
देश में राम मंदिर निर्माण को लेकर चल रही बहस के बीच सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या विवाद पर सुनवाई हुई. सोमवार को अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई मात्र 3 मिनट में ही टल गई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने अब इस मामले के लिए जनवरी, 2019 की तारीख तय की है. यानी अब ये मामला करीब 3 महीने बाद ही कोर्ट में उठेगा.
राम जन्मभूमि से जुड़ा जमीन का यह मसला बेहद पेचीदा रहा है. 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था, लेकिन उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसके तहत अयोध्या विवाद के टाइटल सूट (जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा केस) पर सुनवाई होगी.
सामाजिक ताने-बाने की नींव हिला देने वाले इस दशकों पुराने मुद्दे पर आज जो सुप्रीम कोर्ट में जो सुनवाई होनी है, उसका सीधा ताल्लुक जमीन से है.
क्या है अयोध्या का टाइटल सूट?
-1950 में गोपाल सिंह विशारद ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अयोध्या मसले पर याचिका दायर की.
-इस याचिका में विवादित स्थल पर हिंदू रीति रिवाज से पूजा की इजाजत देने की मांग की गई.
-1959 में निर्मोही अखाड़ा ने विवादित भूमि पर नियंत्रण की मांग की.
-निर्मोही अखाड़ा की तर्ज पर ही मुस्लिम सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी विवादित भूमि पर कोर्ट में अपना दावा ठोक दिया.
-2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया.
-कोर्ट ने रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड को जमीन के हिस्से सौंपने का आदेश दिया.
-इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले पर कोई भी पक्ष राजी नहीं हुआ और सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी गई. 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी.
अब सुप्रीम कोर्ट में इसी मसले पर फिर से सुनवाई होने जा रही है. कोर्ट ने इस मामले में पहले ही साफ कर दिया है कि ये सुनवाई सिर्फ जमीन विवाद को लेकर की जाएगी, किसी और मसले से इसका कोई लेना-देना नहीं है.