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शारदा और रोजवैली जैसे चिट फंड में नहीं फंसेगा पैसा, मोदी सरकार का बड़ा ऐलान

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अब फ्री लांसिंग नहीं होगी और गैर पंजीकृत स्कीम चलाने वालों की संपत्ति बेच कर निवेशकों का पैसा वापस दिया जाएगा.

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 9:51 PM IST

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीच शारदा चिट फंड घोटाले पर छिड़े सियासी संग्राम के बीच केंद्रीय कैबिनेट ने चिट फंड (पोंजी) स्कीम  पर लगाम लगाने के मकसद से बड़ा फैसला लिया है. कैबिनेट ने अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम्स पर प्रतिबंध बिल, 2018 में संशोधन को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत सभी गैर पंजीकृत डिपॉजिट स्कीम अवैध मानी जाएगी और इसका संचालन करने वाले की संपत्ति जब्त करने के कड़े प्रावधान किए गए हैं.

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केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है कि जो भी डिपॉजिट स्कीम रेगुलेटेड नहीं है वो अवैध है. रविशंकर प्रसाद ने बाताया कि अब कोई भी चिट फंड स्कीम नहीं चला सकेगा और ऐसा करने वाले की संपत्ति बेच कर लोगों का पैसा वापस दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस बिल के तहत यदि कोई व्यक्ति ऐसी स्कीम का विज्ञापन जारी करता है, लोगों को आकर्षित करने के लिए किसी बड़ी हस्ती को ब्रांड अम्बैसडर बनाता है तब भी कार्रवाई होगी.

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार ऐसी कंपनियों का ऑनलाइन डेटाबेस बनाएगी. उन्होंने कहा कि साल 2015 से 2018 तक सीबीआई ने चिंट फंड के मामले में कुल 166 केस दर्ज किए हैं. इसमें सबसे ज्यादा मामले पश्चिम बंगाल और ओडिशा में सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल का जो मामला इन दिनों चर्चा में है वह मामला बीजेपी के सरकार में आने से पहले का है. जब कांग्रेस और वाम दलों के नेता इसकी सीबीआई जांच की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे.

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रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस तरह की डिपोजिट स्कीम का सबसे ज्यादा प्रभाव चार राज्यों के छोटे पूंजी निवेशकों पर पड़ा जिसमें बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम प्रमुख हैं.

आपको बता दें कि वर्तमान में 9 रेगुलेटर विभिन्न डिपॉजिट स्कीम की निगरानी और करते हैं. जिनमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी), कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय और राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें शामिल हैं. सभी डिपॉजिट टेकिंग स्कीम्स को संबंधित रेगुलेटर के पास रजिस्टर किया जाता है. अगर कोई डिपॉजिट टेकिंग स्कीम बिल में लिस्टेड रेगुलेटरों के पास रजिस्टर नहीं की गई है तो उसे अनरेगुलेटेड माना जाता है.

रविशंकर प्रसाद ने बिल के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि इस बिल में तीन प्रकार के अपराधों और उनकी सजा निहित है. इसके तहत अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम्स को चलाना (विज्ञापन देना, प्रमोट और ऑपरेट करना या उसके लिए धनराशि लेना) अपराध माना जाएगा. इसके साथ ही रेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम में धोखे से डीफॉल्ट करना, और जान-बूझकर झूठे तथ्य देकर अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम में निवेश करने के लिए डिपॉजिटर्स को गलत तरीके से उकसाना शामिल है.

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की सियासत में भूचाल लाने वाले शारदा और रोज वैली चिट फंड घोटाले का  साल 2013 में चला था. दरअसल, इन दोनों कंपनियों ने लाखों निवेशकों से दशकों तक हजारों करोड़ रुपये वसूले, जिसके बदले में उन्हें बड़ी रकम वापस देने का वादा किया.लेकिन जब धन लौटाने की बारी आई तो भुगतान में खामियां होने लगी, और लाखों निवेशकों का पैसा डूब गया.

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