यहां तक कि इस अहाते से दो कदम भी बाहर जाने की इजाजत नहीं देंगे."

पुलिस अफसर की सफाई

इस पूरी घटना पर प्रियंका ने जिस महिला पुलिस अधिकारी पर बदसलूकी का आरोप लगाया है उनकी ओर से भी सफाई आ गई है. यूपी पुलिस की महिला अधिकारी (सीओ, हजरतगंज) अर्चना सिंह ने कहा कि प्रियंका गांधी ने पहले से तय रास्ते से न जाकर दूसरे रास्त पर पहुंच गईं. इसके बाद सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनके काफिले को रोकना पड़ा. अर्चना सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया पर प्रियंका गांधी का गला पकड़ना और उन्हें गिराने जैसी कुछ भ्रामक बातें प्रसारित किया जा रहा है जो की पूरी तरह झूठी हैं. उन्होंने कहा कि मैंने ईमानदारी से अपने ड्यूटी को निभाया.

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(इनपुट/IANS)

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