
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने ‘खालिस्तानी गतिविधियों’ में बढ़ोतरी और हाल में पाकिस्तानी ड्रोन्स के जरिए हथियार गिराए जाने को सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बताया है. ये बात एनआईए के शीर्ष अधिकारी इंस्पेक्टर जनरल आलोक मित्तल ने कही है.
मित्तल सोमवार को एंटी टेरर स्क्वॉड (एटीएस) और स्पेशल टास्क फोर्स के सामने प्रेजेंटेशन दे रहे थे. एनआईए का मानना है कि पाकिस्तान की शह पर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की जा सकती है.
एनआईए ने ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ) की ओर से लाए गए ‘रेफरेंडम 2020’ को पाकिस्तान का गेम-प्लान बताया. एजेंसी के मुताबिक इसके जरिए पाकिस्तान पंजाब राज्य में खालिस्तानी उग्रवाद को दोबारा सिर उठाते देखना चाहता है.
अधिकारियों को संबोधित करते हुई मित्तल ने कहा, ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पर सिख युवकों को उकसाने के लिए प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है. मित्तल ने कहा, ‘ना सिर्फ पाकिस्तान बल्कि अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में खालिस्तान समर्थक ग्रुपों से लिंक जुड़े हैं. एऩआईए की ओर से खालिस्तानी तत्वों और पाकिस्तान समर्थक अलगाववादियों के बीच संपर्कों की जांच की जा रही है.
एनआईए ने हाल में पंजाब सरहद पर ड्रोन के जरिए हथियार गिराए जाने की घटना की जांच अपने हाथ में ली है. बता दें कि एनआईए ने पंजाब में 2016-17 में कुछ आरएसएस नेताओं को निशाना बनाए जाने की घटनाओं की भी जांच की थी. तब इस तरह के आठ मामले दर्ज किए गए थे और 16 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. एनआईए के मुताबिक तब कुछ मामलों में हथियार पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लाए गए थे. उस वक्त पैसे की फंडिंग के तार इंग्लैंड, इटली, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया से जुड़े मिले थे.