
केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने किसानों के मुद्दे पर बीजेपी सरकार को घेरने की कोशिशों पर जमकर निशाना साधा. इंडिया टुडे के कार्यक्रम ' एग्रो समिट एंड अवॉर्ड्स 2018 ' में उन्होंने कहा, "मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पिछले चार साल में तमाम दूरगामी कृषि सुधार हुए, जिसका फायदा नजर आने लगा है. सरकार ने पिछले चार साल में जितना काम किया, पिछली सरकार ने 10 साल के कार्यकाल में वो काम नहीं किए."
कृषि सुधार के क्षेत्र में सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए राधामोहन सिंह ने कहा, "पहले चोर दरवाजे से यूरिया की कालाबाजारी होती थी. पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी के शासन में पहली बार इस पर चिंता जाहिर की गई. अटल जी ने वैज्ञानिकों से बातचीत की और इसके खिलाफ उपाय शुरू करने को कहा.
इसके बाद वैज्ञानिकों की टीम ने 2003 और 2004 में तमाम तरह की रिसर्च और फील्ड ट्रायल किया. इस टीम ने कृषि मंत्रालय को एक रिपोर्ट भी सौंपी और कालाबाजारी/मिलावट रोकने के लिए सरकार से 'नीम कोटेड' यूरिया की सिफारिश की. " राधामोहन सिंह ने आरोप लगाया, "लेकिन अब वही लोग (कांग्रेस) सवाल उठा रहे हैं जिन्होंने 2004 से 2014 के बीच किसानों के लिए कुछ भी नहीं किया. "
राधामोहन सिंह ने सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा, "जब एक गरीब का बेटा (नरेंद्र मोदी) प्रधानमंत्री बना तो उसने कहा- देखो इसमें क्या हुआ (यूरिया कालाबाजारी लेकर अटलजी की चिंता पर). हमने देखा, तो पता चला कि फाइलें अलमीरा की शोभा बढ़ा रही हैं. लेकिन हमने फिर वैज्ञानिकों की सिफारिश पर काम करना शुरू कर दिया.
राधामोहन सिंह ने कहा कि अब हम कह सकते हैं कि सरकार बनने के दो वर्ष के अंदर ही नीम कोटेड यूरिया आता है. विदेश से भी नीम कोटेड होने के बाद ही यूरिया बाजार में जाता है. ये सुधार है. उसके परिणाम भी नजर आ रहे हैं. " उन्होंने कहा, "अब कहीं यूरिया की कालाबाजारी नहीं होती. मिलावट में रोक का फायदा दिख रहा है. अब 100 किलो के बदले 80 किलो यूरिया खेतों में काम कर रहा है. "
स्वाइल हेल्थ पर किया काम
राधामोहन सिंह ने यह आरोप भी लगाया कि पिछली सरकार में 'स्वाइल हेल्थ' पर कुछ भी काम नहीं हुआ. उन्होंने कहा, "2007 में पूरी दुनिया में ये बात उठी कि 'स्वाइल हेल्थ' पर काम किया जाए. पहले कहीं-कहीं राज्यों को इसके लिए पैसे मिल जाते थे. कहीं-कहीं लैब बन जाता था. लेकिन इसका कोई मानक नहीं था.
उन्होंने बताया कि भारत सरकार की ओर से एक पैसा 'स्वाइल हेल्थ' के लिए नहीं दिया जाता था. हमारी सरकार से पहले स्वाइल हेल्थ के लिए करीब 44 लैब थे. " उन्होंने बताया, "आज देश में 10 हजार छोटे-बड़े 'स्वाइल हेल्थ लैब' बन चुके हैं. यह सरकार की कोशिशों का ही नतीजा है कि आज पहले चरण में पूरे देश में 10 हजार से ज्यादा किसानों को स्वाइल हेल्थ कार्ड भी मिल चुका है."
अनाज मंडियों की ई-मार्केटिंग को लेकर राधामोहन सिंह ने कहा, "इसे लेकर कांग्रेस की सरकार ने 10 साल में सिर्फ एक बैठक की. हालांकि इस अवधि में कर्नाटक की सरकार ने इस पर जरूर काम शुरू किया. जब हम सरकार में आए तो हमें इसकी चिंता हुई. इसे लेकर देश के सभी कृषि मंत्री और संबंधित अफसरों की बैठकें हुईं. 585 मंडियां जुड़ गईं. हालांकि जितना हम चाहते थे उतना नहीं हुआ, लेकिन आज हम यह कह सकते हैं कि हमारे आधे से ज्यादे मंडियों में ई-मार्केटिंग है. आगे सभी में होगा."
ई-मार्केटिंग से किसानों को मिल रहा है फायदा
राधामोहन ने बताया, "जहां मंडियों में ई-मार्केटिंग है वहां किसानों को इसका फायदा मिल रहा है. इसके लिए मैं संबंधित लोगों को जरूर बधाई देना चाहूंगा. हम आगे और 1000 मंडियों को इसमें जोड़ेंगे. हम इसमें पशु बाजार को भी शामिल करेंगे." उन्होंने कहा, "हालांकि 'पशुधन हाट' अलग से शुरू करेंगे. इसका पोर्टल जारी किया गया है.
कृषि मंत्री ने कहा कि इसके बाद 22 हजार ग्रामीण हाट के लिए अलग से फंड बनाया जाएगा. इसमें मनरेगा को लगाया, प्रधानमंत्री सड़क योजना को लगाया. तमाम राज्य इसमें सहयोग भी कर रहे हैं." उन्होंने बताया, "भविष्य में 22 हजार मंडियों को ई-मार्केटिंग से जोड़ेंगे. पिछली सरकार ने अगर जोड़े होते तो हम आज बहुत आगे होते. 2022 तक हम बड़े लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे. हमें अच्छे परिणाम मिल रहे हैं."
राधामोहन ने कहा, "जब हम 2022 की बात करते हैं तो उसका असर पिछले चार साल के अंदर नजर आता है. मई में देश के तमाम ब्लाॅकों में हजारों किसान इकठ्ठा हुए थे. उन्होंने अपनी कहानियां बताई. लेकिन विपक्ष को ये सब नजर नहीं आता. वो पूछते हैं कि 2022 में क्या हो जाएगा?"