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राज्यसभा में अप्रैल के बाद संख्या के खेल और किसी भी विधेयक को रोकने के मामले में विपक्ष की धार कम हो सकती है. जबकि बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए की अपने विरोधियों से काफी बेहतर स्थिति हो सकती है.
अप्रैल में 58 राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल पूरा हो रहा है. इससे राज्यसभा के गणित में बदलाव होना तय है. राज्य विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिले मजबूत बहुमत से राज्यसभा चुनाव में भी पार्टी को फायदा होगा. इससे बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की सीटें बढ़ेंगी.
इसी के साथ, जहां कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्ष की संख्या 123 से कम होकर करीब 115 रहने की संभावना है, तो वहीं बीजेपी और उसके गठबंधन सहयोगियों और समर्थकों का कुल आंकड़ा वर्तमान के 100 से बढ़कर 109 हो सकता है.
बता दें कि सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस के बीच एक समय फर्क इतना था कि मोदी सरकार लोकसभा में अपने बिल पास कराने के बाद भी राज्यसभा में अटक जाता था. पर अब फर्क कम हो जाएगा.
कार्यकाल पूरा करने वाले 55 सदस्यों में से 30 विपक्षी खेमे के हैं, जबकि 24 बीजेपी और उसके सहयोगियों के हैं. उनमें से राजग के कई उम्मीदवार सदन में वापस लौटेंगे, जबकि विपक्ष के कई सदस्य दोबारा से वापसी नहीं कर पाएंगे.
राज्यसभा का सियासी समीकरण
मौजूदा समय में सदन के 233 निर्वाचित सदस्यों (12 नामांकित सदस्यों के अलावा) में से कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्ष के 123 राज्यसभा सदस्य हैं, जबकि एनडीए के 83 सदस्य हैं (बीजेपी के 58) और चार निर्दलीय सदस्य भी हैं, जो बीजेपी के समर्थक हैं, जिनमें राजीव चंद्रशेखर, सुभाष चंद्रा, संजय दत्तात्रेय काकाडे और अमर सिंह हैं.
इसके अलावा ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके), जिसके राज्यसभा में 13 सदस्य हैं, वे भी एनडीए के साथ हैं. इस तरह एनडीए के 100 सदस्य पहुंचते हैं.
बता दें कि कुछ महीने पहले तक बीजेपी का ये आकड़ा और भी अधिक था. राज्यसभा में विधेयकों और प्रमुख मुद्दों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच किसी भी प्रकार की बहस की स्थिति में विपक्ष का पलड़ा भारी पड़ जाता था. हालही में तीन तलाक विधेयक जो लोकसभा से पास होने के बाद भी राज्यसभा में अटक गया है.
राज्यसभा में विपक्ष के बहुमत के वजह नरेंद्र मोदी सरकार को कई मामलों में मुंह की खानी पड़ी. सदन में संघर्ष की स्थिति से बचने के लिए उसे कई बार धन विधेयक का सहारा लेना पड़ा. संविधान के तहत धन विधेयक को केवल लोकसभा में पारित काराना जरूरी है और राज्यसभा इसे रोका नहीं जा सकता है.
अप्रैल में बीजेपी की राज्यसभा में बढ़ेगी सीटें
बीजेपी और उसके गठबंधन सहयोगियों के 100 राज्यसभा सदस्यों में से 24 राज्यसभा सदस्यों के कार्यकाल पूरे हो रहे हैं. ऐसे में एनडीए के पास एआईएडीएमके सदस्यों समेत 76 सांसद बचेंगे. हालांकि बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए के 30 राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होकर आएंगे. ऐसे में ये आंकड़ा बढ़कर 106 हो जाएगा. इसमें सरकार द्वारा राज्यसभा के लिए नामांकित किए जाने वाले तीन सदस्यों को भी मिला दें तो राजग सदस्यों का कुल आंकड़ा करीब 109 हो जाएगा.
इसके अलावा तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (आईएनएलडी) और वायएसआर कांग्रेस जैसी पार्टियां भी हैं, जो पूरी तरह बीजेपी के खिलाफ नहीं हैं और वे जब तक कोई ठोस कारण न हो सरकार का विरोध में नहीं उतरती हैं.
कांग्रेस सहित विपक्षी दलों की संख्या 123 है. इनमें से 30 राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है, जिसके बाद 93 सदस्य बचेंगे विपक्ष 30 में से 22 राज्यसभा निर्वाचित हो पाएंगे. इस तरह अप्रैल के बाद राज्यसभा में विपक्षी दलों की संख्या 115 हो जाएगी.
आम आदमी पार्टी (आप) के तीन नवनिर्वाचित सदस्य बीजेपी और कांग्रेस दोनों से ही समान दूरी बनाए रख सकते हैं, हालांकि आप के तृणमूल कांग्रेस जैसी कुछ प्रमुख विपक्षी पार्टियों के साथ अच्छे संबंध हैं.
हाल ही में एक रोचक घटनाक्रम में आप ने सभापति एम. वेंकैया नायडू द्वारा सदन को दिन में लंबे समय तक स्थगित किए जाने को लेकर सदन के दिनभर के बहिष्कार और बहिर्गमन में विपक्ष का बढ़ चढ़कर साथ दिया था.इतना नहीं उस दिन विपक्ष के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बोलने के लिए आमंत्रित किया गया. लेकिन यह कोई नहीं कह सकता कि यह साथ कब तक चलेगा.