Advertisement

UPA Vs NDA: CAG रिपोर्ट से समझें, राफेल डील पर कैसे और कितना बचा देश का पैसा

Rafale Deal Modi Government CAG Report राफेल सहित 11 रक्षा सौदों के बारे में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट बुधवार को राज्यसभा में पेश की गई. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार द्वारा किए गए सौदे में राफेल विमान की कीमत यूपीए के प्रस्तावित सौदे से 2.86 फीसदी कम है.

राफेल सौदे पर सीएजी रिपोर्ट राफेल सौदे पर सीएजी रिपोर्ट
राहुल श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:16 PM IST

राज्यसभा में बुधवार को पेश नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार द्वारा किए गए सौदे में राफेल विमान की कीमत यूपीए के प्रस्तावित सौदे से 2.86 फीसदी कम है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 126 विमान सौदों की तुलना में 36 विमानों के नए सौदे में भारतीय जरूरतों के हिसाब से बदलाव करने में 17.08 फीसदी धन की बचत की गई. इस रिपोर्ट में सभी मदों का विवरण दिया गया है कि आखिर राफेल सौदे में किस मद में कितने फीसदी धन बचा है. इसका विवरण इस प्रकार है-

Advertisement

 1फ्लाइअवे विमान शून्य फीसदी यानी समान लागत  
 2  सेवाएं, उत्पाद, ऑरपेशनल सपोर्ट इक्विपमेंट, टेक्निकल असिस्टेंस आदि  4.77 फीसदी कम
 3  भारतीय जरूरतों के मुताबिक बदलाव  17.08 फीसदी कम
 4 मानक तैयारी  शून्य फीसदी यानी समान लागत
 5 इंजीनियरिंग सपोर्ट पैकेज  6.54 फीसदी महंगा
 6प्रदर्शन आधारित लॉजिस्ट‍िक 6.54 फीसदी महंगा
 7 टूल्स, टेस्टर्स और ग्राउंड इक्व‍िपमेंट  0.15 फीसदी महंगा
 8 हथियार आधारित पैकेज 1.05 फीसदी ज्यादा
 9 रोल इक्विपमेंट  शून्य यानी समान
 10 पायलटों और टेक्नीशियन की ट्रेनिंग  2.68 फीसदी महंगा
 11 सिमुलेटर एवं सिमुलेटर ट्रेंनिंग आदि  शून्य यानी समान लागत
 12 कुल

 2.86 फीसदी कम

सीएजी ने वायुसेना की विमान खरीद प्रक्रिया पर उठाए सवाल

राफेल सहित भारतीय वायु सेना के कुल 11 खरीद सौदों की समीक्षा करने वाली नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीए सरकार की तुलना में एनडीए सरकार का सौदा सस्ता है, वहीं, दूसरी तरफ वायु सेना की खरीद प्रक्रिया पर भी कई सवाल खड़े किए गए हैं.

Advertisement

सीएजी रिपोर्ट में साल 2012-17 के दौरान किए गए भारतीय वायु सेना के 11 खरीद सौदों की समीक्षा की गई है. सीएजी ने कहा कि वायु सेना के साज-ओ-सामान की सही कीमत और सही समय में खरीद के लिए यह जरूरी होता है कि उनकी गुणात्मक जरूरत (एयर स्टाफ क्वालि‍टेटिव रिक्वायरमेंट्स-ASQRs) वास्तव में यूजर की जरूरत को पूरा करता हो, ज्यादा से ज्यादा प्रतिस्पर्धी सौदा हो और तकनीक एवं कीमतों का मूल्यांकन वस्तुनिष्ठ तरीके से किया जाए.

सीएजी ने कहा कि वायुसेना ने ASQRs समुचित तरीके से नहीं किए, जिसका नतीजा यह हुआ कि कोई भी वेंडर पूरी तरह इस मानक पर खरा नहीं उतर पाया. यही नहीं, खरीद प्रक्रिया के दौरान ASQRs में बार-बार बदलाव किया गया. इसकी वजह से तकनीक और कीमत के मूल्यांकन में कठिनाई आई और प्रतिस्पर्धी टेंडर की ईमानदारी प्रभावित हुई. इसकी वजह से खरीद प्रक्रिया में देर हुई.

राफेल सौदे में नहीं मिली बैंक गारंटी

राफेल सौदे के बारे में इस रिपोर्ट में कहा गया है, '2016 के कॉन्ट्रैक्ट में किसी तरह गारंटी या वारंटी नहीं दी गई है. जबकि 2007 के सौदे में दसॉ एविएशन ने प्रदर्शन की और वित्तीय गारंटी दी थी. यह गारंटी कुल कॉन्ट्रैक्ट कीमत के 15 फीसदी तक थी.'

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement