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राफेल पर कौन कर रहा है गुमराह? राहुल, मैक्रों, निर्मला में गलत कौन?

निर्मला सीतारमण ने अपने जवाब में राहुल पर ही गलतबयानी करने और सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया. वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति की तरफ से सफाई दी गई है कि राफेल डील के तथ्यों को उजागर न किए जाने का समझौता दोनों देशों के बीच है. फ्रांस की इस सफाई के बावजूद राहुल गांधी अपने बयान पर कायम हैं.

निर्मला सीतारमण, इमैनुएल मैक्रों और राहुल गांधी निर्मला सीतारमण, इमैनुएल मैक्रों और राहुल गांधी
दीपक कुमार/राहुल मिश्र
  • नई दिल्‍ली,
  • 20 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 8:27 PM IST

लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राफेल डील पर राहुल गांधी के बयान के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है. संसद में राहुल गांधी ने दावा किया कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उन्हें एक मुलाकात के दौरान बताया कि राफेल डील में किसी तरह की गोपनीयता का प्रावधान नहीं है और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने पीएम के कहने पर संसद में झूठ बोला है. निर्मला सीतारमण ने अपने जवाब में राहुल पर ही गलतबयानी करने और सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया. वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति की तरफ से सफाई दी गई है कि राफेल डील के तथ्यों को उजागर न किए जाने का समझौता दोनों देशों के बीच है. फ्रांस की इस सफाई के बावजूद राहुल गांधी अपने बयान पर कायम हैं.

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संसद में राहुल गांधी का बयान

राहुल गांधी का आरोप कि उन्हें फ्रांस के राष्ट्रपति ने बताया था कि दोनों देशों के बीच हुए राफेल समझौते में किसी तरह की गोपनीयता का कोई प्रतिबंध नहीं है. संसद में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राफेल डील पर बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि देश की रक्षा मंत्री ने राफेल डील में खर्च पर खुलासा करने के वादे को पूरा नहीं किया. राहुल गांधी ने कहा कि देश की रक्षा मंत्री संसद में बैठी हैं. उन्होंने कहा था कि वह जेट खरीदने में खर्च हुए पैसों का पूरा ब्यौरा देंगी. लेकिन बाद में कहती हैं कि वह खर्च का खुलासा नहीं कर सकतीं क्योंकि भारत सरकार का फ्रांस की सरकार के साथ गोपनीयता का समझौता हुआ है. राहुल गांधी ने दावा किया कि फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ हुई उनकी मुलाकात में राष्ट्रपति ने ऐसी किसी डील की बात को नकार दिया था. राहुल ने ये भी कहा कि पीएम के कहने पर रक्षामंत्री ने सदन में राफेल के बारे में ये झूठ बोला.

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राहुल के आरोप पर रक्षा मंत्री की सफाई

राहुल गांधी के आरोप पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने फ्रांस से राफेल डील पर सफाई देते हुए कहा कि राहुल गांधी और फ्रांस के राष्ट्रपति के बीच हुई बातचीत का कोई ब्यौरा उनके पास नहीं है. निर्मला ने ‘इंडिया टुडे’ (संसद में रक्षा मंत्री ने मीडिया हाउस का नाम नहीं लिया) को दिए गए एक इंटरव्यू का हवाला देते हुए कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने भारतीय मीडिया से कहा कि कॉमर्शियल एग्रीमेंट के चलते भारत सरकार इस डील से जुड़ी सूचना को सार्वजनिक नहीं कर सकती है.

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फ्रांस सरकार की सफाई

‘भारत और फ्रांस के बीच 2008 में हुए सुरक्षा समझौते में प्रावधान है कि दोनों देश किसी ऐसी सूचना को सार्वजनिक नहीं करेंगे जिससे रक्षा सौदे से संबंधित हथियार अथवा उपकरण की सुरक्षा और क्षमता पर असर पड़े’ लिहाजा इस आधार पर स्वाभाविक है कि 23 सितंबर 2016 में दोनों देशों के बीच 36 ऱाफेल जेट और उसके पुर्जों को खरीदने की हुई डील में 2008 का यह समझौता लागू होगा. फ्रांस के राष्ट्रपति ने सार्वजनिक तौर पर 9 मार्च को इंडिया टुडे को दिए अपने इंटरव्यू में साफ-साफ कहा था कि दोनों देशों के बीच समझौता बेहद संवेदनशील है और इससे जुड़ी अहम जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता.’

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फ्रांस की सफाई पर राहुल गांधी का जवाब

फ्रांस सरकार द्वारा सफाई जारी करने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि अब भले फ्रांस सरकार इस बात को नकार रही हो, यह उनकी मर्जी है. राहुल ने दावे को दोहराया कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने उनसे यह बात कही थी. राहुल ने बताया कि जिस समय फ्रांस के राष्ट्रपति ने यह बात कही उस समय उनके साथ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे.

इंडिया टुडे से 8 मार्च को इंटरव्यू में मैक्रों ने क्या कहा था

भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल डील पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि यदि भारत इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ किसी तरह की बहस के लिए डील की कुछ बारीकियों से पर्दा उठाना चाहता है तो फ्रांस सरकार विरोध नहीं करेगी. इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में मैक्रों ने कहा कि इस डील में इकोनॉमिक, इंडस्ट्रियल और स्ट्रैटेजिक हितों का पूरा ध्यान रखा गया है.

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हालांकि, मैक्रों ने कहा कि यह डील उनके कार्यकाल में नहीं की गई है लेकिन उनका मानना है कि इस डील से दोनों देशों को फायदा हुआ है. डील पर बरती जा रही गोपनीयता पर मैक्रों ने कहा कि दोनों देशों के बीच जब किसी मामले पर बेहद सेंसिटिव बिजनेस इंटरेस्ट शामिल रहते हैं तो खुलासे करना उचित नहीं रहता. मैक्रों ने कहा कि इस डील में कॉमर्शियल एग्रीमेंट के तहत प्रतियोगी कंपनियों को डील की बारीकियों की जानकारी नहीं होनी चाहिए. यह कमर्शियल एग्रीमेंट कुछ कंपनियों के हितों से जुड़े हैं लिहाजा इनपर गोपनीयता जायज है.

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