
मौसम विभाग ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी राजस्थान से मॉनसून के पीछे हटने की घोषणा की है. इसी के साथ मॉनसून की वापसी रेखा अब कुपवाड़ा, कोकरानाग, लुधियाना, पठानकोट, चुरू, फलौदी और जैसलमेर तक पहुंच चुकी है. मौसम के जानकारों का कहना है कि अगले दो तीन दिनों में उत्तर-पश्चिम भारत के ज्यादातर हिस्सों से मॉनसून की विदाई का ऐलान कर दिया जाएगा.
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक चरण सिंह के मुताबिक मॉनसून की वापसी के लिए उत्तर-पश्चिम भारत की स्थितियां अनुकूल हैं. पश्चिमी राजस्थान पर बना एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन अब फैलता जा रहा है. अगले पांच-छह दिनों में दिल्ली, हिमाचल, पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड इसके प्रभाव में आ जाएंगे.
इससे इन इलाकों से भी मॉनसून की वापसी हो जाएगी. आमतौर पर मॉनसून वापसी की प्रक्रिया 1 सितंबर के बाद से शुरू हो जाती है. लेकिन इस बार हवाओं के रुख में तब्दीली थोड़ी देर से आ रही है. मौसम विभाग ने 15 सितंबर को पश्चिमी राजस्थान के कुछ इलाकों से मॉनसून की वापसी घोषित की थी लेकिन उसके बाद एक के बाद एक कम दबाव के क्षेत्र बंगाल की खाड़ी में बने जिससे मॉनसून वापसी की प्रक्रिया थम सी गई. अब एक बार फिर से मॉनसून की वापसी का दौर शुरू हुआ है.
मॉनसून की वापसी एक क्रमिक प्रक्रिया है. वापसी सबसे पहले पश्चिमी राजस्थान से शुरू होती है और उसके बाद राजस्थान के बाकी इलाकों, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और पूर्वोत्तर भारत से मॉनसून की वापसी होती है. इसके बाद सबसे अंत में दक्षिण भारत और पश्चिम भारत के तटीय इलाकों से मॉनसून की वापसी होती है.
जहां एक तरफ मॉनसून की वापसी ने रफ्तार पकड़ी है तो तो वहीं दूसरी तरफ बंगाल की खाड़ी में बन रहे कम दबाव के क्षेत्र एक के बाद एक मध्य भारत तक नम हवाओँ के जरिए झमाझम बारिश का सिलसिला बनाए हुए हैं. मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले 24 घंटों के बाद तेलांगाना, रायलसीमा और आंध्र प्रदेश के तमाम इलाकों में बारिश एक बार फिर से तेजी पकड़ लेगी. इस वजह से आंध्र प्रदेश, अंदरूनी कर्नाटक, मराठवाड़ा, विदर्भ और कोंकण गोवा के तमाम इलाकों में झमाझम बारिश का सिलसिला अक्टूबर के पहले हफ्ते तक जारी रहेगा. मौसम विभाग का कहना है कि अगले पूरे हफ्ते इन सभी इलाकों मे जोरदार बारिश रिकॉर्ड की जाएगी.