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रायबरेली: बाहुबली अखिलेश सिंह के गढ़ में बगावत! ब्लॉक प्रमुख चुनाव में MLA अदिति की मां को करीबी ने दी चुनौती, लगाए ये आरोप

बीते 40 सालों से इस क्षेत्र में ब्लॉक प्रमुख वही होता था, जिसके ऊपर बाहुबली विधायक स्वर्गीय अखिलेश सिंह का हाथ होता था. लेकिन अखिलेश सिंह की मौत के बाद हालात बदल गए और इस क्षेत्र में ब्लॉक प्रमुख के कई दावेदार हो गए. 

नीरज सिंह और अदिति सिंह नीरज सिंह और अदिति सिंह
शैलेन्द्र प्रताप सिंह
  • रायबरेली ,
  • 06 जून 2021,
  • अपडेटेड 12:06 AM IST
  • रायबरेली की सियासत गरमाई
  • बाहुबली अखिलेश सिंह के गढ़ में बगावत
  • ब्लॉक प्रमुख चुनाव में करीबी ने दी चुनौती

सच ही कहा जाता है राजनीति में कभी कोई किसी का सगा नहीं रहता और कभी कोई किसी का विरोधी नहीं रहता. कभी अपने विरोधी बन जाते हैं और कभी विरोधी अपने. कुछ इसी तरह की तस्वीरें यूपी के रायबरेली जिले में देखने को मिल रही हैं. जहां कई दशकों से सदर विधायक अखिलेश सिंह का समर्थन करने वाले राकेश सिंह के बेटे नीरज सिंह ने रविवार को ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में अखिलेश सिंह की पत्नी के सामने ही विरोध का बिगुल बजा दिया. 

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दरअसल, पंचायत चुनाव में सीट आरक्षण के बाद नीरज सिंह का पंचायत अध्यक्ष बनने का ख्वाब टूट गया क्योंकि रायबरेली में आरक्षण जनरल सीट को नहीं था. इसलिए नीरज ने पंचायत सदस्य की जगह बीडीसी का चुनाव लड़ा. इसके पहले पिछले चुनावों में भी वह क्षेत्र से बीडीसी सदस्य रहे हैं.

इस बार वह पिंडारी कला से निर्विरोध बीडीसी का चुनाव जीते तो उनकी पत्नी सुषमा सिंह मंचितपुर से चुनाव जीतीं. वहीं बाहुबली अखिलेश सिंह की पत्नी और सदर विधायक अदिति सिंह की मां वैशाली सिंह भी अमावा ब्लाक के ही क्षेत्र से बीडीसी का चुनाव जीतकर ब्लॉक प्रमुख की दावेदारी कर रही हैं. 

बीते 40 सालों से इस क्षेत्र में ब्लॉक प्रमुख वही होता था, जिसके ऊपर बाहुबली विधायक स्वर्गीय अखिलेश सिंह का हाथ होता था. लेकिन अखिलेश सिंह की मौत के बाद हालात बदल गए और इस क्षेत्र में ब्लॉक प्रमुख के कई दावेदार हो गए. 

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वैशाली सिंह के साथ नीरज सिंह

क्षेत्र के राजनीतिक गलियारों में हलचल चरम पर थी ऐसे में हवाएं और महत्वाकांक्षाओं का टकराव ऐसा हुआ कि कल तक अखिलेश अखिलेश सिंह के साथ दशकों से साथ चलने वाला परिवार अब अपनी राजनीति के सपने संजोने लगा. 

अखिलेश सिंह के गांव के ही रहने वाले राकेश सिंह अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव में अपने दोनों बेटे को अखिलेश के साथ चलने की हिदायत देते हैं. वह गांव में सरकारी राशन की दुकान (सार्वजनिक कोटा) चलाते हैं. उनके बड़े बेटे पंकज सिंह भी अखिलेश सिंह के ही साथ रहे थे. लेकिन 2016 में पंकज की हत्या हो जाती है. जिसके बाद उनके बड़े भाई नीरज सिंह अखिलेश सिंह के साथ आ जाते हैं. 

अखिलेश सिंह की मौत के बाद नीरज अदिति सिंह के साथ चलने लगते हैं, लेकिन राजनीति का खेल भी निराला है. अब नीरज अमावा में अदिति की मां के सामने ब्लॉक प्रमुख के दावेदार बनकर खड़े हो गए हैं. हालांकि नीरज सिंह की राजनीतिक डगर आसान नहीं है, क्योंकि उनके सामने रायबरेली का सबसे बड़ा राजनीतिक परिवार है.  

इस बीच नीरज सिंह रविवार को प्रेस वार्ता कर अदिति सिंह पर कई गंभीर लगा दिए. नीरज ने कहा कि अदिति सिंह के द्वारा उनकी जमीनों, कोटे की दुकान निरस्त करवाकर उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है. यही उन्होंने अपनी हत्या की भी आशंका जताई. 

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नीरज सिंह ने कहा कि जिस परिवार (अखिलेश सिंह) के लिए हमारे भाई (पंकज सिंह) ने अपनी कुर्बानी दे दी, आज वही परिवार नहीं चाहता कि स्वर्गीय पंकज सिंह के घर का कोई भी व्यक्ति अमावा की राजनीति या सदर विधानसभा की राजनीति में किसी भी प्रकार का हिस्सा लें.

उन्होंने कहा कि मैं अपने क्षेत्र की जनता के लिए 24 घंटे हाजिर हूं और उनकी हर तरह से मदद करने के लिए तैयार हूं, लेकिन सदर विधायक का मेरे ऊपर प्रशासनिक अत्याचार करके कोटा निरस्त कराना. मेरे ढाबे को बंद कराना, मेरा घर गिरवाना, हत्या करवाने तक की साजिश रची जा रही है. लेकिन मैं इसे सहन नहीं करूंगा, मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और जिले के प्रशासन से न्याय चाहता हूं. 

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