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महाराष्ट्र और झारखंड के नतीजों के केजरीवाल के लिए क्या हैं मायने?

महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. जहां महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा वहीं झारखंड में जेएमएम के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार बनाएगी. इसके अलावा पंजाब की चार सीटों पर हुए उपचुनाव में AAP को तीन सीटें मिली हैं. इन नतीजों को अरविंद केजरीवाल दिल्ली में कैसे भुनाएंगे, आइए समझते हैं-

अरविंद केजरीवाल. (फाइल फोटो) अरविंद केजरीवाल. (फाइल फोटो)
कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:22 PM IST

महाराष्ट्र और झारखंड में एनडीए और इंडिया गठबंधन ने 1-1 का ड्रॉ मैच खेला है, लेकिन अगला मुकाबला दिल्ली यानी राष्ट्रीय राजधानी की पिच पर होना है. जिसके लिए केजरीवाल अपनी रणनीति बनाने में पहले से ही जुट गए हैं. सत्ता की हैट्रिक लगाना कोई आसान काम नहीं और केजरीवाल के साथ उनकी पार्टी भी इस बात को बखूबी जानती है, इसीलिए महाराष्ट्र और झारखंड के नतीजे आने से पहले ही आम आदमी पार्टी दिल्ली की फुल तैयारी में है, लेकिन इन दोनों राज्यों के नतीजों ने अंदरखाने अरविंद केजरीवाल के लिए मुश्किलों की बजाए एक ऐसा ट्रेंड दिखाया है जिसमें वो पहले से ही माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. 

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लाडकी बहना और मैय्या योजना की कामयाबी सेट करेगी केजरीवाल के रेवड़ी टेंप्लेट 

अगर फ्रीबीज पॉलिटिक्स की बात की जाती है तो उसे इस स्तर तक ले जाने में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का योगदान कैसे कम आंका जा सकता है. 2013 के पहले ही चुनाव में जब पार्टी महज एक साल पुरानी थी तभी फ्री बिजली और पानी के दम पर उन्होंने न सिर्फ कांग्रेस को धूल चटाया बल्कि बीजेपी को भी दिल्ली की सत्ता से दूर रखा. 2015 और 2020 में फ्री वाई-फाई और फिर फ्री में महिलाओं को बस यात्रा जैसी घोषणाओं के दम पर न सिर्फ सत्ता में वापसी की बल्कि लगभग दोनों चुनावों में क्लीन स्वीप किया. इस बार केजरीवाल अपनी स्टाइल में "रेवड़ी' के पैकेट बनाकर लोगों के बीच जा रहे हैं और दम भर रहे हैं कि उन्होंने ये फायदा उन तक पहुंचाया जिन्हें इसकी जरूरत थी. इसलिए जब महाराष्ट्र और झारखंड में सरकारों की वापसी ऐसी लोक-लुभावनी घोषणाओं की वज़ह से हुई है तो अरविंद केजरीवाल का कॉन्फिडेंस तो निश्चित तौर पर इन नतीजों के टेंपलेट से तो बढ़ेगा ही.  

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कांग्रेस का खराब प्रदर्शन जारी, भुनाएंगे केजरीवाल! 

दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन दिल्ली की सभी सीटों पर ये गठबंधन चारों खाने चित हो गया. लोकसभा चुनावों के ठीक बाद कांग्रेस और आप का ये गठबंधन टूटा और दोनों पार्टियों ने अलग-अलग विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की. इस बीच दोनों पार्टियों के बीच एक दूसरे के नेताओं पर डोरे डाले गए और कुछ को तो पार्टी में शामिल करवा के टिकट भी देने की घोषणा की. लेकिन, पहले कांग्रेस हरियाणा चुनाव हारी जहां उसने केजरीवाल के साथ गठबंधन को मना कर दिया था और अब, महाराष्ट्र का हाई प्रोफाइल चुनाव भी गठबंधन होने के बावजूद कांग्रेस हार गई. हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ कांग्रेस की सरकार झारखंड में बनेगी, लेकिन दिल्ली में अरविंद केजरीवाल बीजेपी के खिलाफ वोटों को ये कहकर एकजुट करने की कोशिश करेंगे कि कांग्रेस अपने दम पर बीजेपी को नहीं हरा सकती. 

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों से अलग विधानसभा चुनावों के नतीजे भी केजरीवाल  के लिए उम्मीद 

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल आजतक एक बार भी किसी लोकसभा चुनाव में खाता नहीं खोल पाए हैं, लेकिन लोकसभा चुनावों के कुछ ही महीनों में होने वाले विधानसभा चुनावों में उनका प्रदर्शन लगातार जबरदस्त रहा है. ऐसे में वो फिर से एक बार ऐसा ही करिश्मा दोहराने की कोशिश करेंगे. खास तौर पर महाराष्ट्र के नतीजे उनके लिए ये संकेत देने वाले हैं कि लोकसभा चुनावों के उलट नतीजे लाए जा सकते हैं. महाराष्ट्र में जहां लोकसभा चुनावों में महा विकास अघाड़ी का प्रदर्शन जबरदस्त रहा था वहीं विधानसभा चुनावों में महायुति ने उन नतीजों को बिलकुल पलट दिया. इसलिए अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली के लोकसभा वाले नतीजों को अपने दम पर पलटने की कोशिश फरवरी के चुनावों में करेंगे.  

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पंजाब के उपचुनाव भी आम आदमी पार्टी के लिए करेंगे ऑक्सीजन का काम 

पंजाब में भी लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के नतीजे संतोषजनक नहीं आए थे. पार्टी के अंदर कई सारे फ्रंट पर दिक्कतें आ रहीं थीं, लेकिन अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने पंजाब को ट्रैक पर लाने का बीड़ा खुद उठाया और पंजाब में हुए विधानसभा उपचुनावों के नतीज़ों में ये दिखाई भी दिया है. पंजाब की जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि वो आप के कैडर में एक नया जोश भरेगी जोकि दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले काफी जरूरी है. इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व क्षमता को भी पंजाब के नतीजों ने फिर से मजबूती से प्रमाणित कर दिया है.

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