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दुनिया की कोई ताकत अयोध्या में मस्जिद नहीं बना सकती: साक्षी महाराज

बीजेपी नेता साक्षी महाराज ने मस्जिद में नमाज पढ़ने के सवाल पर कहा कि नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है. राम मंदिर अयोध्या में था, है और वहीं बनेगा.

साक्षी महाराज साक्षी महाराज
अजीत तिवारी/अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 1:26 PM IST

मस्जिद में नमाज पढ़ना क्या इस्लाम का आंतरिक हिस्सा है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट इस पर फैसला सुनाएगा. इस मुद्दे पर बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि अयोध्या में राम का मंदिर था, है और भव्य राम मंदिर कहां बनेगा, इस बात में कोई संदेह नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि जहां तक नमाज पढ़ने की बात है, नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है, ट्रेन में, सड़क पर, स्टेशन पर, कहीं भी नमाज पढ़ लेते हैं.

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साक्षी महाराज ने कहा, 'पिछले 1 महीने से मैं माननीय कोर्ट से निवेदन करता रहा हूं कि फैसला जल्द आना चाहिए. जहां तक मस्जिद में नमाज पढ़ने की बात है, यह इस्लाम का आंतरिक मामला नहीं है. वह तो कहीं भी ट्रेन में, सड़क पर, स्टेशन पर, कहीं भी नमाज पढ़ लेते हैं. यह बिंदु अलग है, बहस का बिंदु है. लेकिन अयोध्या में प्रभु श्री राम का मंदिर था, मंदिर है, भव्य राम मंदिर ही बनेगा.'

उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई ताकत अयोध्या में मस्जिद नहीं बना सकती. मस्जिद हिंदुस्तान में बहुत सारी हैं, कहीं भी नमाज पढ़ लेंगे. अयोध्या में मंदिर है, वहां नमाज नहीं पढ़ी जा सकती. 1994 में फैसला आया था जिसके अनुसार वहां पर पूजा करने का अधिकार हिंदुओं को मिला था. साक्षी महाराज का कहना है कि देश के कोटि-कोटि हिंदू का यही कहना है कि वहां पर भव्य राम मंदिर बनना चाहिए और राम मंदिर बनकर रहेगा उसको कोई रोक नहीं सकता.

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1994 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने इस्माइल फारूकी केस में राम जन्मभूमि मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया था ताकि हिंदू पूजा कर सकें. बेंच ने ये भी कहा था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं है.

दरअसल, अयोध्या में विवादित जमीन के मालिकाना हक के मुख्य मामले यानी टाइटल सूट की सुनवाई से पहले कोर्ट इस मामले पर फैसला देगा कि क्या नमाज़ पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं. 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए एक तिहाई हिंदू, एक तिहाई मुस्लिम और एक तिहाई राम लला को दिया था.

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