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राजस्थान के स्कूलों में साधु-संत देंगे प्रवचन, कांग्रेस ने बताया BJP की चाल

राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी वैसे तो हमेशा से विवादों में रहे हैं, लेकिन अब बच्चों को संस्कारी बनाने के लिए उन्होंने नया तरीका अपनाया है. राजस्थान के सभी सरकारी स्कूलों में एक जुलाई से शनिवार को अंतिम पीरियड 'संस्कार पीरियड' होगा जहां प्रवचन दिया जा सकेगा.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 12 जून 2018,
  • अपडेटेड 9:23 PM IST

चुनावी साल में राजस्थान सरकार मतदाताओं को लुभाने के लिए एक के बाद एक नए फैसले ले रही है. राज्य की बीजेपी सरकार ने फैसला लिया है कि राजस्थान के सरकारी स्कूलों में अब साधु-महात्मा भी अपना प्रवचन दे सकेंगे.

राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग ने कैलेंडर जारी किया है जिसमें शनिवार के अंतिम पीरियड में किसी भी क्षेत्र से आने वाले लोगों को बुलाकर स्कूल में बच्चों को महापुरुषों की जीवनियां या प्रेरणादायक कहानियां सुनाने को कहा जाएगा. इसी दौरान कैलेंडर में यह भी तय किया गया है इस कार्यक्रम में स्कूल कमेटी साधु-महात्मा को बुलाकर भी उनका प्रवचन करा सकती है.

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राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी वैसे तो हमेशा से विवादों में रहे हैं, लेकिन अब बच्चों को संस्कारी बनाने के लिए उन्होंने नया तरीका अपनाया है. राजस्थान के सभी सरकारी स्कूलों में एक जुलाई से शनिवार को अंतिम पीरियड 'संस्कार पीरियड' होगा, जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े विशिष्ट पहचान रहने वाले लोग क्लास में आकर महापुरुषों के और जीवन के प्रेरणादायक कहानियां सुनाएंगे.

इसी दौरान बच्चों के दादा-दादी और नाना-नानी को भी बुलाने का प्रावधान है जो क्लास में आकर दादा-दादी और नाना-नानी की कहानियां सुनाएंगे. इनके अलावा स्कूल कमेटी को यह भी छूट दी गई है कि वह साधु-संतों को बुलाकर भी बच्चों को संस्कारित करने का प्रवचन सुनवा सकती है.

शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी बताया कि हमने एक स्कूल कमेटी बनाई है जो हर स्कूल के लिए अलग-अलग होगी वो तय करेगी कि किसको बुलाना है. कलेक्टर भी आकर किसी महापुरुष की जीवनी सुना सकते हैं और बच्चों के दादा-दादी, नाना-नानी भी आ सकते हैं. कमेटी साधु-संतों को भी स्कूल में बच्चों को संस्कारित करने के लिए बुला सकती है.

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विपक्ष का आरोप है कि शिक्षा मंत्री शुरू से ही भगवा एजेंडे पर काम करते रहे हैं ऐसे में इस तरह के संस्कार पीरियड की आड़ में वह शिक्षा के भगवाकरण करने की कोशिश कर रहे हैं. साधु-संतों को स्कूल से दूर रखना चाहिए क्योंकि सरकारी स्कूलों में सभी धर्म और संप्रदाय के बच्चे बिना भेदभाव के पढ़ते हैं.

कांग्रेस की प्रवक्ता अर्चना शर्मा ने कहा कि अच्छे कामों में भी इनकी भावना गलत होती है इसलिए हमें इनकी मंशा पर संदेह होती है. खास बात यह है कि साल के अंत में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले वसुंधरा सरकार ऐसे कई लोकलुभावने फैसले ले रही है.

राजस्थान के सरकारी स्कूलों में कभी सिलेबस से अकबर और नेहरू को हटाने के लेकर तो कभी माता-पिता दिवस के रूप में वैलेंटाइन डे को मनाने को लेकर शिक्षा मंत्री विवादों में रहे हैं. साइकिल के रंग से लेकर ड्रेस तक को भगवा करने के लिए राज्य के शिक्षा मंत्री विवादों में बने रहे.

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