
गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रभारी महासचिव के नाते अशोक गहलोत की मेहनत से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी खासे प्रभावित लगते हैं. यही वजह है कि उन्हें जनार्दन द्विवेदी की जगह कांग्रेस संगठन महासचिव की कुर्सी सौंप दी गई. गहलोत को नई जिम्मेदारी सौंपने के साथ ही राहुल ने उनसे पार्टी के खस्ताहाल संगठन में जान फूंकने के लिए प्लान मांगा. सूत्रों के मुताबिक गहलोत ने इस दिशा में 7 सूत्री प्लान राहुल को बताया. बताया जाता है कि प्लान राहुल को पसंद आया और उन्होंने इस पर अमल शुरू करने के लिए गहलोत को मौखिक रूप से हरी झंडी भी दिखा दी है.
कांग्रेस में संगठन महासचिव का पद काफी अहम माना जाता है. गहलोत से पहले सोनिया गांधी के विश्वासपात्र माने जाने वाले जनार्दन द्विवेदी के कंधों पर ये जिम्मेदारी थी. गहलोत को उनके पुराने सांगठनिक अनुभव को देखते हुए संगठन महासचिव बनाया गया है.
एनएसयूआई से शुरुआत करने वाले गहलोत यूथ कांग्रेस, सेवादल का सफर तय करते हुए तीन बार राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं. साथ ही एआईसीसी में भी बतौर महासचिव दो बार वो जगह पा चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक गहलोत कांग्रेस संगठन की मजबूती के लिए अपने 7 सूत्री प्लान का पूरा ब्यौरा तैयार कर जल्दी ही राहुल से दोबारा मुलाकात करेंगे. उसके बाद प्लान पर जमीनी काम शुरू कर दिया जाएगा.
कांग्रेस संगठन की दुरुस्तगी के प्लान में बूथ से लेकर संगठन में हर स्तर पर नट-बोल्ट कसने की बात है.
1. देश भर में समयसीमा तय करके प्रदेश, ज़िला और बूथ कमेटियों का गठन किया जाए. इसके लिए पार्टी के प्रदेशों महासचिवों और प्रदेश अध्यक्षों को जल्दी ही निर्देश जारी कर दिए जाएंगे.
2. सभी कमेटियों में जगह पाने वालों का एक डेटा बैंक भी तैयार किया जाएगा. इसमें उनकी डिटेल्स, बैकग्राउंड और विशेषज्ञता की जानकारी भी होगी. इसके जरिए व्यक्ति की विशेषता देखकर जरूरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जायेगा या कोई पद दिया जायेगा.
3. पार्टी संगठन में हर स्तर पर 5 वर्गों को कम से कम कुल 50 फीसदी स्थान दिया जायेगा। इन वर्गों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाएं और अल्पसंख्यक शामिल रहेंगे.
4. केंद्रीय कांग्रेस से दिए जाने वाले प्रोग्रामों को किस तरह हर स्तर पर परफॉर्म किया गया, उसकी मॉनिटरिंग की जाएगी. साथ ही अपने जिले, बूथ या प्रदेश स्तर के मुद्दों पर खुद संगठन ने क्या किया, इसकी भी मॉनिटरिंग होगी.
5. मॉनिटरिंग गम्भीरता से हो इसके लिए सबको पेपर कटिंग और वीडियो क्लिपिंग भी तैयार रखनी होगी. मॉनिटरिंग के लिए ही राहुल गांधी ने हर राज्य में एक प्रभारी के साथ 4 प्रभारी सचिवों की नियुक्ति का फॉर्मूला बनाया है.
6. हर स्तर पर ट्रेनिंग प्रोग्राम और अधिवेशन तय समयसीमा में आयोजित करने होंगे. इनमें विशेषज्ञों, जानकारों और नेताओं के लेक्चर भी होंगे. इस काम की भी मॉनिटरिंग होगी.
7. तय हुआ है कि संगठन को मजबूत करने की इस पूरी कवायद की समीक्षा के लिए खुद राहुल हर चार महीने में राज्य के प्रभारी और चारों प्रभारी सचिवों के साथ बैठक किया करेंगे. हालांकि सियासी जरूरत के हिसाब से कभी भी ये मुलाकात हो सकती है.
सूत्रों के मुताबिक राहुल का गहलोत को साफ निर्देश है कि मॉनिटरिंग के बाद जवाबदेही भी तय की जाए. बेहतर प्रदर्शन करने वालों को इनाम और खराब प्रदर्शन करने वालों को सजा का नियम कड़ाई से अमल में लाया जाएगा. साथ ही पार्टी में आपसी फूट और अनुशासनहीनता पर जीरो टॉलरेन्स की नीति का पालन होगा.
इसके अलावा पार्टी संगठन में पदों पर बैठे 40 फीसदी लोग ही रिपीट होंगे और 60 फीसदी नए चेहरे होंगे. इन नए लोगों में खासकर वो होंगे जो अर्से से पार्टी में हैं, लेकिन पदों पर नहीं है. साथ ही पार्टी में आए कुछ नए लोगों को भी मौका दिया जा सकता है.
राहुल पहले ही प्रदेश अध्यक्षों और महासचिवों को निर्देश दे चुके हैं कि, पीसीसी डेलिगेट्स और एआईसीसी मेंबरों की नियुक्ति में भी 40 फीसदी जगह 40 साल से कम उम्र के लोगों को दी जाएं.
अपने नए फॉर्मूले पर बात करते हुए अशोक गहलोत ने कहा ‘जी हां, राहुल जी ने संगठन की दुरुस्तगी के लिए कई नए निर्देश दिए हैं, जिनका पालन होगा. साथ ही सबकी जवाबदेही जरूर तय होगी.’ गहलोत ने पूरे विश्वास के साथ कहा कि इंदिरा, राजीव और सोनिया की तरह ही राहुल भी कांग्रेस को आगे लेकर जाएंगे.
सारी मशक्कत का निचोड़ यही है कि राहुल पार्टी संगठन को नई धार देकर सियासी रण में उतरने की तैयारी में हैं. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि कागज पर जो रणनीति है वो जमीन पर कितनी मजबूती और गंभीरता से उतारी जाती है. यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के वक्त भी राहुल के कई कागजी प्रोजेक्ट जमीन पर कामयाब नहीं हो पाए थे. उनका कांग्रेस में पार्टी टिकट हासिल करने के लिए प्राइमरी करानी का पायलट प्रोजेक्ट भी परवान नहीं चढ़ सका था.
बहरहाल, गहलोत जैसा जमीनी और मझा सिपहसालार मिलने के बाद कांग्रेस संगठन में नई जान फूंकने का प्लान कितना कामयाब रहता है, ये आने वाला वक्त ही बताएगा.