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राफेल पर राहुल का नया दांव, HAL के 10 हजार 'बेरोजगार कर्मचारियों' से मिलेंगे

सड़क से संसद तक घमासान के बाद राफेल डील का मुद्दा पर अब सर्वोच्च अदालत में पहुंचचुका है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार कोइस पर घेरने में जुटे हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो, क्रेडिट- INC India) कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो, क्रेडिट- INC India)
कुमार विक्रांत
  • नई दिल्ली,
  • 10 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 5:32 PM IST

राफेल विमान डील के मुद्दे पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका मिलने के बाद अब कांग्रेस मोदी सरकार को घेरने में जुट गई है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ फ्रंटफुट पर लड़ाई लड़ रहे हैं. अब उन्होंने इस मुद्दे को Hindustan Aeronautics Limited (HAL) के कर्मचारियों की बेरोजगारी से जोड़ दिया है.

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13 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष कर्नाटक के बेंगलुरु में कैंडल मार्च निकालेंगे. राहुल गांधी कर्नाटक कांग्रेस के दफ्तर से HAL के ऑफिस तक मार्च निकालेंगे और मोदी सरकार पर निशाना साधेंगे.

बुधवार को इस बात की जानकारी देते हुए कांग्रेस नेता जयपाल रेड्डी ने कहा कि इस घोटाले में HAL सबसे बड़ी पीड़ित है, वहां पर करीब 30 हजार लोग नौकरी करते हैं. और इस डील के रद्द होने के बाद करीब 10 हजार लोगों को निकाला जा रहा है.

राहुल गांधी 13 अक्टूबर को इन्हीं HAL के कर्मचारियों से मुलाकात करेंगे. गौरतलब है कि राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने HAL से डील छीन कर रिलायंस के हवाले कर दी है.

कांग्रेस नेता जयपाल रेड्डी बोले कि सुप्रीम कोर्ट ने अब केंद्र सरकार से राफेल डील की जानकारी मांगी है, SC ने सभी फैक्ट्स की बात की है. बता दें कि बुधवार को ही सर्वोच्च अदालत में राफेल डील के मुद्दे पर सुनवाई हुई. इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आखिर राफेल डील कैसे हुई और इसका पूरा घटनाक्रम क्या था. मामले पर अगली सुनवाई अब 31 अक्टूबर को होगी.

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क्या हैं कांग्रेस के आरोप?

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी पार्टी पिछले कई महीनों से यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि मोदी सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसॉ से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का जो सौदा किया है, उसका मूल्य पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में विमानों की दर को लेकर जो सहमति बनी थी उसकी तुलना में बहुत अधिक है.

इससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. पार्टी ने यह भी दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौदे को बदलवाया और एचएएल से ठेका लेकर रिलायंस डिफेंस को दिया गया.

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