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राज्यसभा में होगा विपक्षी एकता का टेस्ट, उपसभापति उम्मीदवार उतारेगी BJP

उम्मीदवार खड़ा करने की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि बीजेपी राज्य सभा के उपसभापति पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी लेकिन हम चाहते हैं कि उम्मीदवार सर्वसम्मिति से चुना जाए.

संसद भवन संसद भवन
अनुग्रह मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 02 जून 2018,
  • अपडेटेड 11:03 AM IST

राज्य सभा में उपसभापति पद के चुनाव के दौरान एक बार फिर सदन के बाहर बनी विपक्षी एकजुटता का परीक्षण होना तय है. बीजेपी ने साफ किया है कि पार्टी राज्य सभा के उपसभापति पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी. वर्तमान उपसभापति पी के कुरियन का कार्यकाल इस महीने खत्म हो रहा है जिसके बाद यह पद खाली हो जाएगा.

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उम्मीदवार खड़ा करने की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि बीजेपी राज्य सभा के उपसभापति पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी लेकिन हम चाहते हैं कि उम्मीदवार सर्वसम्मिति से चुना जाए. जरूरत पड़ने पर हम कांग्रेस से भी सहयोग मांग सकते हैं. खबर है कि बीजेपी उपाध्यक्ष और राज्य सभा में पार्टी के नेता प्रसन्ना आचार्य और तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर को इस पद के लिए संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं.  

राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है ऐसे में अन्य बड़े दलों की मदद के बिना सत्ताधारी दल अपने उम्मीदवार को उपसभापति की कुर्सी पर नहीं बैठा सकता. इस लिस्ट में टीएमसी और बीजेडी की भूमिका अहम हो जाएगी क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी के अलावा इन दलों के सदस्यों की संख्या सबसे ज्यादा है.

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ये भी पढ़ें: कांग्रेस 41 साल बाद खो सकती है राज्यसभा में उपसभापति का पद

कांग्रेस अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए बीजेडी से हाथ मिलाने को भी तैयार है लेकिन बीजेडी का रुख बीजेपी की ओर झुका नजर आता है. कांग्रेस की कोशिश है कि सदन के बाहर जैसे एकता सदन के भीतर भी कायम रहे ताकि बीजेपी को शिकस्त दी जा सके. माना जा रहा है कि इसके लिए कांग्रेस पार्टी अपना उम्मीदवार वापस लेकर किसी अन्य बड़े दल को भी यह पद ऑफर कर सकती है.

एनडीए के पास नहीं है बहुमत

राज्यसभा में बहुमत के लिए 122 सांसदों की जरूरत है जबकि एनडीए के पास 105 सांसद है. इसके अलावा निर्दलीय सांसदों के साथ लाने पर भी बीजेपी की उम्मीदवार का जीतना मुश्किल है. दूसरी ओर से बीजेडी अगर गैर कांग्रेसी दलों का साथ दे तो इस पद पर कांग्रेस की सहमति वाले उम्मीदवार को बैठाया जा सकता है.

बीजेडी के सूत्रों का कहना है कि पार्टी कांग्रेस के उम्मीद का समर्थन भले ही न करे लेकिन किसी गैर कांग्रेसी उम्मीदवार के समर्थन पर जरूर विचार कर सकती है. लेकिन अगर कांग्रेस के उम्मीदवार को इस चुनाव में जीत नहीं मिलती है तो 41 साल में यह पहला मौका होगा जब राज्यसभा में कोई गैर कांग्रेसी उपसभापति चुना जाएगा.

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कांग्रेस के खेमे में रहा है पद

साल 1977 से उच्च सदन में कांग्रेस पार्टी के नेता सदन में उपसभापति का पद संभाल रहे हैं. रामनिवास मिर्धा 1977 में इस पद पर आसीन हुए थे तब से लेकर सदन में सभी उपसभापति कांग्रेस पार्टी से ही रहे हैं. पहली बार जब 2002 में बीजेपी नेता भैरोसिंह शेखावत उपराष्ट्रपति बने थे तब भी यह सिलसिला जारी रहा और कांग्रेस पार्टी के नेता ने ही उपसभापति का पद संभाला था.

आमतौर पर सत्ताधारी दल के नेता को सभापति चुना जाता है तो उपसभापति का पद विपक्ष के उम्मीदवार को दिया जाता है. साल 2004 की यूपीए सरकार में भी बीजेपी के चरणजीत सिंह अटवाल को डिप्टी स्पीकर चुना गया था और 2009 में भी करिया मुंडा को इस पद के लिए चुना गया था.

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