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2010 में पुणे से लापता युवक बना माओवादी डिप्टी कमांडर

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में एंटी नक्सल ऑपरेशन टीम ने हाल ही में टाण्डा एरिया कमिटी में वांटेड माओवादियों की सूची जारी की है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
पंकज खेळकर
  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 10:05 AM IST

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में एंटी नक्सल ऑपरेशन टीम ने हाल ही में टाण्डा एरिया कमिटी में वांटेड माओवादियों की सूची जारी की है. इस लिस्ट में चौथे नंबर पर 28 वर्षीय विश्वा माओवादी का नाम है, उसे एरिया कमिटी डिप्टी कमांडर, उसके पास 303 राइफलें होने और उसे महाराष्ट्र के पुणे का निवासी बताया गया है. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि माओवादी लीडर विश्वा कोई और नहीं बल्कि साल 2010 में पुणे से लापता हुआ पेंटर संतोष वसंत शेलार है. 

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हांलाकि, 'आजतक' ने जब इस बारे में एंटी नक्सल ऑपरेशन के आईजी रविंद्र कदम से बात की तो उन्होंने विश्वा के ही संतोष वसंत शेलार होने की पुष्टि की. इसके बाद 'आजतक' ने विश्वा जिसका असली नाम है संतोष वसंत शेलार है. उसके परिवार से उनके गुमशुदा बेटे के बारे में बात की. इस बीच, संतोष शेलार के बड़े भाई ने मोबाइल पर उसका 8 साल पुराना फोटो दिखाया.

संतोष के बड़े भाई ने बताया कि साल 2010 में संतोष परिवार के साथ पुणे के कासेवाड़ी झुग्गियों में रहता था. उसने बताया कि साल 2010 के कुछ साल पहले जब संतोष 20 साल का था तब वो कबीर कला मंच के साथ जुड़ा और लेकिन उस वक्त परिवार को अंदाजा नहीं था कि उनके बेटे को बहला-फुसलाकर कबीर मंच के लोग ले जाएंगे.

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संतोष के पिताजी वसंत शेलार का कहा है कि उनके घर के पास ही रूपाली जाधव रहा करती थी. उनके साथ शीतल साठे भी संतोष से मिलती थी और जहां भी कबीर कला मंच के कार्यकर्ता उनके बेटे को बुलाते और वो चला जाता. अचानक एक दिन संतोष जो गया वो कभी लौटा ही नहीं. उन्होंने कहा कि सिर्फ संतोष अकेला नहीं है, जो माओवादी संगठन से जुड़ा है. उन्होंने आरोप लगाया कि पुणे का एक और युवक कबीर कला मंच से उस वक्त जुड़ा और वो भी गायब हो गया. उसका नाम प्रशांत कांबले है और वो पुणे के ताड़ीवाला रोड इलाके में रहता था.

संतोष को याद करते हुए उसके पिता बोले कि संतोष बहुत अच्छा पेंटर है. वह पास के ही स्कूल में छात्रों को फ्री में पेंटिंग सिखाया करता था. कासेवाड़ी इलाके में संतोष पेंटर के नाम से मशहूर था. साल 2010 में दीवाली के दौरान ही संतोष शेलार और प्रशांत कांबले घर से चले गए. साल 2010 नवंबर महीने में संतोष की गुमशुदा होने की शिकायत परिवार ने खड़क पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई थी.

संतोष शेलार के बड़े भाई ने बताया कि संतोष यह कहकर गया कि वो दो महीने कहीं जॉब करने जा रहा है. बड़े भाई का आरोप है कि कबीर कला मंच के संस्थापक- शीतल साठे, सागर बोडके, रुपाली जाधव ये पूना में ही रहते थे, लेकिन दो महीने के बाद कबीर कला मंच के इन कार्यकर्ताओ ने उनके घर पर आना-जाना बंद किया. इसके बाद उनका फोन भी स्विच ऑफ रहने लगा.

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शक होने के कारण संतोष के परिवारवालों ने कबीर कला मंच के लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवाई थी. आज संतोष के परिवारवालों को भी लगता है कि उनके बेटे-भाई को नक्सलवाद की ओर धकेलने में कबीर कला मंच के कलाकारों और उससे जुड़े लोगों का हाथ है.

इस बीच, 'आजतक' ने दूसरे लापता युवक के परिवारवालों से उनके घर पर मुलाकात की. आठ साल हो गए प्रशांत उर्फ लैपटॉप को गए... ये बताते हुए प्रशांत कांबले के मां की आंखें तुरंत भर आईं. उन्होंने कहा कि उनके बेटे को माओवादी-नक्सलवाद की राह छोड़कर घर लौट आना चाहिए.

प्रशांत की मां ने आंसू पोंछते हुए बताया कि मुंबई गोरेगांव में काम मिला है यह कहकर प्रशांत चला गया. उसकी मां ने बताया कि वो मोबाइल और लैपटॉप रिपेयर का काम बखूबी करता है, इसलिए पास-पड़ोसी और जानने वाले उसे लैपटॉप कहते थे. मां ने बताया के प्रशांत कबीर कला मंच के गायकों के साथ बतौर सपोर्ट सिंगर गाना गाया करता था.

प्रशांत की मां ने जानकारी दी कि कबीर कला मंच की शीतल साठे, प्रवीण माली, दीपक ढेंगले ऐसे दस पंद्रह कलाकार जो कबीर कला मंच से जुड़े हैं, वो संतोष से लगातार मिलते थे. परिवारवालों ने बताया के प्रशांत जो दीवाली के दिन चला गया. पुणे के शनिवार वाडा के मैदान पर उसके छोटे भाई प्रवीण कांबले और संतोष शेलार के बड़े भाई से मिलने भी आया, लेकिन यह कहकर वापस चला गया कि अब वो घर कभी नहीं आएगा.

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अब तक पुणे पुलिस का आरोप रहा है कि एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार कथित माओवादी ही प्रतिबंधित माओवादी संगठन के मुख्य मेंबर्स है और ये ही आरोपी अर्बन नक्सलवाद को बढ़ावा दे रहे हैं. पुणे की विशेष UAPA अदालत में जमा की हुई एक चार्जशीट में अर्बन नक्सलवाद में, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस के कुछ छात्रों को आरोपी महेश राउत ने जंगल नक्सलवाद की ओर ले जाने का जिक्र किया गया है.

ऐसे में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हो रही नक्सली गतिविधियों को लेकर वांटेड नक्सलियों की सूची पुणे के संतोष शेलार का फोटो बतौर एरिया कमिटी डिप्टी कमांडर विश्वा छपना दर्शाता है कि पुणे पुलिस द्वारा तय किए गए आरोप सही हैं. 'आजतक' ने भूमकाल नक्सल विरोधी संघटना के सेक्रेटरी प्रोफेसर श्रीकांत भोवते से बात की. उन्होंने बताया के संतोष शेलार और प्रशांत कांबले शहरों से जंगलों के नक्सलवाद के साथ काम करने वाले नेक्सस का यूनिक उदाहरण हैं.

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