
नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. अर्थव्यवस्था में सुस्ती और ऑटो सेक्टर में मंदी को लेकर प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि बीजेपी सरकार सौ दिन का जश्न मनाने जा रही है. लेकिन ऑटो सेक्टर, ट्रांसपोर्ट सेक्टर, माइनिंग सेक्टर को ये जश्न बर्बादी के जश्न जैसा लगेगा. हर सेक्टर से एक के बाद एक प्लांट बंद होने और नौकरियां जाने की खबर आ रही हैं. प्रियंका ने कहा कि वक्त जश्न मनाने की बजाय अर्थव्यवस्था में भरोसा बनाने का है.
बता दें कि आर्थिक मंदी को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर हमलावर हैं. प्रियंका गांधी ने गुरुवार को भी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए आर्थिक मंदी पर चुप्पी को 'बहुत खतरनाक' बताया था.
प्रियंका ने कहा था कि बहाने व बयानबाजी से काम नहीं चलेगा क्योंकि इसका कोई हल नहीं है. प्रियंका गांधी ने एक ट्वीट में कहा था, 'काउंटडाउन : हर दिन मंदी की खबर और हर दिन भाजपा सरकार की इस पर खामोशी : दोनों बहुत खतरनाक हैं. इस सरकार के पास न हल है न देशवासियों को भरोसा दिलाने का बल है. सिर्फ बहानेबाजी, बयानबाजी और अफवाहों से काम नहीं चलेगा.'
यह पहली बार नहीं है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी व कांग्रेस नेता ने सरकार पर हमला किया हो. वो ट्विटर के माध्यम से लागातार सरकार को घेरने की कोशिश कर रही हैं. इससे पहले प्रियंका ने बीते 3 सितम्बर को आर्थिक मंदी के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुआई वाली राजग सरकार पर हमला बोला था.
उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, 'किसी झूठ को 100 बार कहने से झूठ सच नहीं हो जाता. भाजपा सरकार को ये स्वीकार करना चाहिए कि अर्थव्यवस्था में ऐतिहासिक मंदी है और उन्हें इसे हल करने के उपायों की तरफ बढ़ना चाहिए.' उन्होंने आगे कहा, 'मंदी का हाल सबके सामने है. सरकार कब तक हेडलाइन मैनेजमेंट से काम चलाएगी?'
यह पहली बार नहीं है जब आर्थिक मोर्चे पर कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता ने भाजपा सरकार पर हमला बोला हो. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वर्तमान मंदी को मानव-निर्मित संकट बताते हुए इसके लिए विमुद्रीकरण और जीएसटी को जल्दबाजी में लागू करने को जिम्मेदार ठहराया था.
हाल ही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पहली तिमाही में पांच प्रतिशत तक धीमी हो गई थी, जो 25 तिमाहियों या छह सालों में सबसे कम है.