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40 आतंकी समूहों पर इमरान को राजनाथ का जवाब, हम उनके खात्मे में मदद को तैयार

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 1999 के करगिल विजय के बाद सेना के आधुनिकिकरण के कारण काफी बदलाव आए. एडवांस्ड हथियारों को शामिल किया गया. भारत युद्ध करना नहीं चाहता लेकिन अगर हुआ तो 1965, 1971 और 1999 से भी बेहतर विजय हासिल करेंगे.

राजनाथ सिंह राजनाथ सिंह
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 7:33 PM IST

पूरा देश आज करगिल विजय दिवस मना रहा है. इस मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आजतक से खास बातचीत की और कहा कि भारत युद्ध नहीं चाहता लेकिन युद्ध के लिए उकसाया तो परिणाम पहले के युद्धों से ज्यादा बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि फौज के जवानों पर हमें गर्व है. जवानों के लिए विशेष तौर पर सोचना जरूरी है. मेरे लिए देशहित सबसे पहले है.

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राजनाथ सिंह ने कहा कि 1999 के करगिल विजय के बाद सेना के आधुनिकिकरण के कारण काफी बदलाव आए. एडवांस्ड हथियारों को शामिल किया गया. भारत युद्ध करना नहीं चाहता लेकिन अगर हुआ तो 1965, 1971 और 1999 से भी बेहतर विजय हासिल करेंगे.

करगिल युद्ध पर बात करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए प्रयास किए और समझौता भी किया लेकिन पाकिस्तान इसके बाद भी बाज नहीं आया. 60 दिन तक यह युद्ध चला और जवानों ने अपने पराक्रम से विजय प्राप्त किया.

राजनाथ सिंह ने 1999 के इस युद्ध को याद करते हुए बताया कि पहली बार भारत को 3 मई 1999 को पता चला कि पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया है. उसके बाद कार्रवाई का सिलसिला शुरू हुआ. चोटियों पर पाकिस्तान के सैनिक आकर बैठे हुए थे और इस बात को जानते हुए भी ऊपर जाने पर मारे जाएंगे, भारतीय सैनिकों ने आगे बढ़कर उन्हें नेस्तोनाबूत कर दिया.

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पाकिस्तानियों को खदेड़कर बोले विक्रम बत्रा- दिल मांगे मोर

विक्रम बत्रा का जिक्र करते हुए राजनाथ ने बताया कि वो ऊपर पहुंचकर एक पोस्ट पर कब्जा भी कर चुके थे और फिर अपने अधिकारी को बताया. जब अधिकारी ने उनसे पूछा कि आगे क्या करना है तो उन्होंने कहा था दिल मांगे मोर.

विश्वास और विश्वासघात के बीच का युद्ध था करगिल

उन्होंने कहा कि सभी को इस बात का खयाल रखना चाहिए कि दोस्त बदल जाते हैं पड़ोसी नहीं बदलता. यही बात अटल जी भी कहते थे. भारत ने कभी किसी देश पर पहले हमला नहीं किया. करगिल का युद्ध विश्वास और विश्वासघात के बीच का युद्ध था. जिसमें विजय विश्वास की हुई.

उन्होंने कहा, देश के लोगों को मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि अब हमारा इंटेलिजेंस काफी बेहतर हुआ है. सीमा पर पल-पल की खबर रहती है. तकनीकि रूप से भी हम काफी आगे बढ़े हैं. हमारे पास ऐसी तकनीक है कि हम दूर से बैठकर दुश्मन पर निगरानी रख सकते हैं.

उन्होंने कहा, हथियारों की खरीद को लेकर राजनीतिक दलों की एक स्वस्थ सोंच होनी चाहिए. राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. राफेल की जरूरत है और वो सितंबर में आ जाएगा.

आतंकियों के खात्मे के लिए पाकिस्तान मिलकर करे काम

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राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर पर किसी की मध्यस्थता मंजूर नहीं है. इमरान खान ने स्वीकार किया है कि उनके देश में आतंकी हैं. अगर इमरान खान आतंकियों पर काबू नहीं कर पा रहे हैं तो वो अपने पड़ोसी देश का सहयोग भी प्राप्त कर सकते हैं. दोनों मिलकर क्यों न आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करें. हालांकि, उनकी ऐसी मंशा नहीं होगी.

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