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रिटायर्ड अफसरों के घरों पर तैनात 2000 जवानों की सेना में होगी वापसी

दिल्ली, गुडगांव और नोएडा समेत एनसीआर में रहने वाले सेना के हजारों रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों के घरों पर 1000 के आसपास सैनिक सहायक के तौर पर काम कर रहे हैं. इन जवानों की अब सेना में वापसी होगी.

सेना के जवान (फाइल फोटो) सेना के जवान (फाइल फोटो)
मंजीत नेगी/वरुण शैलेश/खुशदीप सहगल
  • नई दिल्ली,
  • 13 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST

सेना में अधिकारियों के घरों में सहायक के तौर पर जवानों की तैनाती को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है. मगर अब सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सेवानिवृत्त अफसरों के घरों पर तैनात करीब 2000 जवानों को सेना में वापस लाने का फैसला किया है.

दिल्ली, गुडगांव और नोएडा समेत एनसीआर में रहने वाले सेना के हजारों रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों के घरों पर 1000 के आसपास सैनिक सहायक के तौर पर काम कर रहे हैं. इन जवानों की अब सेना में वापसी होगी. साथ ही देश के दूसरे हिस्सों में भी इतनी की संख्या में जवान सहायक के तौर पर सेवानिवृत्त अधिकारियों के घर पर काम कर रहे हैं. इन्हें भी सेना में वापस बुलाया जाएगा.

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सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों के घर पर काम कर रहे लगभग 2000 जवानों की संख्या सेना की दो यूनिट के बराबर है. सेना के इस कदम से लंबे समय से रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों के घर पर काम कर रहे इन जवानों के लिए एक बड़ी राहत है. सेवारत और रिटायर सैन्य अधिकारियों के घर पर बटमैन के तौर पर जवानों की नियुक्ति की परंपरा अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है.  

सहायकों को लेकर लंबे समय से जवानों की काफी शिकायतें रही हैं. कई बार ऐसे जवानों ने अपनी शिकायत सोशल मीडिया पर भी डाली है. इनकी शिकायत होती है सहायक के तौर पर उन्हें अधिकारियों के घर पर अनाधिकृत कार्य कराए जाते हैं और इससे उनकी ट्रेनिंग भी प्रभावित होती है. अधिकारियों के घर पर काम करने की वजह से वे अपने बाकी साथियों की तरह मिलिट्री ट्रेनिंग से दूर रह जाते हैं.

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इस मुद्दे पर संसद की रक्षा मामलों की स्थाई समिति भी सवाल उठा चुकी है. समिति का कहना है कि जवानों का इस्तेमाल सहायक के तौर पर क्यों होता है? ऐसे में रक्षा मंत्रालय एक प्रस्ताव पर विचार कर रहा है जिसमें पीस स्टेशन पर कार्यरत सैन्य अफसरों को 1000 सिविलियन सहायक दिए जाएं.

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