
राफेल विमान सौदे का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंचा है. वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में राफेल मामले के फैसले पर पुनर्विचार याचिकाओं का मुद्दा उठाया. जिसपर सुनवाई करने के लिए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने विचार करने को कहा है. चीफ जस्टिस ने कहा है कि वह सभी लंबित याचिकाओं की लिस्टिंग पर विचार कर रहे हैं, साथ ही इसके लिए एक नई बेंच का गठन भी किया जाना बाकी है.
आपको बता दें कि राफेल विमान सौदे में कथित गड़बड़ी को लेकर पहले भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. अपने पिछले फैसले में कोर्ट से केंद्र सरकार को राहत मिली थी, लेकिन कुछ टाइपिंग की गलती होने के कारण फैसला विवादों में आ गया था. अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में राफेल सौदे से जुड़ी कई याचिकाएं दायर की गई हैं.
पहले खारिज हो चुकी हैं याचिका
बता दें कि संबंधित याचिकाओं के समूह को सुप्रीम कोर्ट ने 14 जनवरी को खारिज कर दिया था. इस समूह में पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी तथा वकील प्रशांत भूषण की याचिकाएं भी थीं. तब न्यायालय ने कहा था कि फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद में केंद्र की निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह का सवाल ही नहीं उठता.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राफेल मुद्दे पर 4 आवेदन या याचिकाएं दाखिल की गई हैं और इनमें से एक तो अब तक खामी की वजह से रजिस्ट्री में पड़ी है. इस पीठ में न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी हैं.
जब प्रशांत भूषण ने राफेल मामले में याचिकाओं को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की तब पीठ ने कहा ‘‘पीठ (के न्यायाधीशों) में बदलाव करना होगा, यह बहुत मुश्किल है. हमें इसके लिए कुछ करना होगा.
प्रशांत भूषण ने कहा कि समीक्षा याचिकाओं के अलावा एक ऐसा आवेदन भी दाखिल किया गया है जिसमें अदालत को गुमराह करने वाली जानकारी देने के लिए केंद्र सरकार के कुछ कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रशांत भूषण के अलावा पूर्व बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने उच्चतम न्यायालय से सोमवार को हाईप्रोफाइल राफेल मामले में सीलबंद लिफाफे में ‘‘झूठी या भ्रामक’’ जानकारी कथित तौर पर देने के लिए केंद्र सरकार के कुछ कर्मचारियों के खिलाफ झूठे साक्ष्य का मुकदमा शुरू करने का आग्रह किया.