
चार राज्यों में बड़ी चुनावी हार के बाद जहां अटकलें लगाई जा रही थीं कि, इससे कांग्रेस के भीतर टीम राहुल कमजोर होगा, वहीं इसके उलट कांग्रेस के उच्च पदस्त सूत्रों का दावा है कि, अब इससे बुरा कुछ हो नहीं सकता, ऐसे में यही वक्त है कि, कांग्रेस में बड़े फेरबदल का और राहुल की ताजपोशी का. नाम न छापने की शर्त पर गांधी परिवार के करीबी एक बड़े नेता ने कहा कि, चार राज्यों की चुनावी हार का कांग्रेस संगठन में होने वाले बदलाव से या राहुल की ताजपोशी से कोई लेना-देना नहीं है. बल्कि, ये उतनी जल्दी होगा, जितना आप सोच भी नहीं सकते.
कुछ देर बाद ही इसी तर्ज पर कांग्रेस का आधिकारिक बयान भी आ गया. पार्टी के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि, हार को संगठन में बदलाव से नहीं जोड़ा जाए , समय आने पर आकलन करके पार्टी फैसला करेगी.
जून-जुलाई में बड़े बदलाव की तैयारी...
जून के आखिर तक या जुलाई की शुरुआत में पार्टी में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. कई महासचिवों की छुट्टी होगी और कई नए चेहरों को जगह मिलेगी. सूत्रों के मुताबिक, नई टीम में युवाओं को जगह जरूर मिलेगी, लेकिन टीम संयोजन में नए और पुराने दोनों चेहरे होंगे.
जिनका कट सकता है पत्ता...
सूत्रों का दावा है कि, तकरीबन 8 राष्ट्रीय महासचिव स्तर के नेताओं की पद से छुट्टी हो सकती है, जिनमें अंबिका सोनी, मोहन प्रकाश, मधुसूदन मिस्त्री, सीपी जोशी, बीके हरिप्रसाद, मुकुल वासनिक और गुरुदास कामत शामिल हैं. साथ ही संगठन महासचिव जनार्दन द्विवेदी और पंजाब प्रभारी शकील अहमद पर आखिरी फैसला होना बाकी है. वहीं दिग्विजय सिंह को महासचिव पद पर बनाए रखने के आसार हैं. बात कोषाध्यक्ष पद की करें तो उम्रदराज नेता मोतीलाल वोरा को भी आराम दिए जाने पर विचार हो रहा है. उनकी जगह राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत या फिर सुशील कुमार शिंदे को लाने पर विचार चल रहा है. इस बावत सोनिया और राहुल के बीच सूची का आदान-प्रदान भी शुरु हो चुका है.
जिनको मिल सकती है संगठन में जगह...
नई टीम में नए और पुराने चेहरों के संयोजन का खास ख्याल रखा जा रहा है. टीम राहुल के कई नेताओं को सचिव पद दिए जाएंगे. वहीं, महासचिव स्तर पर कमलनाथ, भूपिन्दर सिंह हुड्डा, आनंद शर्मा जैसे पुराने नेताओं को जगह मिल सकती है. साथ ही अगर शीला दीक्षित को यूपी नहीं भेजा जाता है तो वो भी पार्टी महासचिव पद की प्रबल दावेदार होंगी. महासचिव पद के लिए बात अगर नए चेहरों की करें तो राहुल के सबसे करीबी दलित नेता के. राजू के साथ ही भंवर जितेन्द्र सिंह, आरपीएन सिंह, सूरज हेगड़े, मीनाक्षी नटराजन और मिलिन्द देवड़ा सरीखे नेता रेस में हैं.
राहुल की ताजपोशी के लिए दो विकल्प..
ये तो तय है कि, इस साल राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बन जाएंगे लेकिन ताजपोशी कब हो, इस पर गांधी परिवार दो विकल्पों पर विचार कर रहा है. पहला विकल्प ये कि जून में पार्टी में बदलाव के साथ ही महीने के आखिर में या जुलाई की शुरुआत में राहुल को अध्यक्ष मनोनीत कर दिया जाए और फिर बाद में अक्टूबर में संगठन के संभावित चुनाव में वो अध्यक्ष चुन लिए जाएं. दूसरा विकल्प ये है कि अभी पार्टी में बदलाव कर दिए जाएं, अनौपचारिक तौर काम राहुल देखें और कुछ महीनों में नई टीम के साथ वो तालमेल बैठा लें, जिसके बाद अक्टूबर में सोनिया गांधी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दें और फिर संगठन चुनाव मे राहुल अध्यक्ष का चुनाव लड़कर कुर्सी संभालें.
कुल मिलाकर लगातार हार के बाद अब जल्द कांग्रेस अपने संगठन में बदलाव करने को तैयार दिख रही है लेकिन इस लकीर के साथ कि हार हो या जीत उनके अगले अध्यक्ष राहुल गांधी ही होंगे और इसी साल होंगे. आखिर गांधी परिवार ने पहले से जो तय किया है कि राहुल ही कांग्रेस का भविष्य हैं और प्रियंका अगर भविष्य में सक्रिय राजनीति में आएंगी भी तो राहुल की सहयोगी की भूमिका में.