
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस मंजूरी के बाद 2021-22 सत्र से लड़कियों को सैनिक स्कूल में प्रवेश मिल सकेगा. रक्षा मंत्रालय द्वारा यह फैसला दो साल पहले मिजोरम के सैनिक स्कूल छिंगछिप में शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद लिया गया है.
दरअसल, बीते साल मिजोरम के छिंगछिप में स्थित सैनिक स्कूल में 6 लड़कियां ने इतिहास रचा था. उन्हें इस स्कूल में एडमिशन मिल गया. इसके साथ ही मिजोरम का ये सैनिक स्कूल देश का पहला ऐसा सैनिक स्कूल बन गया जिसने लड़कियों को पढ़ने के लिए स्कूल के दरवाजे खोल दिए.
नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) के तहत 28 सैनिक स्कूल हैं. वहीं मिजोरम का यह सैनिक स्कूल देश के 26 सैनिक स्कूलों में से सबसे नया है. क्योंकि इसने पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए एक नया मिसाल कायम की है. यहां कक्षा 6 में 6 लड़कियों ने एडमिशन लिया है.
कब हुई थी पहली सैनिक स्कूल की स्थापना
देश के पहले सैनिक स्कूल की स्थापना साल 1961 में महाराष्ट्र में हुई थी. जिसके बाद हरियाणा के कुंजपुरा, पंजाब के कपूरथला, गुजरात के बालाचडी और राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में सैनिक स्कूल खोले गए.
सैनिक स्कूल में पढ़ाई
स्कूल में लड़कियों की दिन की शुरुआत सुबह 5:30 बजे होती है. जहां वह पीटी/ड्रिल के लिए तैयार होती हैं. जिसके बाद नाश्ता, कक्षा में जाना, गेम्स. एक्सरसाइज, रात के खाने के साथ शाम 7 बजे दिन खत्म हो जाता है. बता दें, पढ़ाई के लिए सीबीएसई से संबद्ध कोर्स की पढ़ाई भी करते हैं.
लड़कियां यहां इंग्लिश, मैथ, हिंदी, सोशल स्टडीज, साइंस और कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करती हैं. लड़कियां बढ़ चढ़कर एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटीज में हिस्सा लेती हैं.