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BJP को घेरने के लिए राहुल गांधी ने सुनाई दो मंदिरों की कहानी

राहुल की कहानियां खत्म हो गई थीं. हालांकि दर्शकों को लग रहा था कि कहानी आगे भी बची है और वे उसके समापन का इंतजार कर रहे थे. लेकिन राहुल तब तक दूसरे विषय पर बोलने लगे थे.

राहुल गांधी राहुल गांधी
भारत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 18 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 6:47 PM IST

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को दिल्ली में पार्टी के 84वें महाधिवेशन में अपने कार्यकर्ताओं को दो कहानियां सुनाईं. राहुल के इस संबोधन में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने कई बार तालियां बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया और इस दौरान 'बदलाव का वक्त है', 'राहुल तुम संघर्ष करो..' जैसे नारे भी लगे.

हालांकि, राहुल की दो कहानियों के दौरान कांग्रेसी कार्यकर्ता मौन साधकर कहानी सुनते रहे और कहानियां खत्म होने के बाद उनकी ओर से वैसी तालियां नहीं सुनाई दीं, जैसी दूसरे मुद्दों पर सुनाई दे रही थीं. इस प्रतिक्रिया को देखकर संभावनाएं जताई जा रही हैं कि शायद कार्यकर्ताओं को कहानी का अंत समझ नहीं आया.

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राहुल ने ये दो कहानियां हाल में गुजरात में हुए विधानसभा चुनावों के संबंध में सुनाईं. इन चुनावों में कांग्रेस ने कई चुनाव विशेषज्ञों की उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया था. भले ही कांग्रेस सरकार बनाने में नाकाम रही, लेकिन कांग्रेसी नेता अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नजर आए. इन नतीजों के आने के बाद से ही कांग्रेसी नेता इन चुनावों के नतीजे का जिक्र करते रहते हैं.

राहुल ने कहा, 'गुजरात के चुनाव में लोगों ने कहा कि मैं मंदिर में जाता हूं. लेकिन मैं बहुत पहले से ही सिर्फ मंदिर ही नहीं, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे में भी जाता हूं. मैं आपको मंदिर जाने की दो कहानियां सुनाता हूं.'

राहुल ने कहा, 'एक बार शिव का मंदिर था, वहां पूजा हो रही थी, पंडित बैठे थे, पूजा खत्म हुई. मैंने पंडित जी से सवाल पूछा- गुरु जी, ये बताइए आपने किया क्या? दूध डाला, पानी डाला, मंत्र पड़े, लेकिन आपने पूजा में किया क्या? पंडित जी ने कहा- पहले अपने सिक्योरिटी वालों को दूर करो, मैंने किया. फिर उन्होंने मुझे मंदिर के पीछे दीवार पर खड़ा किया, कहा- दीवार पर माथा लगाओ. मैंने लगाया तो उन्होंने कहा- एक बात बताता हूं, मैं यहां का नहीं हूं, कश्मीर का हूं, लोगों को मत बताना. अगर तू भगवान ढूंढ रहा है, वह तो तुझे कहीं भी मिल जाएगा. मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे, पेड़ में, आसमान में... सब जगह मिलेगा. मैंने कहा- धन्यवाद गुरु जी और मैं चला गया.'

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राहुल ने दूसरी कहानी में कहा , 'फिर से वैसा ही शिव का मंदिर था, वैसी ही एक पूजा थी, एक पंडित थे. मैंने भी वही सवाल किया. सवाल पूछने की आदत है. पंडित ने कहा- बेटा ये मत पूछ. मैं अड़ गया, मैंने फिर से पूछा. पंडित जी ने कहा- मैंने पूजा कर दी है, तुम प्रधानमंत्री बनने जा रहे हो. फिर बोले- मंदिर की छत पर क्या है? मैंने कहा- सीमेंट है, वह बोले- जब तुम पीएम बन जाओगे, छत पर सोना लगा देना.' एक व्यक्ति सच्चाई कहता है. एक बातें बनाता है, झूठ कहता है.

राहुल की दूसरी कहानी यहां पर खत्म हो गई थी. हालांकि दर्शकों को लग रहा था कि कहानी आगे भी बची है और वे उसके समापन का इंतजार कर रहे थे. लेकिन राहुल तब तक दूसरे विषय पर बोलने लगे थे.

 

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