
राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान मंगलवार को विपक्ष ने पक्षपात का आरोप लगाया और सदन से वॉकआउट कर गया. विपक्षी दल के नेताओं ने सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाया है. कांग्रेस से लेकर सपा, टीएमसी, आम आदमी पार्टी सहित सभी विपक्ष के दल एकजुट होकर सदन से बाहर आ गए.
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि विपक्ष के सांसदों का यह काम है कि वह राज्यों से जुड़े जनहित के मुद्दों को नोटिस देकर राज्यसभा के भीतर उठाएं. लेकिन ऐसा कई बार होता है कि मामला इतना जरूरी होता है कि पहले से नोटिस देने की प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा सकता लेकिन इसके बावजूद परंपरा यह रही है कि अगर मामला संवेदनशील और गंभीर है तो सांसदों को अपनी बात उठाने का मौका मिलता है. लेकिन राज्यसभा में लगातार विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है और उन्हें नहीं बोलने दिया जा रहा है.
समाजवादी पार्टी सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि अगर सभापति का यही रवैया रहा तो आगे भी हम निर्णय लेंगे कि क्या करना है? पिछले एक सप्ताह से सभापति इसी ढंग से फैसले कर रहे हैं.
तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सदन के अंदर और सदन के बाहर डेमोक्रेसी का मर्डर हो रहा है. इसलिए सब लोग इकट्ठा होकर यहां पर आए हैं.
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा कि सदन को इस ढंग से चला रहे हैं कि सदन के बाहर और भीतर दोनों जगह विपक्ष को बोलने नहीं देना है. आज पूरा सदन ऑर्डर में था. कोई वेल में नहीं गया. आज हम सभी लोग अपनी जगह खड़े होकर अपनी बात कह रहे थे. इसके बावजूद सभापित ने सदन को 2:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. इसका मतलब सरकार का मकसद है कि बाहर और भीतर दोनों जगह विपक्ष को बोलने मत दो. हम जनता के बुनियादी मुद्दे को नहीं उठा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी भी विपक्ष के साथ है. जिस प्रकार से सदन को चलाया जा रहा है वो सरकार की सोच का जीता जागता उदाहरण है. संजय सिंह ने कहा कि यह तानाशाह पूर्ण सरकार का रवैया है जिसकी वजह से विपक्ष अपने मुद्दों को सदन में नहीं उठा पा रहा है.