Advertisement

विपक्ष के बहिष्कार के बाद सभापति और मोदी सरकार ने दी सफाई

राज्यसभा में मंगलवार को एक अनोखा मामला देखने को मिला. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पूरा विपक्ष नदारद था. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि BSP को छोड़कर सभी विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू पर पक्षपातपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाते हुए एक दिन के लिए राज्यसभा का बहिष्कार कर दिया. 

राज्यसभा के सभापति वैंकेय नायडू राज्यसभा के सभापति वैंकेय नायडू
राम कृष्ण/बालकृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 06 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 12:24 AM IST

राज्यसभा में मंगलवार को एक अनोखा मामला देखने को मिला. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पूरा विपक्ष नदारद था. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि BSP को छोड़कर सभी विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू पर पक्षपातपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाते हुए एक दिन के लिए राज्यसभा का बहिष्कार कर दिया.

हाल के सालों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब पूरा विपक्ष सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाकर सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दे. विपक्ष के नेता इस बात से खासे नाराज थे कि सदन में जरा सा हंगामा होते ही सभापति वेंकैया नायडू सीधे 2:00 बजे तक के लिए राज्यसभा को स्थगित कर देते हैं, जिससे शून्यकाल और प्रश्नकाल दोनों खत्म हो जाता है. बहिष्कार के बाद राज्यसभा से बाहर निकलकर मीडिया स्टैंड पर आकर विपक्ष के नेताओं ने अपनी बात रखी.

Advertisement

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने में लगी हुई है और विपक्ष के नेताओं को राज्यसभा में बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा है. जैसे ही वह कोई मुद्दा उठाना चाहते हैं, राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी जाती है.  उनके स्थगन प्रस्ताव को भी मंजूर नहीं किया जा रहा है.

समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने भी सरकार पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए कहा कि ना तो उन लोगों को संसद में बोलने का मौका मिल रहा है और ना ही राज्यसभा टीवी विपक्ष के लोगों की बातों को दिखा रहा है. उन्होंने कहा कि विपक्ष का काम सिर्फ सरकार के बिल पास कराना नहीं है, बल्कि लोकहित के मुद्दों को सदन में उठाना भी है. तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह सीधे तौर पर लोकतंत्र की हत्या है.

Advertisement

मंगलवार सुबह तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने राज्यसभा में नोटिस दिया था और वो इस बात को उठाना चाहते थे कि किस तरह  पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी प्रशासन के मामलों में दखल दे रहे हैं और राज्य सरकार की बात सुनने को तैयार नहीं है, लेकिन वेंकैया नायडू ने तृणमूल कांग्रेस का नोटिस नामंजूर कर दिया था. विपक्ष के इस तरह से सभापति के खिलाफ एकजुट होकर सदन के बहिष्कार करने से हड़कंप मच गया.

इसके बाद सभापति वेंकैया नायडू ने सफाई देते हुए कहा कि उनका मकसद यह बिल्कुल नहीं है कि विपक्ष के नेताओं को बोलने का मौका नहीं दिया जाए. उन्होंने कहा कि दरअसल वह राज्यसभा को दोपहर तक इसलिए स्थगित कर देते हैं, क्योंकि बार-बार थोड़ी-थोड़ी देर के लिए राज्यसभा स्थगित होने से यह संदेश जाता है कि राज्यसभा में सिर्फ हंगामा होता रहता है. वेंकैया नायडू ने कहा कि उन्हें इस बात की चिंता है कि राज्यसभा की इमेज देश के लोगों के मन में खराब हो रही है और सदन के प्रति लोगों की विश्वसनीयता कम हो रही है.

वेंकैया नायडू के सफाई के बाद मंगलवार शाम को ही अरुण जेटली ने भी इस मामले पर बयान दिया. मीडिया से बात करते हुए अरुण जेटली ने कहा कि विपक्ष बिना बात के तिल का ताड़ बना रहा है और एक ऐसा विवाद खड़ा करने की कोशिश कर रहा है, जो वास्तव में है ही नहीं.

Advertisement

उन्होंने कहा कि इस पूरे सप्ताह संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव और बजट पर चर्चा होनी है. यह दोनों विषय ऐसे हैं, जिनका दायरा बहुत बड़ा है और विपक्ष के नेता अगर चाहते तो इसके तहत अपने मनचाहे विषय पर अपनी बात रख सकते थे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान भी विपक्ष के नेता जो मुद्दा चाहते उठा सकते थे, लेकिन वह बिना बात मामले को तूल दे रहे हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement